summary of poem surdar ke pad

'सूरदास के पद' कृष्ण भक्ति से ओत-प्रोत हैं। सूरदास जी ने अपने पदों में आराध्य श्री कृष्ण के रूप-सौंदर्य का बहुत मनोहारी वर्णन किया है। इन दोनों पदों के अंदर सूरदास जी ने श्री कृष्ण के बाल रूप और ब्रज की गोपियों का वर्णन किया है। इन पदों को पढ़कर ऐसा प्रतीत होता है मानो साक्षात कृष्ण के बाल रूप के दर्शन हो रहे हों। प्रथम पद में श्री कृष्ण अपनी माँ यशोदा से शिकायत करते हैं। उनके अनुसार माँ ने यह कहकर दूध पिलाया था कि उनकी चोटी बढ़ेगी परन्तु वह अब तक नहीं बढ़ी है। इस बात से वह अपनी माता से बहुत नाराज़ हैं। दूसरे पद में गोपियाँ यशोदा माँ से कृष्ण की शिकायत करने आती हैं। उनके अनुसार कृष्ण गोपियों के घरों से दूध-मक्खन चुरा कर खा जाते हैं। उनकी इस प्रकार की शरारतों के कारण गोपियाँ बहुत दुखी हैं। एक भक्त का अपने भगवान का इतना सुंदर और सजीव वर्णन बहुत कम देखने को मिलता है।

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