srishti ke vibhinn upadan apni aur kyun aakarshith karte hai
मित्र
प्रकृति ईश्वर की देन कही जाती है। यह ऐसी कृति है जिसमें किसी प्रकार की अशुद्धता विद्यमान नहीं है। यह ऐसा विज्ञान है, जो जटिल भी है और सरल भी। यहाँ सब इतना सुव्यवस्थित होता है कि मनुष्य दातों तले अंगुलियाँ दबा लेता है। इसकी व्यवस्था में कमी नहीं है इसके कोई दुष्परिणाम नहीं है। इसका सौंदर्य इसकी व्यवस्था, इसकी कार्यप्रणाली हमें सदियों से आकर्षित करती है। मनुष्य और प्रकृति का गहरा संबंध है इसलिए सृष्टि के विभिन्न उपदान अपनी ओर आकर्षित करते हैं।
प्रकृति ईश्वर की देन कही जाती है। यह ऐसी कृति है जिसमें किसी प्रकार की अशुद्धता विद्यमान नहीं है। यह ऐसा विज्ञान है, जो जटिल भी है और सरल भी। यहाँ सब इतना सुव्यवस्थित होता है कि मनुष्य दातों तले अंगुलियाँ दबा लेता है। इसकी व्यवस्था में कमी नहीं है इसके कोई दुष्परिणाम नहीं है। इसका सौंदर्य इसकी व्यवस्था, इसकी कार्यप्रणाली हमें सदियों से आकर्षित करती है। मनुष्य और प्रकृति का गहरा संबंध है इसलिए सृष्टि के विभिन्न उपदान अपनी ओर आकर्षित करते हैं।