Select Board & Class

Login

Board Paper of Class 10 Hindi (A) Term-I 2021 Delhi(SET 4) (Series: JSK/2)- Solutions

सामान्य निर्देश : 
निम्नलिखित निर्देशों को बहुत सावधानी से पढ़िए और उनका पूरी तरह से पालन कीजिए :
(i) इस प्रश्न-पत्र में कुल 54 प्रश्न दिये गए हैं जिनमें से केवल 40 प्रश्नों के उत्तर देने हैं।
(ii) सभी प्रश्न समान अंक के हैं।
(iii) प्रश्न-पत्र में तीन खंड हैं - खंड - , और
(iv) खंड-क में 20 प्रश्न पूछे गए हैं। प्रश्न संख्या 1 से 20 में से 10 प्रश्नों के उत्तर निर्देशानुसार देने हैं।
(v) खंड-ख में 20 प्रश्न पूछे गए हैं। प्रश्न संख्या 21 से 40 में से 16 प्रश्नों के उत्तर निर्देशानुसार देने हैं।
(vi) खंड-ग में 14 प्रश्न पूछे गए हैं। प्रश्न संख्या 41 से 54 तक सभी प्रश्नों के उत्तर निर्देशानुसार देने हैं।
(vii) प्रत्येक खंड में निर्देशानुसार परीक्षार्थियों द्वारा पहले उत्तर किए गए वांछित प्रश्नों का ही मूल्यांकन किया जाएगा।
(viii) प्रत्येक प्रश्न के लिए केवल एक ही सही विकल्प है । एक विकल्प से अधिक उत्तर देने पर अंक नहीं दिये जाएंगे।
(ix) ऋणात्मक अंकन नहीं होगा।


  • Question 1
    बहुत से विद्वानों और चिंतकों ने इस बात को लेकर चिंता प्रकट की है कि भारतीय समाज आधुनिकता से बहुत दूर है और भारत के लोग अपने आप को आधुनिक बनाने की कोशिश भी नहीं कर रहे हैं।
    नैतिकता, सौंन्दर्यबोध और अध्यात्म के समान आधुनिकता कोई शाश्वत मूल्य नहीं है। वह कई चीजों का एक सम्मिलित नाम है। औद्योगीकरण आधुनिकता की पहचान है। साक्षरता का सर्वव्यापी प्रसार आधुनिकता की सूचना देता है। नगर-सभ्यता का प्राधान्य आधुनिकता का गुण है। सीधी-सादी अर्थव्यवस्था मध्यकालीनता का लक्षण है। आधुनिक देश वह है, जिसकी अर्थव्यवस्था जटिल और प्रसरणशील हो और जो ‘टेक-ऑफ’ की स्थिति को पार कर चुकी हो।
    आधुनिक समाज मुक्त और मद्यकालीन समाज बंद होता है। बंद समाज वह है जो अन्य समाजों से प्रभाव ग्रहण नहीं करता, जो अपने सदस्यों को भी धन या संस्कृति की दीर्घा में पर उठने की खुली छूट नदीं देता, जो जाति-प्रथा और गोत्रवाद से पीड़ीत है, जो अंधविश्वासी, गतानुगतिक और संकीर्ण है।
    आधुनिक समाज में उन्मुक्ता होती है। उस समाज के लोग अन्य समाजों के लोगों से मिलने-जुलने में नहीं घबराते, न वे उन्नति का मार्ग खास जातियों और खास गोत्रों के लिए सीमित रखते हैं। आधुनिक समाज सामरिक दृष्टि से बी बलवान समाज होता है। जो देश अपनी रक्षा के लिए भी लड़ने में असमर्थ है, उसे आधुनिक कहलाने का कोई अधिकार नहीं है। आधुनिक समाज के लोग आलसी और निकम्मे नहीं होते। आधुनिक समाज का एक लक्षण यह बी है कि उसकी हर आदमी के पीछे होने वाली आय अधिक होती है, उसके हर आदमी के पास कोई धंधा या काम होता है और अवकाश की शिकायत प्रायः हर एक को रहती है।

    गद्यांश के आधार पर सही तथ्य को चुनिए।
    (a) आधुनिक समाज मुक्त तथा मध्यकालीन समाज खुला होता है।
    (b) आधुनिक समाज बंद तथा मध्यकालीन समाज मुक्त होता है।
    (c) आधुनिक समाज मुक्त तथा मध्यकालीन समाज बंद होता है।
    (d) आधुनिक समाज उन्मुक्त तथा मध्यकालीन समाज जड़ होता है। VIEW SOLUTION


  • Question 2
    बहुत से विद्वानों और चिंतकों ने इस बात को लेकर चिंता प्रकट की है कि भारतीय समाज आधुनिकता से बहुत दूर है और भारत के लोग अपने आप को आधुनिक बनाने की कोशिश भी नहीं कर रहे हैं।
    नैतिकता, सौंन्दर्यबोध और अध्यात्म के समान आधुनिकता कोई शाश्वत मूल्य नहीं है। वह कई चीजों का एक सम्मिलित नाम है। औद्योगीकरण आधुनिकता की पहचान है। साक्षरता का सर्वव्यापी प्रसार आधुनिकता की सूचना देता है। नगर-सभ्यता का प्राधान्य आधुनिकता का गुण है। सीधी-सादी अर्थव्यवस्था मध्यकालीनता का लक्षण है। आधुनिक देश वह है, जिसकी अर्थव्यवस्था जटिल और प्रसरणशील हो और जो ‘टेक-ऑफ’ की स्थिति को पार कर चुकी हो।
    आधुनिक समाज मुक्त और मद्यकालीन समाज बंद होता है। बंद समाज वह है जो अन्य समाजों से प्रभाव ग्रहण नहीं करता, जो अपने सदस्यों को भी धन या संस्कृति की दीर्घा में पर उठने की खुली छूट नदीं देता, जो जाति-प्रथा और गोत्रवाद से पीड़ीत है, जो अंधविश्वासी, गतानुगतिक और संकीर्ण है।
    आधुनिक समाज में उन्मुक्ता होती है। उस समाज के लोग अन्य समाजों के लोगों से मिलने-जुलने में नहीं घबराते, न वे उन्नति का मार्ग खास जातियों और खास गोत्रों के लिए सीमित रखते हैं। आधुनिक समाज सामरिक दृष्टि से बी बलवान समाज होता है। जो देश अपनी रक्षा के लिए भी लड़ने में असमर्थ है, उसे आधुनिक कहलाने का कोई अधिकार नहीं है। आधुनिक समाज के लोग आलसी और निकम्मे नहीं होते। आधुनिक समाज का एक लक्षण यह बी है कि उसकी हर आदमी के पीछे होने वाली आय अधिक होती है, उसके हर आदमी के पास कोई धंधा या काम होता है और अवकाश की शिकायत प्रायः हर एक को रहती है।

    शाश्वत मूल्यों में शामिल हैं –
    (a) नैतिकता, सौंदर्यबोध और अध्यात्म
    (b) नैतिकता, सौंदर्यबोध और आधुनिकता
    (c) नैतिकता, अध्यात्म और आधुनिकता
    (d) सौंदर्यबोध, अध्यात्म और आधुनिकता

    VIEW SOLUTION


  • Question 3
    बहुत से विद्वानों और चिंतकों ने इस बात को लेकर चिंता प्रकट की है कि भारतीय समाज आधुनिकता से बहुत दूर है और भारत के लोग अपने आप को आधुनिक बनाने की कोशिश भी नहीं कर रहे हैं।
    नैतिकता, सौंन्दर्यबोध और अध्यात्म के समान आधुनिकता कोई शाश्वत मूल्य नहीं है। वह कई चीजों का एक सम्मिलित नाम है। औद्योगीकरण आधुनिकता की पहचान है। साक्षरता का सर्वव्यापी प्रसार आधुनिकता की सूचना देता है। नगर-सभ्यता का प्राधान्य आधुनिकता का गुण है। सीधी-सादी अर्थव्यवस्था मध्यकालीनता का लक्षण है। आधुनिक देश वह है, जिसकी अर्थव्यवस्था जटिल और प्रसरणशील हो और जो ‘टेक-ऑफ’ की स्थिति को पार कर चुकी हो।
    आधुनिक समाज मुक्त और मद्यकालीन समाज बंद होता है। बंद समाज वह है जो अन्य समाजों से प्रभाव ग्रहण नहीं करता, जो अपने सदस्यों को भी धन या संस्कृति की दीर्घा में पर उठने की खुली छूट नदीं देता, जो जाति-प्रथा और गोत्रवाद से पीड़ीत है, जो अंधविश्वासी, गतानुगतिक और संकीर्ण है।
    आधुनिक समाज में उन्मुक्ता होती है। उस समाज के लोग अन्य समाजों के लोगों से मिलने-जुलने में नहीं घबराते, न वे उन्नति का मार्ग खास जातियों और खास गोत्रों के लिए सीमित रखते हैं। आधुनिक समाज सामरिक दृष्टि से बी बलवान समाज होता है। जो देश अपनी रक्षा के लिए भी लड़ने में असमर्थ है, उसे आधुनिक कहलाने का कोई अधिकार नहीं है। आधुनिक समाज के लोग आलसी और निकम्मे नहीं होते। आधुनिक समाज का एक लक्षण यह बी है कि उसकी हर आदमी के पीछे होने वाली आय अधिक होती है, उसके हर आदमी के पास कोई धंधा या काम होता है और अवकाश की शिकायत प्रायः हर एक को रहती है।

