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shabd roop of lata
Could You please tell me five sentences on India Gate in Sanskrit?
:)
Thank You
i need 10 to 15 sentences in sanskrit along with english translation on my city vadodara.
can i get the summary of ls " dharme dhamanam pape punyam " QUICK exam 2morrow
how i will get a essay on a holli festival in sanskrit languages?
संस्कृतेन उत्तरत-
(क) चञ्चलेन वने किं कृतम्?
(ख) व्याघ्रस्य पिपासा कथं शान्ता अभवत्?
(ग) जलं पीत्वा व्याघ्र: किम् अवदत्?
(घ) चञ्चल: 'मातृस्वस:!' इति कां सम्बोधितवान्?
(घ) जाले पुन: बद्धं व्याघ्रं दृष्ट्वा व्याध: किम् अकरोत्?
धातुं प्रत्ययं च लिखत-
पदानि
=
धातु:
प्रत्यय:
यथा- गन्तुम्
गम्
+
तुमुन्
द्रष्टुम्
---------------------
करणीय
पातुम्
खादितुम्
कृत्वा
अधोलिखितानि वाक्यानि क:/का कं/कां प्रति कथयति-
क:/का
कं/कां
यथा
इदानीम् अहं त्वां खादिष्यामि।
व्याघ्र:
व्याधम्
(क)
कल्याणं भवतु ते।
(ख)
जना: मयि स्नानं कुर्वन्ति।
(ग)
अरे मूर्ख! धर्मे धमनं पापे पुण्यं भवति एव।
(घ)
यत्र कुत्रापि छेदनं कुर्वन्ति।
(ङ)
सम्प्रति पुन: पुन: कूर्दनं कृत्वा दर्शय।
एकपदेन उत्तरं लिखत-
(क) व्याधस्य नाम किम् आसीत्?
(ख) चञ्चल: व्याघ्रं कुत्र दृष्टवान्?
(ग) विस्तृते जाले क: बद्ध: आसीत्।
(घ) बदरी-गुल्मानां पृष्ठे का निलीना आसीत्?
(ङ) अनारतं कूर्दनेन क: श्रान्त: अभवत्?
मञ्जूषात: पदानि चित्वा कथां पूरयत-
दृष्ट्वा
स्वकीयै:
कृतवान्
कर्तनम्
वृद्ध:
साट्टहासम्
तर्हि
क्षुद्र:
मोचयितुम्
अकस्मात्
एकस्मिन् वने एक: --------------------- व्याघ्र: आसीत्। स: एकदा व्याधेन विस्तारिते जाले बद्ध: अभवत्। स: बहुप्रयासं --------------------- किन्तु जालात् मुक्त: नाभवत्। --------------------- तत्र एक: मूषक: समागच्छत्। बद्धं व्याघ्रं --------------------- स: तम् अवदत्-अहो! भवान् जाले बद्ध:। अहं
त्वां --------------------- इच्छामि। तच्छ्रुत्वा व्याघ्र: --------------------- अवदत्-अरे! त्वं क्षुद्र: जीव: मम सहाय्यं करिष्यसि। यदि त्वं मां मोचयिष्यसि --------------------- अहं त्वां न हनिष्यामि। मूषक: --------------------- लघुदन्तै: तज्जालं --------------------- कृत्वा तं व्याघ्रं बहि: कृतवान्।
cant u translate all the lessons of sanskrit to english or hindi
उदाहरणानुसारं रिक्तस्थानानि पूरयत-
एकवचनम्
द्विवचनम्
बहुवचनम्
मातृ (प्रथमा)
माता
मातरौ
मातर:
स्वसृ (प्रथमा)
मातृ (तृतीया)
मात्रा
मातृभ्याम्
मातृभि:
स्वसृ (तृतीया)
स्वसृ (सप्तमी)
स्वसरि
स्वस्रो:
स्वसृषृ
मातृ (सप्तमी)
स्वसृ (षष्ठी)
स्वसु:
स्वसृणाम्
मातृ(षष्ठी)
सन्धिं कृत्वा लिखत-
मृग
आदीनाम्
तथा
एव
कुत्र
अपि
बुभुक्षित:
अस्मि
प्रति
आ
अवर्तत
guys aapko bataun ek aur prashant chauhan h....
v||| class ka! meri hi profile pic, h so...pleaese beware of him...
sanskrit punchtantara stories
hi frnds pls tell me some lines in sanskrit on self introduction
please..............send me the notes of sankrit chaper(dharme dhamnam pape punyam) fst in hindi
what is the meaning of 'ahaha'?lesson no. 5,page no. 30 last paragraph 3rd line
why we call honey singh as "yo yo"
yfyugyftyfxywfdyf + sgwuyuqgyuf
मातरौ'पद का पद-परिचय क्या है?
