Which alankar is this and how

जिन दिन देखे वे कुसम गई सुबीति बहार।
अब अलि रही गुलाब में अपत कँटीली डार ।।

मित्र


जिन दिन देखे वे कुसुम, गई सु बीति बहार - अन्योक्ति अलंकार


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