अव्यय
अविकारी शब्द की परिभाषा
जिन शब्दों में बदलाव नहीं होता, वे हमेशा एक ही रुप में बने रहते हैं, उनके एक ही रुप के कारण इन्हें (अविकारी शब्द) अव्यय कहते हैं।
दूसरे शब्दों में अव्यय का अर्थ अ + व्यय = जिनका व्यय न हो; अर्थात जो बिना विकार के हो, इन्हें बदला नहीं जा सकता इसलिए इनको अविकारी शब्दों के नाम से भी जाना जाता है।
परिभाषा :- जिन शब्दों में लिंग, वचन, पुरूष काल आदि से मिलकर विकार (रुप में बदलाव) नहीं आता, अव्यय कहलाते हैं; जैसे - ओह, अरे, तेज़, आज, परन्तु, किंतु।
अव्यय चार प्रकार के होते हैं -
(1) क्रिया विशेषण
(2) सम्बन्धबोधक
(3) समुच्चयबोधक
(4) विस्मयादिबोधक
जिन शब्दों में बदलाव नहीं होता, वे हमेशा एक ही रुप में बने रहते हैं, उनके एक ही रुप के कारण इन्हें (अविकारी शब्द) अव्यय कहते हैं।
दूसरे शब्दों में अव्यय का अर्थ अ + व्यय = जिनका व्यय न हो; अर्थात जो बिना विकार के हो, इन्हें बदला नहीं जा सकता इसलिए इनको अविकारी शब्दों के नाम से भी जाना जाता है।
परिभाषा :- जिन शब्दों में लिंग, वचन, पुरूष काल आदि से मिलकर विकार (रुप में बदलाव) नहीं आता, अव्यय कहलाते हैं; जैसे - ओह, अरे, तेज़, आज, परन्तु, किंतु।
अव्यय चार प्रकार के होते हैं -
(1) क्रिया विशेषण
(2) सम्बन्धबोधक
(3) समुच्चयबोधक
(4) विस्मयादिबोधक
क्रिया विशेषण :- जिन शब्दों के द्वारा क्रिया शब्दों की विशेषता का पता चलता है, वह क्रिया विशेषण कहलाते हैं; जैसे -
(क) मोहन मधुर गाता है।
यहाँ 'मधुर' शब्द गाने की विशेषता बता रहे हैं, इसलिए यहाँ क्रिया विशेषण है।
(ख) वह धीरे-धीरे चलती है।
'धीरे-धीरे' यहाँ चलती है कि विशेषता बता रहा है।
क्रिया विशेषण के चार भेद माने गए हैं -
(1) कालवाचक क्रिया विशेषण
(2) स्थानावाचक क्रिया विशेषण
(3) परिमाणवाचक क्रिया विशेषण
(4) रीतिवाचक क्रि…
To view the complete topic, please