yojak aur nirdeshak chinah me kya antar hai,..??
योजक- इसका प्रयोग सामासिक पदों या पुनरुक्त और युग्म शब्दों के मध्य किया जाता है; जैसे -दूर-पास
निर्देशक चिह्न-
इसका प्रयोग उदारहण के लिए, विषय-विभाग संबंधी, प्रत्येक शीर्षक के आगे, वाक्यांशो अथवा पदों के मध्य विचार अथवा भाव को विशिष्ट रुप से व्यक्त करने हेतु, उद्धरण के अंत में, लेखक के नाम के पूर्व और कथोपकथन में नाम के आगे किया जाता है; जैसे - (i) तुलसी का कथन है — "राम की महिमा अपार है।"