    विद्वानों और चिंतकों ने किस बात के चिंता व्यक्त की है?
    (a) भारतीय समाज से आधुनिकता अभी बहुत दूर है।
    (b) भारतीय समाज से न सिर्फ आधुनिकता दूर है बल्कि उसको लाने के प्रयास भी नहीं हो रहे।
    (c) भारतीय समाज एक पांरपरिक समाज है जिसमें आधुनिकता अभी नहीं आ सकेगी।
    (d) वैसे तो भारतीय समाज से आधुनिकता दूर हैं पर उसे जाने के प्रयास अवश्य हो रहे हैं। VIEW SOLUTION


  • Question 4

    बहुत से विद्वानों और चिंतकों ने इस बात को लेकर चिंता प्रकट की है कि भारतीय समाज आधुनिकता से बहुत दूर है और भारत के लोग अपने आप को आधुनिक बनाने की कोशिश भी नहीं कर रहे हैं।
    नैतिकता, सौंन्दर्यबोध और अध्यात्म के समान आधुनिकता कोई शाश्वत मूल्य नहीं है। वह कई चीजों का एक सम्मिलित नाम है। औद्योगीकरण आधुनिकता की पहचान है। साक्षरता का सर्वव्यापी प्रसार आधुनिकता की सूचना देता है। नगर-सभ्यता का प्राधान्य आधुनिकता का गुण है। सीधी-सादी अर्थव्यवस्था मध्यकालीनता का लक्षण है। आधुनिक देश वह है, जिसकी अर्थव्यवस्था जटिल और प्रसरणशील हो और जो ‘टेक-ऑफ’ की स्थिति को पार कर चुकी हो।
    आधुनिक समाज मुक्त और मद्यकालीन समाज बंद होता है। बंद समाज वह है जो अन्य समाजों से प्रभाव ग्रहण नहीं करता, जो अपने सदस्यों को भी धन या संस्कृति की दीर्घा में पर उठने की खुली छूट नदीं देता, जो जाति-प्रथा और गोत्रवाद से पीड़ीत है, जो अंधविश्वासी, गतानुगतिक और संकीर्ण है।
    आधुनिक समाज में उन्मुक्ता होती है। उस समाज के लोग अन्य समाजों के लोगों से मिलने-जुलने में नहीं घबराते, न वे उन्नति का मार्ग खास जातियों और खास गोत्रों के लिए सीमित रखते हैं। आधुनिक समाज सामरिक दृष्टि से बी बलवान समाज होता है। जो देश अपनी रक्षा के लिए भी लड़ने में असमर्थ है, उसे आधुनिक कहलाने का कोई अधिकार नहीं है। आधुनिक समाज के लोग आलसी और निकम्मे नहीं होते। आधुनिक समाज का एक लक्षण यह बी है कि उसकी हर आदमी के पीछे होने वाली आय अधिक होती है, उसके हर आदमी के पास कोई धंधा या काम होता है और अवकाश की शिकायत प्रायः हर एक को रहती है।

    आधुनिक समाज की विशिष्टताओं में शामिल है –
    (क) उन्मुक्तता 
    (ख) सामरिक बल
    (ग) आलस्य
    उपरोक्त विकल्पों के आधार पर निम्नलिखित विकल्पों में सही विकल्प का चयन कीजिए:
    (a) (क), (ख) और (ग) तीनों
    (b) (क) और (ग)
    (c) (ख) और (ग)
    (d) (ख) और (क)

    VIEW SOLUTION


  • Question 5
    बहुत से विद्वानों और चिंतकों ने इस बात को लेकर चिंता प्रकट की है कि भारतीय समाज आधुनिकता से बहुत दूर है और भारत के लोग अपने आप को आधुनिक बनाने की कोशिश भी नहीं कर रहे हैं।
    नैतिकता, सौंन्दर्यबोध और अध्यात्म के समान आधुनिकता कोई शाश्वत मूल्य नहीं है। वह कई चीजों का एक सम्मिलित नाम है। औद्योगीकरण आधुनिकता की पहचान है। साक्षरता का सर्वव्यापी प्रसार आधुनिकता की सूचना देता है। नगर-सभ्यता का प्राधान्य आधुनिकता का गुण है। सीधी-सादी अर्थव्यवस्था मध्यकालीनता का लक्षण है। आधुनिक देश वह है, जिसकी अर्थव्यवस्था जटिल और प्रसरणशील हो और जो ‘टेक-ऑफ’ की स्थिति को पार कर चुकी हो।
    आधुनिक समाज मुक्त और मद्यकालीन समाज बंद होता है। बंद समाज वह है जो अन्य समाजों से प्रभाव ग्रहण नहीं करता, जो अपने सदस्यों को भी धन या संस्कृति की दीर्घा में पर उठने की खुली छूट नदीं देता, जो जाति-प्रथा और गोत्रवाद से पीड़ीत है, जो अंधविश्वासी, गतानुगतिक और संकीर्ण है।
    आधुनिक समाज में उन्मुक्ता होती है। उस समाज के लोग अन्य समाजों के लोगों से मिलने-जुलने में नहीं घबराते, न वे उन्नति का मार्ग खास जातियों और खास गोत्रों के लिए सीमित रखते हैं। आधुनिक समाज सामरिक दृष्टि से बी बलवान समाज होता है। जो देश अपनी रक्षा के लिए भी लड़ने में असमर्थ है, उसे आधुनिक कहलाने का कोई अधिकार नहीं है। आधुनिक समाज के लोग आलसी और निकम्मे नहीं होते। आधुनिक समाज का एक लक्षण यह बी है कि उसकी हर आदमी के पीछे होने वाली आय अधिक होती है, उसके हर आदमी के पास कोई धंधा या काम होता है और अवकाश की शिकायत प्रायः हर एक को रहती है।

    एक बंद समाज की विशेषताओं में किसे नहीं रखा जाएगा?
    (a) अन्य समाजों से प्रभाव ग्रहण नहीं करना।
    (b) जाति-प्रथा ओर गोत्रवाद से  पीड़ित रहना।
    (c) धन या संस्कृति के क्षेत्र में खुलि छूट देना।
    (d) अंधविश्वासी, पिछड़ा और संकीर्ण होना। VIEW SOLUTION


  • Question 6
    बंगाल की शस्य-श्यामला धरती का सौंदर्य अविस्मरणीय है। इसके मनोहर और उन्मुक्त सौंदर्य को प्रतिभाशाली रचनाकार अपने गीतों, निबंधों और कविताओं में बाँधने की कोशिश करते रहते हैं लेकिन इसके मायावी और लोकोत्तर आकर्षण का रंच मात्र ही वे रूपायित करने में सफल हो पाए हैं । अविभाजित बंगाल का सौंदर्य किसी भी संवेदनशील मस्तिष्क के भीतर हलचल पैदा कर सकता है। चाँदी सी चमकती मीलो लंबी नहरों और नदियों के बीच पन्नों की तरह चमकते हरे-भरे खेतों के चित्र संवेदनशील मन को अपूर्व आनंद से भर देते हैं। हरे-भरे खेतों में पके दानों की लहलहाती सुनहरी फसल, हवा में फुसफुसाते लंबे ताड़ के वृक्ष और साल की पत्तियों की बहती हुई मंद-मंद हवा, कंचनजंघा के उत्तंग शिखर, सुंदरवन के घने जंगल, दीघा के सुंदर रेतीले समुद्र तट और उत्तर बंगाल के हरे-भरे चाय के बागानआँखों में रचे बसे रहते हैं । प्राकृतिक छाटाओं से भरी-पूरी यह धरती युगों से महान लेखकों, कवियों और कलाकारों को  प्रेरित करती रही है । इस अनोखे वरदान के केवल वही पात्र हैं जिन्हें इस धरती पर पैदा होने का सौभाग्य मिला है अथवा वे हैं जो अविभाजित बंगाल में रह चुके हैं।

