write the summary of 1st lesson gillu of sanjayan bhag 1.
 

मित्र 
"गिल्लू" महादेवी वर्मा का प्रसिद्ध संस्मरण है जिसमें लेखिका ने जीव जंतुओं के प्रति समझ, प्रेम और आत्मीयता का परिचय दिया है। "गिल्लू" जो कि एक गिलहरी का नाम है, का लेखिका के प्रत्येक कार्य के प्रति व्यवहार यह अनुभूति करवाता है कि मौन अभिव्यक्ति को जानने और समझने के लिए मन की एकाग्रता का होना अति आवश्यक है इसी कारण से लेखिका "गिल्लू" की सूक्ष्म संवेदना को भली प्रकार से समझ सकी। गिल्लू जन्म के बाद कौए की चोंच से घायल हो गया था लोगों ने कहा कि कोई बच नहीं सकता किन्तु लेखिका ने दूध में रूई को डूबोकर उसके मूंह में दूध की बूंद टपकाई।  

तीन चार महीने में "गिल्लू" रोयेदार को झब्बेदार बन गया जोरदार बन गया लेखिका ने फूल रखने वाली हल्की डलिया को गिल्लू का घर बना लिया और उसे लटका दिया। जब लेखिका लिखने बैठती तो "गिल्लू" की लेखिका का ध्यान आकर्षित करता था। वह तब तक दौड़ता रहता जब तक लेखिका उसे पकड़ने के लिए नहीं उठ जाती। तब लेखिका उसे एक लिफाफे में रख देती जिससे उसका मूंह ही बाहर आ पाता था। तब लेखिका ने कमरे की जाली को काट कर उस में सुराख कर दिया जिससे गिल्लू अब बाहर जाता और शाम होते ही कमरे में आ जाता। जब लेखिका खाना खा रही थी तब गिल्लू थाली में आ बैठा, तब लेखिका ने उसे बैठना सिखाया। बाद में गिल्लू थाली के बाहर आकर बैठ जाता था। गर्मी से बचने के लिए "गिल्लू" लेखिका की सुरई के ऊपर आकर लेट जाता था। 2 वर्ष का होते ही गिल्लू"के जीवन का अंतिम समय आ गया। बिल्लू अपने ठंडे पैरों से लेखिका की अंगुली से चिपक गया बाद में लेखिका ने पाया कि गिल्लू संसार से विदा हो चुका था।



 

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