hey ram hey ram
plzz snd the notes of chapter dharamam pape punyam plzzzzzzzz fst its imprtnt
give a title for this
सन्धिंकृत्वा लिखत-
एकस्मिन् वने एक: --------------------- व्याघ्र: आसीत्। स: एकदा व्याधेन विस्तारिते जाले बद्ध: अभवत्। स: बहुप्रयासं --------------------- किन्तु जालात् मुक्त: नाभवत्। --------------------- तत्र एक: मूषक: समागच्छत्। बद्धं व्याघ्रं --------------------- स: तम् अवदत्-अहो! भवान् जाले बद्ध:। अहं त्वां --------------------- इच्छामि। तच्छ्रुत्वा व्याघ्र: --------------------- अवदत्-अरे! त्वं --------------------- जीव: मम सहाय्यं करिष्यसि। यदि त्वं मां मोचयिष्यसि --------------------- अहं त्वां न हनिष्यामि। मूषक: --------------------- लघुदन्तै: तज्जालं --------------------- कृत्वा तं व्याघ्रं बहि: कृतवान्।
अधोलिखितानिवाक्यानि क:/काकं/कांप्रति कथयति-
उदाहरणानुसारंरिक्तस्थानानिपूरयत-
एकपदेनउत्तरं लिखत-
(क)व्याधस्यनाम किम् आसीत्?
(ख)चञ्चल:व्याघ्रंकुत्र दृष्टवान्?
(ग)विस्तृतेजाले क:बद्ध:आसीत्।
(घ)बदरी-गुल्मानांपृष्ठे का निलीनाआसीत्?
(ङ)अनारतंकूर्दनेन क:श्रान्त:अभवत्?
धातुंप्रत्ययं चलिखत-
संस्कृतेनउत्तरत-
(क)चञ्चलेनवने किंकृतम्?
(ख)व्याघ्रस्यपिपासा कथंशान्ता अभवत्?
(ग)जलंपीत्वा व्याघ्र:किम्अवदत्?
(घ)चञ्चल:'मातृस्वस:!'इतिकां सम्बोधितवान्?
(घ)जालेपुन: बद्धंव्याघ्रं दृष्ट्वाव्याध:किम्अकरोत्?
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:)
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how i will get a essay on a holli festival in sanskrit languages?
संस्कृतेन उत्तरत-
(क) चञ्चलेन वने किं कृतम्?
(ख) व्याघ्रस्य पिपासा कथं शान्ता अभवत्?
(ग) जलं पीत्वा व्याघ्र: किम् अवदत्?
(घ) चञ्चल: 'मातृस्वस:!' इति कां सम्बोधितवान्?
(घ) जाले पुन: बद्धं व्याघ्रं दृष्ट्वा व्याध: किम् अकरोत्?
धातुं प्रत्ययं च लिखत-
पदानि
=
धातु:
प्रत्यय:
यथा- गन्तुम्
=
गम्
+
तुमुन्
द्रष्टुम्
=
---------------------
+
---------------------
करणीय
=
---------------------
+
---------------------
पातुम्
=
---------------------
+
---------------------
खादितुम्
=
---------------------
+
---------------------
कृत्वा
=
---------------------
+
---------------------
अधोलिखितानि वाक्यानि क:/का कं/कां प्रति कथयति-
क:/का
कं/कां
यथा
इदानीम् अहं त्वां खादिष्यामि।
व्याघ्र:
व्याधम्
(क)
कल्याणं भवतु ते।
---------------------
---------------------
(ख)
जना: मयि स्नानं कुर्वन्ति।
---------------------
---------------------
(ग)
अरे मूर्ख! धर्मे धमनं पापे पुण्यं भवति एव।
---------------------
---------------------
(घ)
यत्र कुत्रापि छेदनं कुर्वन्ति।
---------------------
---------------------
(ङ)
सम्प्रति पुन: पुन: कूर्दनं कृत्वा दर्शय।
---------------------
---------------------
एकपदेन उत्तरं लिखत-
(क) व्याधस्य नाम किम् आसीत्?
(ख) चञ्चल: व्याघ्रं कुत्र दृष्टवान्?
(ग) विस्तृते जाले क: बद्ध: आसीत्।
(घ) बदरी-गुल्मानां पृष्ठे का निलीना आसीत्?
(ङ) अनारतं कूर्दनेन क: श्रान्त: अभवत्?