    किसी संवेदनशील मन को अपूर्व आनंद से भर देते हैं?
    (a) नदियों , नहरों और खेतों के चित्र
    (b) नदियों, समुद्रों और हीरे-पन्ने के दृश्य
    (c) चाँदी की चमक और पन्नों की हरियाली
    (d) फसलों और पेड़ों के मिले-जुले दृश्य VIEW SOLUTION


  • Question 7
    बंगाल की शस्य-श्यामला धरती का सौंदर्य अविस्मरणीय है। इसके मनोहर और उन्मुक्त सौंदर्य को प्रतिभाशाली रचनाकार अपने गीतों, निबंधों और कविताओं में बाँधने की कोशिश करते रहते हैं लेकिन इसके मायावी और लोकोत्तर आकर्षण का रंच मात्र ही वे रूपायित करने में सफल हो पाए हैं । अविभाजित बंगाल का सौंदर्य किसी भी संवेदनशील मस्तिष्क के भीतर हलचल पैदा कर सकता है। चाँदी सी चमकती मीलो लंबी नहरों और नदियों के बीच पन्नों की तरह चमकते हरे-भरे खेतों के चित्र संवेदनशील मन को अपूर्व आनंद से भर देते हैं। हरे-भरे खेतों में पके दानों की लहलहाती सुनहरी फसल, हवा में फुसफुसाते लंबे ताड़ के वृक्ष और साल की पत्तियों की बहती हुई मंद-मंद हवा, कंचनजंघा के उत्तंग शिखर, सुंदरवन के घने जंगल, दीघा के सुंदर रेतीले समुद्र तट और उत्तर बंगाल के हरे-भरे चाय के बागानआँखों में रचे बसे रहते हैं । प्राकृतिक छाटाओं से भरी-पूरी यह धरती युगों से महान लेखकों, कवियों और कलाकारों को  प्रेरित करती रही है । इस अनोखे वरदान के केवल वही पात्र हैं जिन्हें इस धरती पर पैदा होने का सौभाग्य मिला है अथवा वे हैं जो अविभाजित बंगाल में रह चुके हैं।

    लेखक की दृष्टि में बंगाल की शस्य-श्यामला धरती का सौंदर्य कैसा नहीं है?
    (a) अविस्मरणीय
    (b) मायावी
    (c) आकर्षण
    (d) असामान्य VIEW SOLUTION


  • Question 8
    बंगाल की शस्य-श्यामला धरती का सौंदर्य अविस्मरणीय है। इसके मनोहर और उन्मुक्त सौंदर्य को प्रतिभाशाली रचनाकार अपने गीतों, निबंधों और कविताओं में बाँधने की कोशिश करते रहते हैं लेकिन इसके मायावी और लोकोत्तर आकर्षण का रंच मात्र ही वे रूपायित करने में सफल हो पाए हैं । अविभाजित बंगाल का सौंदर्य किसी भी संवेदनशील मस्तिष्क के भीतर हलचल पैदा कर सकता है। चाँदी सी चमकती मीलो लंबी नहरों और नदियों के बीच पन्नों की तरह चमकते हरे-भरे खेतों के चित्र संवेदनशील मन को अपूर्व आनंद से भर देते हैं। हरे-भरे खेतों में पके दानों की लहलहाती सुनहरी फसल, हवा में फुसफुसाते लंबे ताड़ के वृक्ष और साल की पत्तियों की बहती हुई मंद-मंद हवा, कंचनजंघा के उत्तंग शिखर, सुंदरवन के घने जंगल, दीघा के सुंदर रेतीले समुद्र तट और उत्तर बंगाल के हरे-भरे चाय के बागानआँखों में रचे बसे रहते हैं । प्राकृतिक छाटाओं से भरी-पूरी यह धरती युगों से महान लेखकों, कवियों और कलाकारों को  प्रेरित करती रही है । इस अनोखे वरदान के केवल वही पात्र हैं जिन्हें इस धरती पर पैदा होने का सौभाग्य मिला है अथवा वे हैं जो अविभाजित बंगाल में रह चुके हैं।

    निम्नलिखित में से कौन सा युग गद्दांश के आधार पर सही हे?
    (a) फसल : घनी
    (b) समुद्र तट : रेतीले
    (c) कंचनजंघा : मंद हवा
    (d) चाय बागान : सुनहरे VIEW SOLUTION


  • Question 9
    बंगाल की शस्य-श्यामला धरती का सौंदर्य अविस्मरणीय है। इसके मनोहर और उन्मुक्त सौंदर्य को प्रतिभाशाली रचनाकार अपने गीतों, निबंधों और कविताओं में बाँधने की कोशिश करते रहते हैं लेकिन इसके मायावी और लोकोत्तर आकर्षण का रंच मात्र ही वे रूपायित करने में सफल हो पाए हैं । अविभाजित बंगाल का सौंदर्य किसी भी संवेदनशील मस्तिष्क के भीतर हलचल पैदा कर सकता है। चाँदी सी चमकती मीलो लंबी नहरों और नदियों के बीच पन्नों की तरह चमकते हरे-भरे खेतों के चित्र संवेदनशील मन को अपूर्व आनंद से भर देते हैं। हरे-भरे खेतों में पके दानों की लहलहाती सुनहरी फसल, हवा में फुसफुसाते लंबे ताड़ के वृक्ष और साल की पत्तियों की बहती हुई मंद-मंद हवा, कंचनजंघा के उत्तंग शिखर, सुंदरवन के घने जंगल, दीघा के सुंदर रेतीले समुद्र तट और उत्तर बंगाल के हरे-भरे चाय के बागानआँखों में रचे बसे रहते हैं । प्राकृतिक छाटाओं से भरी-पूरी यह धरती युगों से महान लेखकों, कवियों और कलाकारों को  प्रेरित करती रही है । इस अनोखे वरदान के केवल वही पात्र हैं जिन्हें इस धरती पर पैदा होने का सौभाग्य मिला है अथवा वे हैं जो अविभाजित बंगाल में रह चुके हैं।

    बंगाल की भूमि के विषय में कथन और कारण की सत्यता परखिए:
    कथन: यह धरती युगों से महान लेखकों, कवियों और कलाकारों को प्रेरित करती रही है।
    कारण: यह धरती युगों से प्राकृतिक छटाओं से भरपूर है।
    (a) कथन और कारण दोनों असत्य हैं।
    (b) कथन और कारण दोनों सत्य हैं।
    (c) कथन सत्य पर कारण असत्य हैं।
    (d) कथन असत्य है पर कारण सत्य हैं। VIEW SOLUTION


  • Question 10
    बंगाल की शस्य-श्यामला धरती का सौंदर्य अविस्मरणीय है। इसके मनोहर और उन्मुक्त सौंदर्य को प्रतिभाशाली रचनाकार अपने गीतों, निबंधों और कविताओं में बाँधने की कोशिश करते रहते हैं लेकिन इसके मायावी और लोकोत्तर आकर्षण का रंच मात्र ही वे रूपायित करने में सफल हो पाए हैं । अविभाजित बंगाल का सौंदर्य किसी भी संवेदनशील मस्तिष्क के भीतर हलचल पैदा कर सकता है। चाँदी सी चमकती मीलो लंबी नहरों और नदियों के बीच पन्नों की तरह चमकते हरे-भरे खेतों के चित्र संवेदनशील मन को अपूर्व आनंद से भर देते हैं। हरे-भरे खेतों में पके दानों की लहलहाती सुनहरी फसल, हवा में फुसफुसाते लंबे ताड़ के वृक्ष और साल की पत्तियों की बहती हुई मंद-मंद हवा, कंचनजंघा के उत्तंग शिखर, सुंदरवन के घने जंगल, दीघा के सुंदर रेतीले समुद्र तट और उत्तर बंगाल के हरे-भरे चाय के बागानआँखों में रचे बसे रहते हैं । प्राकृतिक छाटाओं से भरी-पूरी यह धरती युगों से महान लेखकों, कवियों और कलाकारों को  प्रेरित करती रही है । इस अनोखे वरदान के केवल वही पात्र हैं जिन्हें इस धरती पर पैदा होने का सौभाग्य मिला है अथवा वे हैं जो अविभाजित बंगाल में रह चुके हैं।

    इस गद्दांश का केंद्रीय-विषय है
    (a) बंगाल के जादू को बताना
    (b) अविभाजित बंगाल की धरती का सौंदर्य
    (c) बंगाल में बिताए दिनों की याद
    (d) प्रकृति का मनुष्य के ऊपर पड़ने वाला प्रभाव VIEW SOLUTION


