thop kavitha ka mul bav

तोप कविता का मूलभाव है कि हमें अपनी विरासत, धरोहरों तथा संस्कृति को संभाल कर रखना चाहिए। ये हमारी पहचान हैं। हम इनकी अनदेखी करेंगे, तो हम स्वयं के अस्तित्व को मिटा देगें।

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