Solve this:
1-`चूल्हा ठंडा किया होता, तो दुश्मनों का कलेजा कैसे ठंडा होता?` नायकराम के इस कथन में निहित भाव को स्पष्ट कीजिए ।
मित्र!
आपके प्रश्न के लिए हम अपने विचार दे रहे हैं। आप इनकी सहायता से अपना उत्तर पूरा कर सकते हैं।
सूरदास की झोंपड़ी में आग लग गई थी। जगधर ने सूरदास से पूछा कि उसने चूल्हा तो बुझाया था न। नायकराम ने प्रतिक्रिया में कहा कि `चूल्हा ठंडा किया होता, तो दुश्मनों का कलेजा कैसे ठंडा होता?` नायकराम के इस कथन में गहन भाव छिपे हैं। वह जानता था कि आग चूल्हे से नहीं लगी है। जरूर किसी ने आग लगाई है। नायकराम को पता था, दुश्मन आग लगाकर अत्यधिक प्रसन्नता का अनुभव कर रहा होगा। उसके कलेजे में ठंडक पड़ रही होगी। जबकि लोग सोच रहे थे कि सूरदास ने गलती से चूल्हा जलता छोड़ दिया होगा जिससे आग धधक पड़ी। सच्चाई यह थी कि आग भैरों ने लगाई थी।
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सूरदास की झोंपड़ी में आग लग गई थी। जगधर ने सूरदास से पूछा कि उसने चूल्हा तो बुझाया था न। नायकराम ने प्रतिक्रिया में कहा कि `चूल्हा ठंडा किया होता, तो दुश्मनों का कलेजा कैसे ठंडा होता?` नायकराम के इस कथन में गहन भाव छिपे हैं। वह जानता था कि आग चूल्हे से नहीं लगी है। जरूर किसी ने आग लगाई है। नायकराम को पता था, दुश्मन आग लगाकर अत्यधिक प्रसन्नता का अनुभव कर रहा होगा। उसके कलेजे में ठंडक पड़ रही होगी। जबकि लोग सोच रहे थे कि सूरदास ने गलती से चूल्हा जलता छोड़ दिया होगा जिससे आग धधक पड़ी। सच्चाई यह थी कि आग भैरों ने लगाई थी।