summary for topi shukla plssssssss
Hi,
टोपी शुक्ला दो अलग-अलग धर्मों से जुड़े बच्चों और एक बच्चे व एक बुढ़ी दादी के बीच स्नेह की कहानी है। इस कहानी के माध्यम से लेखक मित्रता से बने रिश्ते व प्रेम से बने रिश्ते की सार्थकता को प्रस्तुत करता है। वह समाज के आगे उदाहरण पेश करता है की मित्रता कभी धर्म व जाति की गुलाम नहीं होती अपितु वह प्रेम, आपसी स्नेह व समझ का प्रतीक होती है। बालमन किसी स्वार्थ या हिसाब से चलायमान नहीं होता। वृद्धमन की भी ऐसी ही स्थिति होती है। टोपी इस कहानी का मुख्य पात्र है। उसके पिता जाने-माने डाक्टर हैं। उसका परिवार भरा-पूरा है। उसके घर में किसी भी चीज की कमी नहीं है परन्तु एक अज्ञात प्रेम उसे इफ्फन के घर की ओर खींच ले जाता है। इफ़्फन के घर में उसकी दादी द्वारा मिले प्रेम ने उसके अंदर प्रेम की वह कमी पूरी कर दी जो उसके घर से उसे कभी नहीं मिली। टोपी की स्वयं की भी दादी है परंतु वह उनमें सदैव इफ़्फन की दादी को ही खोजता रहता है। इफ़्फन की दादी के मृत्यु उसे स्वयं के किसी अपने के मृत्यु से उपजे दुख के समान लगती है। इफ़्फन से उसकी मित्रता धर्म को भी बीच में आने नहीं देती है। इफ़्फन के चले जाने के बाद उसका बालमन उसी स्नेह को तलाशता रहता है। जो उसे फिर नहीं मिलता।
आशा करती हूँ कि आपको प्रश्न का उत्तर मिल गया होगा।
ढ़ेरों शुभकामनाएँ?