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मित्र
हम आरंभ करके दे रहे हैं। आपसे अनुरोध है कि आप इसे विस्तारपूर्वक लिखिए।
एक झूठ को छुपाने के लिए कई झूठ बोलने पड़ते हैं, यह कहावत बिल्कुल सत्य है क्योंकि झूठ के पांव नहीं होते इसलिए उस झूठ को साबित करने के लिए हमें उसके समर्थन में दूसरे कई झूठ बोलने पड़ते हैं। इस प्रकार झूठ के ऊपर झूठ बोलते हैं। जब हम झूठ बोलते हैं और सामने वाले को हमारे झूठ के बारे में पता चल जाता है, तो वह हमारे ऊपर विश्वास करना बिलकुल छोड़ देता है। झूठ के ऊपर झूठ बोल कर हम कुछ देर के लिए सत्य को दबा देते हैं किंतु सत्य अधिक देर तक दबा नहीं रह सकता। सत्य बाहर आ ही जाता है क्योंकि झूठ बोलने वाला व्यक्ति सत्य बोलने वाले व्यक्ति के सामने अधिक देर तक ठहर नहीं सकता।
हम आरंभ करके दे रहे हैं। आपसे अनुरोध है कि आप इसे विस्तारपूर्वक लिखिए।
एक झूठ को छुपाने के लिए कई झूठ बोलने पड़ते हैं, यह कहावत बिल्कुल सत्य है क्योंकि झूठ के पांव नहीं होते इसलिए उस झूठ को साबित करने के लिए हमें उसके समर्थन में दूसरे कई झूठ बोलने पड़ते हैं। इस प्रकार झूठ के ऊपर झूठ बोलते हैं। जब हम झूठ बोलते हैं और सामने वाले को हमारे झूठ के बारे में पता चल जाता है, तो वह हमारे ऊपर विश्वास करना बिलकुल छोड़ देता है। झूठ के ऊपर झूठ बोल कर हम कुछ देर के लिए सत्य को दबा देते हैं किंतु सत्य अधिक देर तक दबा नहीं रह सकता। सत्य बाहर आ ही जाता है क्योंकि झूठ बोलने वाला व्यक्ति सत्य बोलने वाले व्यक्ति के सामने अधिक देर तक ठहर नहीं सकता।