vinay ke pad ka saaransh (summary of the poem "Vinay ke pad"

मित्र!
आपके प्रश्न के लिए हम अपने विचार दे रहे हैं। आप इनकी सहायता से अपना उत्तर पूरा कर सकते हैं-
 
तुलसीदास ने विनय पत्रिका में अपने स्तोत्र और गीतों को विनय के पद रूपी माला में सजाया है विनय पत्रिका वास्तव में एक अनुरोध याचिका है तुलसी दास जी ने इन पदों के माध्यम से यह बताने की चेष्टा की है कि श्री राम उनके भगवान् हैं और तुलसीदास को उनकी भक्ति पानी है तुलसीदास ने विनय के पद में सभी देवी और देवताओं की उपासना की है सभी की भक्ति करते हैं तुलसीदास इन सबकी भक्ति करके इनकी सहायता से श्री राम को पाना चाहते हैं  

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