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Sushantt B & 2 others asked a question
Subject: Sanskrit, asked on on 20/10/13
Ht Gopi asked a question
Subject: Sanskrit, asked on on 12/6/10

ञ्जूषात: पदानि चित्वा कथां पूरयत-

दृष्ट्वा

स्वकीयै:

कृतवान्‌

कर्तनम्‌

वृद्ध:

साट्टहासम्‌

तर्हि

क्षुद्र:

मोचयितुम्‌

अकस्मात्‌

एकस्मिन्‌ वने एक: --------------------- व्याघ्र: आसीत्‌। स: एकदा व्याधेन विस्तारिते जाले बद्ध: अभवत्‌। स: बहुप्रयासं --------------------- किन्तु जालात्‌ मुक्त: नाभवत्‌। --------------------- तत्र एक: मूषक: समागच्छत्‌। बद्धं व्याघ्रं --------------------- : तम्‌ अवदत्‌-अहो! भवान्‌ जाले बद्ध:। अहं

त्वां --------------------- इच्छामि। तच्छ्रुत्वा व्याघ्र: --------------------- अवदत्‌-अरे! त्वं क्षुद्र: जीव: मम सहाय्यं करिष्यसि। यदि त्वं मां मोचयिष्यसि --------------------- अहं त्वां न हनिष्यामि। मूषक: --------------------- लघुदन्तै: तज्जालं --------------------- कृत्वा तं व्याघ्रं बहि: कृतवान्‌।

Mr. Max asked a question
Subject: Sanskrit, asked on on 21/12/15
Yadu Krishna asked a question
Subject: Sanskrit, asked on on 27/6/13
Pooja Shah asked a question
Subject: Sanskrit, asked on on 23/9/16
Siddharth Tripathi asked a question
Subject: Sanskrit, asked on on 22/12/13
Alsa Sunny asked a question
Subject: Sanskrit, asked on on 21/11/10
Ranchordas asked a question
Subject: Sanskrit, asked on on 26/6/14
Lekshmi asked a question
Subject: Sanskrit, asked on on 11/6/14
Feuer Toh asked a question
Subject: Sanskrit, asked on on 15/9/16

ञ्जूषात: पदानि चित्वा कथां पूरयत-

दृष्ट्वा

स्वकीयै:

कृतवान्‌

कर्तनम्‌

वृद्ध:

साट्टहासम्‌

तर्हि

क्षुद्र:

मोचयितुम्‌

अकस्मात्‌

एकस्मिन्‌ वने एक: --------------------- व्याघ्र: आसीत्‌। स: एकदा व्याधेन विस्तारिते जाले बद्ध: अभवत्‌। स: बहुप्रयासं --------------------- किन्तु जालात्‌ मुक्त: नाभवत्‌। --------------------- तत्र एक: मूषक: समागच्छत्‌। बद्धं व्याघ्रं --------------------- : तम्‌ अवदत्‌-अहो! भवान्‌ जाले बद्ध:। अहं त्वां --------------------- इच्छामि। तच्छ्रुत्वा व्याघ्र: --------------------- अवदत्‌-अरे! त्वं ---------------------  जीव: मम सहाय्यं करिष्यसि। यदि त्वं मां मोचयिष्यसि --------------------- अहं त्वां न हनिष्यामि। मूषक: --------------------- लघुदन्तै: तज्जालं --------------------- कृत्वा तं व्याघ्रं बहि: कृतवान्‌।

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