  • Question 11
    चमड़े का रंग मनुष्य-मनुजता को बाँटे
    यह है जघन्य अपमान प्रकृति का, मानव का
    धरती पर घृणा जिए, मर जाए प्रीति प्यार
    यह धर्म मनुज का नहीं, धर्म दानव का !
    हा! प्रेम-नाम ही है रे जिसका महाकाव्य
    यदि वही नहीं तो सृष्टि सृष्टि सभ्यता जड़ मृत है
    यदि वही नहीं तो ज्ञान सकल है व्यर्थ यहाँ ।
    है गर्व तुम्हें जो अपनी उज्ज्वल सफेदी पर
    वह मिथ्या है, छल है, घमंड है चेहरे का
    रंगों का राजा तो है रंग भीतर वाला
    बाहरी रंग तो द्वारपाल है पहरे का।
    दुनिया ऐसी तस्वीर कि जिसके खाके में
    आधी गोराई तो आधी कजलाई है,
    पाँवों के नीचे यदि गौर वर्ण वसुधा
    तो सिर पर श्याम गगन की छाया छाई है।

    काव्यांश में मुख्य रूप से किस समस्या का उल्लेख किया गया है?
    (a) लिंगभेद
    (b) असमानता
    (c) रंगभेद
    (d) गैर-बराबरी VIEW SOLUTION


  • Question 12
    चमड़े का रंग मनुष्य-मनुजता को बाँटे
    यह है जघन्य अपमान प्रकृति का, मानव का
    धरती पर घृणा जिए, मर जाए प्रीति प्यार
    यह धर्म मनुज का नहीं, धर्म दानव का !
    हा! प्रेम-नाम ही है रे जिसका महाकाव्य
    यदि वही नहीं तो सृष्टि सृष्टि सभ्यता जड़ मृत है
    यदि वही नहीं तो ज्ञान सकल है व्यर्थ यहाँ ।
    है गर्व तुम्हें जो अपनी उज्ज्वल सफेदी पर
    वह मिथ्या है, छल है, घमंड है चेहरे का
    रंगों का राजा तो है रंग भीतर वाला
    बाहरी रंग तो द्वारपाल है पहरे का।
    दुनिया ऐसी तस्वीर कि जिसके खाके में
    आधी गोराई तो आधी कजलाई है,
    पाँवों के नीचे यदि गौर वर्ण वसुधा
    तो सिर पर श्याम गगन की छाया छाई है।

    कवि के अनुसार जीवन व्यर्थ कब होता है?
    (a) प्रेम नहीं होने पर
    (b) मनुष्यता से हीन होने पर
    (c) सभ्यता के जड़ होने पर
    (d) ज्ञान से विहिन होने पर VIEW SOLUTION


  • Question 13
    चमड़े का रंग मनुष्य-मनुजता को बाँटे
    यह है जघन्य अपमान प्रकृति का, मानव का
    धरती पर घृणा जिए, मर जाए प्रीति प्यार
    यह धर्म मनुज का नहीं, धर्म दानव का !
    हा! प्रेम-नाम ही है रे जिसका महाकाव्य
    यदि वही नहीं तो सृष्टि सृष्टि सभ्यता जड़ मृत है
    यदि वही नहीं तो ज्ञान सकल है व्यर्थ यहाँ ।
    है गर्व तुम्हें जो अपनी उज्ज्वल सफेदी पर
    वह मिथ्या है, छल है, घमंड है चेहरे का
    रंगों का राजा तो है रंग भीतर वाला
    बाहरी रंग तो द्वारपाल है पहरे का।
    दुनिया ऐसी तस्वीर कि जिसके खाके में
    आधी गोराई तो आधी कजलाई है,
    पाँवों के नीचे यदि गौर वर्ण वसुधा
    तो सिर पर श्याम गगन की छाया छाई है।

    उज्जवल सफेदी पर गर्व क्या है ?
    (a) सदियों की परंपरा का पालन
    (b) बाज़ार का दबाव और रंगभेद
    (c) मिथ्या, छल और अभिमान
    (d) सत्य, अभिमान और यकीन VIEW SOLUTION


  • Question 14
    चमड़े का रंग मनुष्य-मनुजता को बाँटे
    यह है जघन्य अपमान प्रकृति का, मानव का
    धरती पर घृणा जिए, मर जाए प्रीति प्यार
    यह धर्म मनुज का नहीं, धर्म दानव का !
    हा! प्रेम-नाम ही है रे जिसका महाकाव्य
    यदि वही नहीं तो सृष्टि सृष्टि सभ्यता जड़ मृत है
    यदि वही नहीं तो ज्ञान सकल है व्यर्थ यहाँ ।
    है गर्व तुम्हें जो अपनी उज्ज्वल सफेदी पर
    वह मिथ्या है, छल है, घमंड है चेहरे का
    रंगों का राजा तो है रंग भीतर वाला
    बाहरी रंग तो द्वारपाल है पहरे का।
    दुनिया ऐसी तस्वीर कि जिसके खाके में
    आधी गोराई तो आधी कजलाई है,
    पाँवों के नीचे यदि गौर वर्ण वसुधा
    तो सिर पर श्याम गगन की छाया छाई है।

    कवि कहता है ‘रंगों का राजा तो है भीतर वाला’ –  भीतर वाले रंग का क्या तात्पर्य है ?
    (a) व्यक्तित्व का आकर्षण
    (b) वास्तविक खूबसूरती
    (c) व्यक्तिगत आचरण
    (d) आंतरिक गुण और स्वभाव VIEW SOLUTION


  • Question 15
    चमड़े का रंग मनुष्य-मनुजता को बाँटे
    यह है जघन्य अपमान प्रकृति का, मानव का
    धरती पर घृणा जिए, मर जाए प्रीति प्यार
    यह धर्म मनुज का नहीं, धर्म दानव का !
    हा! प्रेम-नाम ही है रे जिसका महाकाव्य
    यदि वही नहीं तो सृष्टि सृष्टि सभ्यता जड़ मृत है
    यदि वही नहीं तो ज्ञान सकल है व्यर्थ यहाँ ।
    है गर्व तुम्हें जो अपनी उज्ज्वल सफेदी पर
    वह मिथ्या है, छल है, घमंड है चेहरे का
    रंगों का राजा तो है रंग भीतर वाला
    बाहरी रंग तो द्वारपाल है पहरे का।
    दुनिया ऐसी तस्वीर कि जिसके खाके में
    आधी गोराई तो आधी कजलाई है,
    पाँवों के नीचे यदि गौर वर्ण वसुधा
    तो सिर पर श्याम गगन की छाया छाई है।

    गोरे और काले वर्ण के लिए प्रकृति से कौन सा प्रतीक दिया गया है ?
    (a) राधा और कृष्ण का
    (b) धरती और आसमान का
    (c) नदियों और सागर का
    (d) मनुज और दानव का VIEW SOLUTION


  • Question 16
    मैं जब लौटा तो देखा
    पोटली में बँधै हुए बूँटों ने
    ​फेंके हैं अंकुर।  
    दो दिनों के बाद आज लौटा हूँ वापस
    अज़ीब गंध है घर में
    किताबों, कपड़ों और निर्जन हवा की 
    फेंटी हुई गंध
    पड़ी है चारों ओर धूल की एक परत और
    जकड़ा है जग में बासी जल
    जीवन की कितनी यात्राएँ करता रहा यह निर्जन मकान
    मेरे साथ
    तट की तरह स्थिर पर गतियों से भरा 
    सहता जल का समस्त कोलाहल –
    सूख गए हैं नीम के दातौन 
    और पोटली मे बँधे हुए बूँटों ने फेंके हैं अंकुर
    निर्जन घर में जीवन की जड़ों को
    पोसते रहे हैं ये अंकुर

    खोलता हूँ खिड़की –
    और चारों ओर से दौड़ती है हवा
    मानो इसी इंतजार मे खड़ी थी पल्लों से सट के
    पूरे घर को जल भरी तसली-सा हिलाती 
    मुझसे बाहर मुझसे अनजान
    जारी है जीवन की यात्रा अनवरत
    बदल रहा है संसार
    घर में किस प्रकार की गंध पसरी हुई थी ?
    (a) बासी खाद्य पदार्थों की
    (b) निर्जनता और बंद हवा की
    (c) किताबों और धूल की
    (d) अंकुरित चने की VIEW SOLUTION


  • Question 17
    मैं जब लौटा तो देखा
    पोटली में बँधै हुए बूँटों ने
    ​फेंके हैं अंकुर।  
    दो दिनों के बाद आज लौटा हूँ वापस
    अज़ीब गंध है घर में
    किताबों, कपड़ों और निर्जन हवा की 
    फेंटी हुई गंध
    पड़ी है चारों ओर धूल की एक परत और
    जकड़ा है जग में बासी जल
    जीवन की कितनी यात्राएँ करता रहा यह निर्जन मकान
    मेरे साथ
    तट की तरह स्थिर पर गतियों से भरा 
    सहता जल का समस्त कोलाहल –
    सूख गए हैं नीम के दातौन 
    और पोटली मे बँधे हुए बूँटों ने फेंके हैं अंकुर
    निर्जन घर में जीवन की जड़ों को
    पोसते रहे हैं ये अंकुर

