1). Matti Se Matti Mile Khoke Sabhi Nishan,

Kisme Kitna Kaun hai

kaise ho pehechan...!

2). Sabki puja ek si, alag alag hai reet

masjid jaye maulvi, koyal gaye geet...!

3). Nadiyan seechain khet ko, tota kutre aam

suraj thekedaar sa, sabko baatein kaam...!

Is kavita ka arth spasht kijiye

1. अर्थात जब मनुष्य मृत्यु को प्राप्त होता है, तो उसके शरीर को चाहे दफनाया जाए, या जलाया जाए वह मिलकर मिट्टी में एक हो जाते हैं। तब पता नहीं चलता कि आमुक व्यक्ति मुस्लिम था, हिन्दू था या ईसाई था। मिट्टी में जाने के बाद धर्म नहीं रहता अलगाव नहीं रहता। बस रहती है, तो मिट्टी। वहाँ जाकर सारे भेदभाव विलीन हो जाते हैं। तब धर्म की दूहाई देने वालों से पूछो कि बता कौन-सी मिट्टी हिन्दू की है, कौन सी मुसलमान की और कौन सी ईसाई की। अर्थात उसे पहचानने वाला कोई नहीं होता।

2. किसी भी धर्म का व्यक्ति हो वे सब पूजा करते हैं। बस उनकी पूजा करने की विधि अलग होती है। उनके रीति-रिवाज भी अलग होते हैं। मौलवी जी मस्जिद में जाकर पूजा करते हैं, हिन्दू मंदिर में और ईसाई गिरजाघर में परन्तु करते वह ईश्व की पूजा ही हैं। इसी तरह पेड़ पर बैठी कोयल मीठे गीत गाकर सबके ह्दय को आनंदित करती है, तो सभी प्रकार के धार्मिक पुजारी लोगों को भक्ति से प्रेरित करते हैं।

3.  कवि धार्मिक सद्भावना का संदेश बाँटते हुए कहते हैं कि जिस प्रकार नदियाँ धर्म न देखकर सभी प्रकार की जाति तथा धर्म को मानने वाले लोगों में समान रूप से पानी का वितरण करती है और खेतों को सींचती है। तथा तोते भी आम के बाग में जाकर आम कुतरते हैं। वे यह नहीं देखते कि आम के बाग किस धर्म के हैं। उन्हें तो बस आम के बाग में आम से मतलब होता है, वैसे ही सूरज भी समान भाव से संसार के समस्त प्राणियों को जगाकर उन्हें कार्य करने के लिए प्रेरित करता है। हमें चाहिए इनसे सीख लें और धर्मिक भेदभाव को दूर करके सभी को अपना भाई ही समझें। 

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I can explain :)

1. We were all made , in the same way , by God , therefore we have no control over what we are born as and we're all essentially equal .

2. These lines try to emphasize on equality between humans and animals . It says that both worship , but humans go to temples . 

  • -4
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