prakrati aapda ka karan-asantulan hi hai

आज पूरा विश्व प्राकृतिक आपदाओं से त्रस्त है। यह अनेक रूपों में मनुष्य के रोगटें खड़े कर देता है। इसके विभिन्न नाम सुनामी, भूकंप, बाढ़, तुफान, ज्वालामुखी इत्यादि हैं। परन्तु ये आपदाएँ अचानक अनिष्टकारी हो गई हैं। क्यों? इस प्रश्न का उत्तर बहुत विचारणीय है। यदि इस पर गौर किया जाए, तो हर आपदा के पीछे मनुष्य का ही हाथ है। मनुष्य ने अपने स्वार्थ के लिए प्रकृति के साथ जो छेडछाड़ कर रहा है वह शोचनीय है। मनुष्य ने हरित पृथ्वी को वृक्षविहिन कर दिया है। पृथ्वी के गर्भ से उसके संसाधनों का बहुत अधिक दोहन किया है इसके साथ ही उसने पर्यावरण को प्रदूषित भी कर दिया है। इसे प्राकृतिक असंतुलन बढ़ गया है। ईरान और चीन भूकंप इसी का प्रत्यक्ष उदाहरण है।  ईरान में आए इस भूंकप में चालीस लोगों की मौत हो गई है और एक हज़ार से अधिक घर क्षतिग्रस्त हो गए हैं। चीन का भी यही हाल है। वहाँ आए भूकंप के कारण 11500 लोग घायल हो गए हैं और 200 से अधिक लोग मारे गए हैं। वहाँ जान और माल का बहुत नुकसान हुआ है। पूरा शहर भूकंप के प्रभाव से कांप उठा है। भारत का आसम राज्य भी इसके प्रभाव में आया है परंतु भाग्य है कि नुकसान नाम मात्र का हुआ है।  

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