    खोलता हूँ खिड़की –
    और चारों ओर से दौड़ती है हवा
    मानो इसी इंतजार मे खड़ी थी पल्लों से सट के
    पूरे घर को जल भरी तसली-सा हिलाती 
    मुझसे बाहर मुझसे अनजान
    जारी है जीवन की यात्रा अनवरत
    बदल रहा है संसार
    पोटली में बँधे चनों के अंकुरित होने का क्या अर्थ है ?
    (a) जीवन के बच जाने का
    (b) उर्वरता और नव–जीवन का
    (c) संभावनाओं के विस्तार का
    (d) फसल बोने का समय हो गया | VIEW SOLUTION


  • Question 18
    मैं जब लौटा तो देखा
    पोटली में बँधै हुए बूँटों ने
    ​फेंके हैं अंकुर।  
    दो दिनों के बाद आज लौटा हूँ वापस
    अज़ीब गंध है घर में
    किताबों, कपड़ों और निर्जन हवा की 
    फेंटी हुई गंध
    पड़ी है चारों ओर धूल की एक परत और
    जकड़ा है जग में बासी जल
    जीवन की कितनी यात्राएँ करता रहा यह निर्जन मकान
    मेरे साथ
    तट की तरह स्थिर पर गतियों से भरा 
    सहता जल का समस्त कोलाहल –
    सूख गए हैं नीम के दातौन 
    और पोटली मे बँधे हुए बूँटों ने फेंके हैं अंकुर
    निर्जन घर में जीवन की जड़ों को
    पोसते रहे हैं ये अंकुर

    खोलता हूँ खिड़की –
    और चारों ओर से दौड़ती है हवा
    मानो इसी इंतजार मे खड़ी थी पल्लों से सट के
    पूरे घर को जल भरी तसली-सा हिलाती 
    मुझसे बाहर मुझसे अनजान
    जारी है जीवन की यात्रा अनवरत
    बदल रहा है संसार
    मकान जड़ और एक स्थान पर स्थिर होने के बाद भी कवि की यात्राओं की गतिशीलता में सहयात्री है –
    यह भाव किस पंक्ति में है ?
    (a) निर्जन घर में जीवन की जड़ों को/पोसते रहे हैं ये अंकुर  
    (b) अज़ीब गंध है घर में/किताबों, कपड़ों और निर्जन हवा की
    (c) तट की तरह स्थिर पर गतियों से भरा
    (d) पूरे घर को जल भरी तसली–सा हिलाती VIEW SOLUTION


  • Question 19
    मैं जब लौटा तो देखा
    पोटली में बँधै हुए बूँटों ने
    ​फेंके हैं अंकुर।  
    दो दिनों के बाद आज लौटा हूँ वापस
    अज़ीब गंध है घर में
    किताबों, कपड़ों और निर्जन हवा की 
    फेंटी हुई गंध
    पड़ी है चारों ओर धूल की एक परत और
    जकड़ा है जग में बासी जल
    जीवन की कितनी यात्राएँ करता रहा यह निर्जन मकान
    मेरे साथ
    तट की तरह स्थिर पर गतियों से भरा 
    सहता जल का समस्त कोलाहल –
    सूख गए हैं नीम के दातौन 
    और पोटली मे बँधे हुए बूँटों ने फेंके हैं अंकुर
    निर्जन घर में जीवन की जड़ों को
    पोसते रहे हैं ये अंकुर

    खोलता हूँ खिड़की –
    और चारों ओर से दौड़ती है हवा
    मानो इसी इंतजार मे खड़ी थी पल्लों से सट के
    पूरे घर को जल भरी तसली-सा हिलाती 
    मुझसे बाहर मुझसे अनजान
    जारी है जीवन की यात्रा अनवरत
    बदल रहा है संसार

    काव्यांश की शैली किस प्रकार की है?
    (a) चित्रात्मक
    (b) विवरणात्मक
    (c) कथात्मक
    (d) वर्णनात्मक VIEW SOLUTION


  • Question 20
    मैं जब लौटा तो देखा
    पोटली में बँधै हुए बूँटों ने
    ​फेंके हैं अंकुर।  
    दो दिनों के बाद आज लौटा हूँ वापस
    अज़ीब गंध है घर में
    किताबों, कपड़ों और निर्जन हवा की 
    फेंटी हुई गंध
    पड़ी है चारों ओर धूल की एक परत और
    जकड़ा है जग में बासी जल
    जीवन की कितनी यात्राएँ करता रहा यह निर्जन मकान
    मेरे साथ
    तट की तरह स्थिर पर गतियों से भरा 
    सहता जल का समस्त कोलाहल –
    सूख गए हैं नीम के दातौन 
    और पोटली मे बँधे हुए बूँटों ने फेंके हैं अंकुर
    निर्जन घर में जीवन की जड़ों को
    पोसते रहे हैं ये अंकुर

    खोलता हूँ खिड़की –
    और चारों ओर से दौड़ती है हवा
    मानो इसी इंतजार मे खड़ी थी पल्लों से सट के
    पूरे घर को जल भरी तसली-सा हिलाती 
    मुझसे बाहर मुझसे अनजान
    जारी है जीवन की यात्रा अनवरत
    बदल रहा है संसार

    कवि के दो दिनों के बाद घर में लौटने पर घर की जो स्थिति है उससे कौन सी बात स्पष्ट रूप से कही जा सकती है?
    (a) कवि का घर किसी निर्जन स्थान पर है |
    (b) कवि के घर में बहुत बेतरतीबी फैली रहती है |
    (c) कवि की अनुपस्थिति में किसी ने घर की सफाई नहीं की
    (d) कवि अपने घर में अकेला है और उसके न होने पर घर निर्जन था | VIEW SOLUTION


  • Question 21
    "मूर्ति की आँखों पर एक चश्मा रखा था जो सरकंडे से बना था |" – रचना के आधार पर प्रस्तुत वाक्य का भेद होगा
    (a) मिश्र वाक्य 
    (b) संयुक्त वाक्य 
    (c) सरल वाक्य
    (d) कठिन वाक्य  VIEW SOLUTION


  • Question 22
    निम्नलिखित में कौन सा वाक्य सरल वाक्य नहीं है?
    (a) अंतरा अपने विद्यालय नहीं जाने के बारे में बता रही थी |
    (b) अंतरा विद्यालय न जाने के कारण पर बात कर रही थी |
    (c) अंतरा विद्यालय नहीं गई पर क्यों यह पता नहीं |
    (d) अंतरा ने किसी को अपने विद्यालय न जाने के बारे में नहीं बताया | VIEW SOLUTION


  • Question 23
    ‘जब बालगोबिन भगत खेतों में रोपाई कर रहे थे, तब लोग उन्हें कनखियों से देख रहे थे’ – यहाँ रेखाकिंत आश्रित उपवाक्य का भेद होगा?
    (a) संज्ञा आश्रित उपवाक्य   
    (b) क्रिया-विशेषण आश्रित उपवाक्य   
    (c) विशेषण आश्रित उपवाक्य  
    (d) क्रिया आश्रित उपवाक्य VIEW SOLUTION


  • Question 24
    उन्होंने विश्वभर में प्रसिद्ध हिंदी-अंग्रेजी शब्दकोश तैयार किया – प्रस्तुत वाक्य का रूपांतरित संयुक्त वाक्य होगा
    (a) उन्होंने हिंदी-अंग्रेजी शब्दकोश तैयार किआ जो विश्वभर में प्रसिद्ध है |
    (b) उन्होंने जो हिंदी–अंग्रेजी शब्दकोश तैयार किआ है वह विश्वभर में प्रसिद्ध हो गया |
    (c) जो विश्वभर में प्रसिद्ध है, उस हिंदी-अंग्रेजी शब्दकोश को उन्होंने तैयार किया |
    (d) उन्होंने हिंदी-अंग्रेजी शब्दकोश तैयार किया और वह विश्वभर में प्रसिद्ध हुआ | VIEW SOLUTION


  • Question 25
    निम्नलिखित में मिश्र वाक्य का उदाहरण है :
    (a) उसने परिश्रम किया और उसे सफलता भी मिली।
    (b) परिश्रम करने से सफलता अवश्य मिलती है।
    (c) जिसने भी परिश्रम किया वह अवश्य सफल होगा।
    (d) परिश्रम करने और सफल होने में सीधा संबंध है। VIEW SOLUTION


