summary of hindi thop 

'तोप' कविता हमारी सांस्कृतिक और विरासत की संभाल करने की सीख देती है। कवि वीरेन डंगवाल के अनुसार एक देश की पहचान उसकी प्राचीन धरोहरों से होती है। यही धरोहरें हमें हमारे देश की प्राचीन संस्कृति, सभ्यता, योगदान के विषय में और इतिहास में हमारे द्वारा की गई गलतियों से परिचय कराती हैं। विडंबना देखिए कि हमारे द्वारा इनकी अनदेखी की जाती रही है। हम विकास के नाम पर आगे बढ़ने का प्रयास करते हैं। परन्तु अपनी नींव को ही अनदेखा कर देते हैं। इनकी यदि इसी तरह अनदेखी कि जाती रहेगी, तो एक दिन हम स्वयं अपनी पहचान खो देगें। इमारत की यदि नींव ही कमजोर हो जाए, तो उसका अस्तित्व अधिक समय तक नहीं रह पाता। कवि तोप के माध्यम से अपनी बात रखता है। उनके अनुसार यह तोप अपने समय की बड़ी जबर रही होगीं। उस समय इसके सामने अच्छे-अच्छे सूरमा भी धराशाई हो जाते होगें। किले की रक्षा का सारा भार इसके अकेले के कंधे पर ठिका होगा। आज यह तोप निस्तेज-सी पड़ी हुई है। सैलानियों द्वारा इसे कौतुहल की दृष्टि से देखा जाता है। बच्चों के लिए यह खेलने की सामग्री से ज्यादा कुछ नहीं है। पक्षियों का भी यह निवास-स्थान बन चुकी है। इन सब बातों से यह एक और बात याद दिलाती है कि कितना बड़ा राजा या शहशांह क्यों न हो, उसका अंत एक दिन अवश्य होता है। 

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