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pg 39 under bhasha addhyan question no. 2

नमस्कार मित्र,
आपकी समस्या के समाधान के लिए हम आपको कविता का भाव लिखकर दे रहे हैं। कृपया इसे स्वयं गद्य में लिखने का प्रयास करें। इससे आपका लेखन कौशल बढ़ेगा।      

​'तोप' कविता हमारी सांस्कृतिक और विरासत की संभाल करने की सीख देती है। कवि वीरेन डंगवाल के अनुसार एक देश की पहचान उसकी प्राचीन धरोहरों से होती है। यही धरोहरें हमें हमारे देश की प्राचीन संस्कृति, सभ्यता, योगदान के विषय में और इतिहास में हमारे द्वारा की गई गलतियों से परिचय कराती हैं। विडंबना देखिए कि हमारे द्वारा इनकी अनदेखी की जाती रही है। हम विकास के नाम पर आगे बढ़ने का प्रयास करते हैं। परन्तु अपनी नींव को ही अनदेखा कर देते हैं। इनकी यदि इसी तरह अनदेखी कि जाती रहेगी, तो एक दिन हम स्वयं अपनी पहचान खो देगें। इमारत की यदि नींव ही कमजोर हो जाए, तो उसका अस्तित्व अधिक समय तक नहीं रह पाता। कवि तोप के माध्यम से अपनी बात रखता है। उनके अनुसार यह तोप अपने समय की बड़ी जबर रही होगीं। उस समय इसके सामने अच्छे-अच्छे सूरमा भी धराशाई हो जाते होगें। किले की रक्षा का सारा भार इसके अकेले के कंधे पर ठिका होगा। आज यह तोप निस्तेज-सी पड़ी हुई है। सैलानियों द्वारा इसे कौतुहल की दृष्टि से देखा जाता है। बच्चों के लिए यह खेलने की सामग्री से ज्यादा कुछ नहीं है। पक्षियों का भी यह निवास-स्थान बन चुकी है। इन सब बातों से यह एक और बात याद दिलाती है कि कितना बड़ा राजा या शहशांह क्यों न हो, उसका अंत एक दिन अवश्य होता है।

​​आशा करते हैं कि दिए गए उत्तर से आपकी समस्या का समाधान हो गया होगा। अगर आपको इस प्रश्न से संबंधित और कोई समस्या हो तो आप हमें Ask and Answer पर भी संपर्क कर सकते हैं। हम प्रयास करेंगे कि जल्द से जल्द आपकी समस्या का समाधान किया जा सके। 
 

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