  • Question 26
    “अध्यापक द्वारा कक्षा का जायजा लिया गया"। - वाक्य में प्रयुक्त वाच्य है
    (a) कर्तृवाच्य
    (b) कर्मवाच्य
    (c) भाववाच्य
    (d) करणवाच्य VIEW SOLUTION


  • Question 27
    निम्नलिखित वाक्यों में कौन सा कर्मवाच्य नहीं है ?
    (a) प्रश्न पूछा गया।
    (b) सुंदर गीत लिखे हैं।
    (c) फल खाए गए।
    (d) पाठ पढ़ाया जाता है। VIEW SOLUTION


  • Question 28
    'हमसे इतनी तकलीफ सही नहीं जाती' - कर्तृवाच्य में बदलने पर होगा
    (a) हमारे द्वारा इतनी तकलीफ सही नहीं जाती।
    (b) हमसे इतनी तकलीफ कैसे सही जाएगी?
    (c) हम इतनी तकलीफ नहीं सह सकते।
    (d) हमसे इतनी तकलीफ कैसे नहीं सही जाएगी ? VIEW SOLUTION


  • Question 29
    निम्नलिखित में कौन-सा कर्तृवाच्य का उदाहरण है ?
    (a) तुलसीदास के द्वारा रामचरितमानस की रचना की गई।
    (b) तुलसीदास से रामचरितमानस रचा गया।
    (c) तुलसीदास द्वारा रामचरितमानस रची गई।
    (d) तुलसीदास ने रामचरितमानस की रचना की। VIEW SOLUTION


  • Question 30
    'राधा अब उठ-बैठ सकती है' - इस वाक्य का भाववाच्य में रूपांतरण होगा
    (a) राधा से अब उठा-बैठा जाता है।
    (b) राधा ने अब उठना-बैठना सीख लिया है।
    (c) राधा अब से उठ-बैठ सकती है।
    (d) क्या राधा से उठा जा सकता है। VIEW SOLUTION


  • Question 31
    v. पद संबंधी किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर निर्देशानुसार दीजिए :
    निम्नलिखित वाक्यों में से किसमें अकर्मक क्रिया का प्रयोग हुआ है ?
    (a) मेरी बहन एक कहानी पढ़ती है।
    (b) मेरी बहन एक उपन्यास पढ़ रही है ।
    (c) मेरी बहन एक अच्छे विद्यालय में पढ़ती है।
    (d) मेरी बहन एक दिलचस्प पुस्तक पढ़ती है । VIEW SOLUTION


  • Question 32
    v. पद संबंधी किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर निर्देशानुसार दीजिए :
    यह मेरा पसंदीदा रेस्तरां है - रेखांकित पद का परिचय है -
    (a) सार्वनामिक विशेषण, पुल्लिंग, एकवचन, 'रेस्तरां' विशेष्य
    (b) सर्वनाम, निश्चयवाचक, पुल्लिंग, एकवचन
    (c) संज्ञा, व्यक्तिवाचक, पुल्लिंग, एकवचन
    (d) सर्वनाम, अनिश्चयवाचक, पुल्लिंग, एकवचन VIEW SOLUTION


  • Question 33
    v. पद संबंधी किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर निर्देशानुसार दीजिए :
    उफ ! 'क्या सोचा था क्या हो गया' में रेखांकित पद का परिचय होगा
    (a) विस्मयादिबोधक, प्रसन्नता सूचक
    (b) विस्मयादिबोधक, शोक सूचक
    (c) विस्मयादिबोधक, अचरज सूचक
    (d) विस्मयादिबोधक, घृणा सूचक VIEW SOLUTION


  • Question 34
    v. पद संबंधी किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर निर्देशानुसार दीजिए :
    'मन की कोमलता अक्सर चोट खा जाती है” – में रेखांकित पद का परिचय होगा
    (a) भाववाचक संज्ञा, स्त्रीलिंग, एकवचन, कर्मकारक
    (b) विशेषण, गुणवाचक, स्त्रीलिंग, एकवचन, 'मन' विशेष्य
    (c) जातिवाचक संज्ञा, स्त्रीलिंग, एकवचन, कर्ताकारक
    (d) भाववाचक संज्ञा, स्त्रीलिंग, बहुवचन, कर्ताकारक VIEW SOLUTION


  • Question 35
    v. पद संबंधी किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर निर्देशानुसार दीजिए :
    घर के साथ ही एक बगीचा होता था - रेखांकित पद का परिचय होगा
    (a) संबंधबोधक अव्यय, घर और बगीचे के बीच संबंध दर्शा रहा है ।
    (b) समुच्चयबोधक, अव्यय, घर और बगीचे को जोड़ना
    (c) क्रिया-विशेषण, स्थानवाचक, 'होता था' की विशेषता
    (d) निपात VIEW SOLUTION


  • Question 36
    VI. 'रस' पर आधारित किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर निर्देशानुसार दीजिए ।
    हास्य रस का स्थायी भाव है -
    (a) विस्मय
    (b) हास
    (c) रति
    (d) हस VIEW SOLUTION


  • Question 37
    "मन रे तन कागद का पुतला
    लागै बूँद बिनसि जाय छिन में
    गरब करै क्या इतना" - इन पंक्तियों में कौन सा रस है?
    (a) वीर रस
    (b) अद्भुता रस
    (c) शांत रस
    (d) भयानक रस VIEW SOLUTION


  • Question 38
    क्रोध किस रस का स्ठायी भाव है?
    (a) करुण रस
    (b) रौद्र रस
    (c) शांत रस 
    (d) वीर रस VIEW SOLUTION


  • Question 39
    निम्नलिखित में कौन सा श्रृंगार रस का उदाहरण है?
    (a) सूख गया रस श्याम गगन का एक घूँट विष जग का पीकर।
    ऊपर ही ऊपर जल जाते सृष्टि-ताप से पावस सीकर!

    (b) सच मान, प्रेम की दुनिया में मौत नहीं, विश्राम नहीं
    सूरज जो डूबे इधर कभी तो जाकर उधर निकलते थे।

    (c) वो स्नेह करेंगें एक दिन सबसे
    उनसे जिनसे तुमने सिखाया नफरत करना

    (d) और तबसे नाम मैंने है लिखा ऐसे
    कि, सचमुच, सिंध की लहरें न उसको पाएँगी
    फूल में सौरभ, तुम्हारा नाम मेरे गीत में है। VIEW SOLUTION


  • Question 40
    रस निष्पति के लिए किन-किन की आवश्यकता होती है?
    (a) विभाव, अनुभाव, संचारी भाव
    (b) विभाव, अनुभाव, स्ठायी भाव
    (c) अनुभाव, स्ठायी भाव, संचारी भाव
    (d) विभाव, संचारी भाव और स्ठायी भाव VIEW SOLUTION


  • Question 41
    निम्नलिखित पठित गद्यांश पर आधारित प्रश्न के सही उत्तर वाले विकल्प चुनिए:
    कातिक आया नहीं कि बालगोबिन भगत की प्रभातियाँ शुरू हुई, जो फागुन तक चला करतीं। इन दिनों वह सवेरे ही उठते । न जाने किस वक्त जगकर वह नदी-स्नान को जाते - गाँव से दो मील दूर। वहाँ से नहा-धोकर लौटते और गाँव के बाहर ही, पोखरे के ऊँचे मिंडे पर अपनी खँजड़ी लेकर जा बैठते और अपने गाने टेरने लगते। मैं शुरू से ही देर तक सोने वाला हूँ। किंतु, एक दिन, माघ की उस दाँत कटकटानेवाली भोर में भी, उनका संगीत मुझे पोखरे पर ले गया था। अभी आसमान के तारों के दीपक बुझे नहीं थे। हाँ, पूरब में लोही लग गई थी जिसकी लालिमा शुक्रतारा और बढ़ा रहा था, खेत, बगीचा, घर-सब पर कुहासा छा रहा था। सारा वातावरण अजीब रहस्य से आवृत्त मालूम होता था। उस रहस्यमय वातावरण में एक कुश की चटाई पर पूरब मुँह, काली कमली ओढ़े बालगोबिन भगत अपनी खँजड़ी लिए बैठे थे। उनके मुँह से शब्दों का ताँता लगा था और उनकी अँगुलियाँ खँजड़ी पर लगातार चल रही थीं। गाते-गाते इतने मस्त हो जाते, इतने सुरूर में आते, उत्तेति हो उठते कि मालूम होता अब खड़े हो जाएँगे।

    प्रस्तुत गद्यांश में किस माह का उल्लेख नहीं हुआ है?
    (a) आश्विन
    (b) कातिक
    (c) फागुन
    (d) माघ VIEW SOLUTION


