Theme or moral of saakhi
मित्र!
सारी सखियों का अर्थ देना संभव नहीं है। हम एक साखी का अर्थ दे रहे हैं बाकी आप स्वयं पढ़ें।
कस्तूरी नांहि।
कबीर कहते हैं कि पूरे वन में हिरण कस्तूरी की सुंगंध पाकर घूमता है पर कस्तूरी तो उसके नाभि में है। इसी प्रकार भगवान कण-कण में बसे हुए हैं। मनुष्य उनको ढूँढने के लिए मंदिर मस्जिद जाता है पर अपने अंदर नहीं देखता। जहां पर ईश्वर रहता है।
सारी सखियों का अर्थ देना संभव नहीं है। हम एक साखी का अर्थ दे रहे हैं बाकी आप स्वयं पढ़ें।
कस्तूरी नांहि।
कबीर कहते हैं कि पूरे वन में हिरण कस्तूरी की सुंगंध पाकर घूमता है पर कस्तूरी तो उसके नाभि में है। इसी प्रकार भगवान कण-कण में बसे हुए हैं। मनुष्य उनको ढूँढने के लिए मंदिर मस्जिद जाता है पर अपने अंदर नहीं देखता। जहां पर ईश्वर रहता है।