what is dhravyavachak kriya? and akarmak kriya??
नमस्कार मित्र!
द्रव्यवाचक क्रिया नहीं होती है, द्रव्यवाजक संज्ञा होती है, जो संज्ञा के भेद के अंदर आता है।
द्रव्यवाचक संज्ञा में जो शब्द द्रव्य अथवा अन्य धातुओं को दर्शातें हैं, उन्हें द्रव्यवाचक संज्ञा कहा जाता है। जैसे- सोना चमकदार है। यहाँ सोना धातु द्रव्यवाचक संज्ञा है।
अकर्मक क्रिया में कर्म नहीं होता इसी कारण से इसे अकर्मक यानी अ (बिना) + कर्म = बिना कर्म की क्रिया कहा जाता है। जैसे- मैं खाता हूँ।