  • Question 42
    निम्नलिखित पठित गद्यांश पर आधारित प्रश्न के सही उत्तर वाले विकल्प चुनिए:
    कातिक आया नहीं कि बालगोबिन भगत की प्रभातियाँ शुरू हुई, जो फागुन तक चला करतीं। इन दिनों वह सवेरे ही उठते । न जाने किस वक्त जगकर वह नदी-स्नान को जाते - गाँव से दो मील दूर। वहाँ से नहा-धोकर लौटते और गाँव के बाहर ही, पोखरे के ऊँचे मिंडे पर अपनी खँजड़ी लेकर जा बैठते और अपने गाने टेरने लगते। मैं शुरू से ही देर तक सोने वाला हूँ। किंतु, एक दिन, माघ की उस दाँत कटकटानेवाली भोर में भी, उनका संगीत मुझे पोखरे पर ले गया था। अभी आसमान के तारों के दीपक बुझे नहीं थे। हाँ, पूरब में लोही लग गई थी जिसकी लालिमा शुक्रतारा और बढ़ा रहा था, खेत, बगीचा, घर-सब पर कुहासा छा रहा था। सारा वातावरण अजीब रहस्य से आवृत्त मालूम होता था। उस रहस्यमय वातावरण में एक कुश की चटाई पर पूरब मुँह, काली कमली ओढ़े बालगोबिन भगत अपनी खँजड़ी लिए बैठे थे। उनके मुँह से शब्दों का ताँता लगा था और उनकी अँगुलियाँ खँजड़ी पर लगातार चल रही थीं। गाते-गाते इतने मस्त हो जाते, इतने सुरूर में आते, उत्तेति हो उठते कि मालूम होता अब खड़े हो जाएँगे।

    बालगोबिन भगत गाते-गाते मस्त हो जाते, सुरूर में आते, उत्तेजित हो उठते से आप क्या समझते हैं?
    (a) जाड़े के कारण काँपने लगना
    (b) संगीत के आनंद में डूब नहीं पाना
    (c) साहब की प्रसन्नता के लिए गाना
    (d) गाने की धुन में खुद की सुध-बुध खो देना। VIEW SOLUTION


  • Question 43
    निम्नलिखित पठित गद्यांश पर आधारित प्रश्न के सही उत्तर वाले विकल्प चुनिए:
    कातिक आया नहीं कि बालगोबिन भगत की प्रभातियाँ शुरू हुई, जो फागुन तक चला करतीं। इन दिनों वह सवेरे ही उठते । न जाने किस वक्त जगकर वह नदी-स्नान को जाते - गाँव से दो मील दूर। वहाँ से नहा-धोकर लौटते और गाँव के बाहर ही, पोखरे के ऊँचे मिंडे पर अपनी खँजड़ी लेकर जा बैठते और अपने गाने टेरने लगते। मैं शुरू से ही देर तक सोने वाला हूँ। किंतु, एक दिन, माघ की उस दाँत कटकटानेवाली भोर में भी, उनका संगीत मुझे पोखरे पर ले गया था। अभी आसमान के तारों के दीपक बुझे नहीं थे। हाँ, पूरब में लोही लग गई थी जिसकी लालिमा शुक्रतारा और बढ़ा रहा था, खेत, बगीचा, घर-सब पर कुहासा छा रहा था। सारा वातावरण अजीब रहस्य से आवृत्त मालूम होता था। उस रहस्यमय वातावरण में एक कुश की चटाई पर पूरब मुँह, काली कमली ओढ़े बालगोबिन भगत अपनी खँजड़ी लिए बैठे थे। उनके मुँह से शब्दों का ताँता लगा था और उनकी अँगुलियाँ खँजड़ी पर लगातार चल रही थीं। गाते-गाते इतने मस्त हो जाते, इतने सुरूर में आते, उत्तेति हो उठते कि मालूम होता अब खड़े हो जाएँगे।

    भगत के विषय में इनमें से कौन सी बात ठीक नहीं है ?
    (a) वह सबेरे ही जगकर गाँव से दो मील दूर नदी-स्नान के लिए जाते थे।
    (b) गाँव के बाहर पोखर के ऊँचे मिंडे पर बैठ कबीर के पद गाते थे।
    (c) बहुत अधिक सर्दी में उनकी अँगुलियाँ खँजड़ी पर चल नहीं पाती थीं।
    (d) भगत पूरब की ओर मुँह किए काली कमली ओढ़कर बैठते थे। VIEW SOLUTION


  • Question 44
    निम्नलिखित पठित गद्यांश पर आधारित प्रश्न के सही उत्तर वाले विकल्प चुनिए:
    कातिक आया नहीं कि बालगोबिन भगत की प्रभातियाँ शुरू हुई, जो फागुन तक चला करतीं। इन दिनों वह सवेरे ही उठते । न जाने किस वक्त जगकर वह नदी-स्नान को जाते - गाँव से दो मील दूर। वहाँ से नहा-धोकर लौटते और गाँव के बाहर ही, पोखरे के ऊँचे मिंडे पर अपनी खँजड़ी लेकर जा बैठते और अपने गाने टेरने लगते। मैं शुरू से ही देर तक सोने वाला हूँ। किंतु, एक दिन, माघ की उस दाँत कटकटानेवाली भोर में भी, उनका संगीत मुझे पोखरे पर ले गया था। अभी आसमान के तारों के दीपक बुझे नहीं थे। हाँ, पूरब में लोही लग गई थी जिसकी लालिमा शुक्रतारा और बढ़ा रहा था, खेत, बगीचा, घर-सब पर कुहासा छा रहा था। सारा वातावरण अजीब रहस्य से आवृत्त मालूम होता था। उस रहस्यमय वातावरण में एक कुश की चटाई पर पूरब मुँह, काली कमली ओढ़े बालगोबिन भगत अपनी खँजड़ी लिए बैठे थे। उनके मुँह से शब्दों का ताँता लगा था और उनकी अँगुलियाँ खँजड़ी पर लगातार चल रही थीं। गाते-गाते इतने मस्त हो जाते, इतने सुरूर में आते, उत्तेति हो उठते कि मालूम होता अब खड़े हो जाएँगे।

    लेखक ने अपनी दिनचर्या के बारे में अलग से रेखांकित करने वाली कौन सी बात बतायी है ?
    (a) वह रोज सुबह जल्दी उठ जाते थे।
    (b) वह शुरू से ही देर तक सोने वाले व्यक्ति हैं।
    (c) आमतौर पर वे जल्दी उठ जाने वाले व्यक्ति हैं।
    (d) जाड़े के मौसम में वे देर तक सोते हैं।

      VIEW SOLUTION


  • Question 45
    निम्नलिखित पठित गद्यांश पर आधारित प्रश्न के सही उत्तर वाले विकल्प चुनिए:
    कातिक आया नहीं कि बालगोबिन भगत की प्रभातियाँ शुरू हुई, जो फागुन तक चला करतीं। इन दिनों वह सवेरे ही उठते । न जाने किस वक्त जगकर वह नदी-स्नान को जाते - गाँव से दो मील दूर। वहाँ से नहा-धोकर लौटते और गाँव के बाहर ही, पोखरे के ऊँचे मिंडे पर अपनी खँजड़ी लेकर जा बैठते और अपने गाने टेरने लगते। मैं शुरू से ही देर तक सोने वाला हूँ। किंतु, एक दिन, माघ की उस दाँत कटकटानेवाली भोर में भी, उनका संगीत मुझे पोखरे पर ले गया था। अभी आसमान के तारों के दीपक बुझे नहीं थे। हाँ, पूरब में लोही लग गई थी जिसकी लालिमा शुक्रतारा और बढ़ा रहा था, खेत, बगीचा, घर-सब पर कुहासा छा रहा था। सारा वातावरण अजीब रहस्य से आवृत्त मालूम होता था। उस रहस्यमय वातावरण में एक कुश की चटाई पर पूरब मुँह, काली कमली ओढ़े बालगोबिन भगत अपनी खँजड़ी लिए बैठे थे। उनके मुँह से शब्दों का ताँता लगा था और उनकी अँगुलियाँ खँजड़ी पर लगातार चल रही थीं। गाते-गाते इतने मस्त हो जाते, इतने सुरूर में आते, उत्तेति हो उठते कि मालूम होता अब खड़े हो जाएँगे।

    ‘पूरब में लोही लग गई थी’ - वाक्य का अर्थ है
    (a) पूरब में सूरज पूरा निकल गया।
    (b) पूरब दिशा में चाँद खूब चमक रहा है।
    (c) शुक्र तारे की चमक आसमान में बढ़ रही है।
    (d) पूरब में सूर्य निकलने से पहले की लालिमा है।

      VIEW SOLUTION


  • Question 46
    हालदार साहब ने कैप्टेन द्वारा नेताजी की मूर्ति पर चश्मा लगाने के जो अनुमान लगाए उनमें कौन सा सही नहीं है ?
    (a) उसे नेताजी की बगैर चश्मे वाली मूर्ति बुरी लगती है।
    (b) उसे अपने चश्मों का विज्ञापन करने के लिए मूर्ति उपयुक्त लगती होगी।
    (c) उसे नेताजी की बिना चश्मे वाली मूर्ति आहत करती है।
    (d) उसे लगता कि नेताजी को बिना चश्मे के असुविधा हो रही होगी। VIEW SOLUTION


  • Question 47
    नेताजी की मूर्ति किससे बनी थी ?
    (a) लाल पत्थर
    (b) ग्रेनाइट
    (c) संगमरमर
    (d) प्लास्टर ऑफ पेरिस VIEW SOLUTION


  • Question 48
    निम्नलिखित पठित काव्यांश के आधार पर दिए गए प्रश्नों के सही उत्तर वाले विकल्प चुनिए:

    कहेउ लखन मुनि सीलु तुम्हारा । को नहिं जान बिदित संसारा ।।
    माता पितहि उरिन भए नीकें । गुर रिनु रहा सोचु बड़ जी कें ।।
    सो जनु हमरेहि माथे काढ़ा । दिन चलि गए ब्याज बड़ बाढ़ा ।।
    अब आनिअ ब्यवहरिआ बोली । तुरत देउँ मैं थैली खोली ।
    सुनि कटु बचन कुठार सुधारा । हाय हाय सब सभा पुकारा ।।
    भृगुबर परसु देखावहु मोही । बिप्र बिचारि बचउँ नृपद्रोही ।।
    मिले न कबहुँ सुभट रन गाढ़े । द्विज देवता घरहि के बाढ़े ।।
    अनुचित कहि सब लोग पुकारे । रघुपति सयनहिं लखनु नेवारे ।।

    लक्ष्मण जब परशुराम को व्यंग्य में कह रहे हैं कि आप माता-पिता के ऋण से अच्छी तरह उऋण हुए तो इसके पीछे क्या कारण है ?
    (a) परशुराम अपने माता-पिता के सम्मान का माध्यम बने ।
    (b) परशुराम ने अपने माता-पिता को सुख-समृद्धि और ऐश्वर्य प्रदान किया।
    ​(c) परशुराम अपने माता-पिता की मृत्यु का कारण बने ।
    (d) परशुराम अपने माता-पिता के लिए अपयश लाने वाले बने ।

    VIEW SOLUTION


  • Question 49
    निम्नलिखित पठित काव्यांश के आधार पर दिए गए प्रश्नों के सही उत्तर वाले विकल्प चुनिए:

    कहेउ लखन मुनि सीलु तुम्हारा । को नहिं जान बिदित संसारा ।।
    माता पितहि उरिन भए नीकें । गुर रिनु रहा सोचु बड़ जी कें ।।
    सो जनु हमरेहि माथे काढ़ा । दिन चलि गए ब्याज बड़ बाढ़ा ।।
    अब आनिअ ब्यवहरिआ बोली । तुरत देउँ मैं थैली खोली ।
    सुनि कटु बचन कुठार सुधारा । हाय हाय सब सभा पुकारा ।।
    भृगुबर परसु देखावहु मोही । बिप्र बिचारि बचउँ नृपद्रोही ।।
    मिले न कबहुँ सुभट रन गाढ़े । द्विज देवता घरहि के बाढ़े ।।
    अनुचित कहि सब लोग पुकारे । रघुपति सयनहिं लखनु नेवारे ।।

    लक्ष्मण के कड़वे वचनों को सुन परशुराम ने कौन सी प्रतिक्रिया की?
    (a) अपने परशु को संभाल कर आगे बढ़े।
    (b) अपने स्थान पर अवाक खड़े रहे।
    (c) आगे बढ़कर लक्ष्मण पर वार किया।
    (d) विश्वामित्र से शिकायत करते हुए बोले। VIEW SOLUTION


  • Question 50
    निम्नलिखित पठित काव्यांश के आधार पर दिए गए प्रश्नों के सही उत्तर वाले विकल्प चुनिए:

    कहेउ लखन मुनि सीलु तुम्हारा । को नहिं जान बिदित संसारा ।।
    माता पितहि उरिन भए नीकें । गुर रिनु रहा सोचु बड़ जी कें ।।
    सो जनु हमरेहि माथे काढ़ा । दिन चलि गए ब्याज बड़ बाढ़ा ।।
    अब आनिअ ब्यवहरिआ बोली । तुरत देउँ मैं थैली खोली ।
    सुनि कटु बचन कुठार सुधारा । हाय हाय सब सभा पुकारा ।।
    भृगुबर परसु देखावहु मोही । बिप्र बिचारि बचउँ नृपद्रोही ।।
    मिले न कबहुँ सुभट रन गाढ़े । द्विज देवता घरहि के बाढ़े ।।
    अनुचित कहि सब लोग पुकारे । रघुपति सयनहिं लखनु नेवारे ।।

    लक्ष्मण का परशुराम के प्रति व्यवहार है–
    (a) आदरसूचक
    (b) अपमानजनक
    (c) सम्मानजनक
    (d) कुटिलता-भरा VIEW SOLUTION


  • Question 51
    निम्नलिखित पठित काव्यांश के आधार पर दिए गए प्रश्नों के सही उत्तर वाले विकल्प चुनिए:

    कहेउ लखन मुनि सीलु तुम्हारा । को नहिं जान बिदित संसारा ।।
    माता पितहि उरिन भए नीकें । गुर रिनु रहा सोचु बड़ जी कें ।।
    सो जनु हमरेहि माथे काढ़ा । दिन चलि गए ब्याज बड़ बाढ़ा ।।
    अब आनिअ ब्यवहरिआ बोली । तुरत देउँ मैं थैली खोली ।
    सुनि कटु बचन कुठार सुधारा । हाय हाय सब सभा पुकारा ।।
    भृगुबर परसु देखावहु मोही । बिप्र बिचारि बचउँ नृपद्रोही ।।
    मिले न कबहुँ सुभट रन गाढ़े । द्विज देवता घरहि के बाढ़े ।।
    अनुचित कहि सब लोग पुकारे । रघुपति सयनहिं लखनु नेवारे ।।

    परशुराम को 'भृगुबर' क्यों कहा जा रहा है ?

    (a) उनके क्रोधी स्वभाव के कारण ।
    (b) उनके बल और पराक्रम के कारण ।
    (c) उनके परशु का नाम था।
    (d) वे भृगु ऋषि के वंशज थे। VIEW SOLUTION


  • Question 52
    निम्नलिखित पठित काव्यांश के आधार पर दिए गए प्रश्नों के सही उत्तर वाले विकल्प चुनिए:

    कहेउ लखन मुनि सीलु तुम्हारा । को नहिं जान बिदित संसारा ।।
    माता पितहि उरिन भए नीकें । गुर रिनु रहा सोचु बड़ जी कें ।।
    सो जनु हमरेहि माथे काढ़ा । दिन चलि गए ब्याज बड़ बाढ़ा ।।
    अब आनिअ ब्यवहरिआ बोली । तुरत देउँ मैं थैली खोली ।
    सुनि कटु बचन कुठार सुधारा । हाय हाय सब सभा पुकारा ।।
    भृगुबर परसु देखावहु मोही । बिप्र बिचारि बचउँ नृपद्रोही ।।
    मिले न कबहुँ सुभट रन गाढ़े । द्विज देवता घरहि के बाढ़े ।।
    अनुचित कहि सब लोग पुकारे । रघुपति सयनहिं लखनु नेवारे ।।

    'को नहिं जान बिदित संसारा' का तात्पर्य है
    (a) संसार भर से यह बात छिपी है।
    (b) संसार भर में इसे कौन नहीं जानता?
    (c) संसार से यह बात लगभग विलुप्त है।
    (d) संसार में किसे अपनी जान प्रिय नहीं है  VIEW SOLUTION


  • Question 53
    गोपियाँ उद्धव के योग-संदेश को सुन योग को किसके लिए उपयुक्त बताती हैं ?
    (a) अत्यधिक चतुर और विद्वान के लिए।
    (b) अस्थिर मन वाले लोगों के लिए।
    (c) जिनकी मति फिर गई हो उनके लिए।
    (d) संत, महात्मा और ज्ञानी मनुष्यों के लिए। VIEW SOLUTION


  • Question 54
    गोपियों को 'कड़वी ककड़ी' के समान क्या प्रतीत हो रहा था ?
    (a) कृष्ण से वियोग
    (b) कृष्ण की राजनीति
    (c) उद्धव की बातें
    (d) योग का संदेश VIEW SOLUTION
More Board Paper Solutions for Class 10 Hindi
What are you looking for?

Syllabus