मञ्जूषात: पदानि चित्वा कथां पूरयत-
दृष्ट्वा
स्वकीयै:
कृतवान्
कर्तनम्
वृद्ध:
साट्टहासम्
तर्हि
क्षुद्र:
मोचयितुम्
अकस्मात्
एकस्मिन् वने एक: --------------------- व्याघ्र: आसीत्। स: एकदा व्याधेन विस्तारिते जाले बद्ध: अभवत्। स: बहुप्रयासं --------------------- किन्तु जालात् मुक्त: नाभवत्। --------------------- तत्र एक: मूषक: समागच्छत्। बद्धं व्याघ्रं --------------------- स: तम् अवदत्-अहो! भवान् जाले बद्ध:। अहं
त्वां --------------------- इच्छामि। तच्छ्रुत्वा व्याघ्र: --------------------- अवदत्-अरे! त्वं क्षुद्र: जीव: मम सहाय्यं करिष्यसि। यदि त्वं मां मोचयिष्यसि --------------------- अहं त्वां न हनिष्यामि। मूषक: --------------------- लघुदन्तै: तज्जालं --------------------- कृत्वा तं व्याघ्रं बहि: कृतवान्।
cant u translate all the lessons of sanskrit to english or hindi
उदाहरणानुसारं रिक्तस्थानानि पूरयत-
एकवचनम्
द्विवचनम्
बहुवचनम्
यथा
मातृ (प्रथमा)
माता
मातरौ
मातर:
स्वसृ (प्रथमा)
---------------------
---------------------
---------------------
मातृ (तृतीया)
मात्रा
मातृभ्याम्
मातृभि:
स्वसृ (तृतीया)
---------------------
---------------------
---------------------
स्वसृ (सप्तमी)
स्वसरि
स्वस्रो:
स्वसृषृ
मातृ (सप्तमी)
---------------------
---------------------
---------------------
स्वसृ (षष्ठी)
स्वसु:
स्वस्रो:
स्वसृणाम्
मातृ(षष्ठी)
---------------------
---------------------
---------------------
सन्धिं कृत्वा लिखत-
मृग
+
आदीनाम्
=
---------------------
तथा
+
एव
=
---------------------
कुत्र
+
अपि
=
---------------------
बुभुक्षित:
+
अस्मि
=
---------------------
प्रति
+
आ
+
अवर्तत
=
---------------------
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sanskrit punchtantara stories
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please..............send me the notes of sankrit chaper(dharme dhamnam pape punyam) fst in hindi
what is the meaning of 'ahaha'?lesson no. 5,page no. 30 last paragraph 3rd line
why we call honey singh as "yo yo"
yfyugyftyfxywfdyf + sgwuyuqgyuf
मातरौ'पद का पद-परिचय क्या है?
hey ram hey ram
plzz snd the notes of chapter dharamam pape punyam plzzzzzzzz fst its imprtnt
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सन्धिंकृत्वा लिखत-
मृग
+
आदीनाम्
=
---------------------
तथा
+
एव
=
---------------------
कुत्र
+
अपि
=
---------------------
बुभुक्षित:
+
अस्मि
=
---------------------
प्रति
+
आ
+
अवर्तत
=
---------------------
मञ्जूषात: पदानि चित्वा कथां पूरयत-
दृष्ट्वा
स्वकीयै:
कृतवान्
कर्तनम्
वृद्ध:
साट्टहासम्
तर्हि
क्षुद्र:
मोचयितुम्
अकस्मात्
एकस्मिन् वने एक: --------------------- व्याघ्र: आसीत्। स: एकदा व्याधेन विस्तारिते जाले बद्ध: अभवत्। स: बहुप्रयासं --------------------- किन्तु जालात् मुक्त: नाभवत्। --------------------- तत्र एक: मूषक: समागच्छत्। बद्धं व्याघ्रं --------------------- स: तम् अवदत्-अहो! भवान् जाले बद्ध:। अहं त्वां --------------------- इच्छामि। तच्छ्रुत्वा व्याघ्र: --------------------- अवदत्-अरे! त्वं --------------------- जीव: मम सहाय्यं करिष्यसि। यदि त्वं मां मोचयिष्यसि --------------------- अहं त्वां न हनिष्यामि। मूषक: --------------------- लघुदन्तै: तज्जालं --------------------- कृत्वा तं व्याघ्रं बहि: कृतवान्।
अधोलिखितानिवाक्यानि क:/काकं/कांप्रति कथयति-
क:/का
कं/कां
यथा
इदानीम् अहं त्वां खादिष्यामि।
व्याघ्र:
व्याधम्
(क)
कल्याणं भवतु ते।
---------------------
---------------------
(ख)
जना: मयि स्नानं कुर्वन्ति।
---------------------
---------------------
(ग)
अरे मूर्ख! धर्मे धमनं पापे पुण्यं भवति एव।
---------------------
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(घ)
यत्र कुत्रापि छेदनं कुर्वन्ति।
---------------------
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(ङ)
सम्प्रति पुन: पुन: कूर्दनं कृत्वा दर्शय।
---------------------
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उदाहरणानुसारंरिक्तस्थानानिपूरयत-
एकवचनम्
द्विवचनम्
बहुवचनम्
यथा
मातृ (प्रथमा)
माता
मातरौ
मातर:
स्वसृ (प्रथमा)
---------------------
---------------------
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मातृ (तृतीया)
मात्रा
मातृभ्याम्
मातृभि:
स्वसृ (तृतीया)
---------------------
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---------------------
स्वसृ (सप्तमी)
स्वसरि
स्वस्रो:
स्वसृषृ
मातृ (सप्तमी)
---------------------
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स्वसृ (षष्ठी)
स्वसु:
स्वस्रो:
स्वसृणाम्
मातृ(षष्ठी)
---------------------
---------------------
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एकपदेनउत्तरं लिखत-
(क)व्याधस्यनाम किम् आसीत्?
(ख)चञ्चल:व्याघ्रंकुत्र दृष्टवान्?
(ग)विस्तृतेजाले क:बद्ध:आसीत्।
(घ)बदरी-गुल्मानांपृष्ठे का निलीनाआसीत्?
(ङ)अनारतंकूर्दनेन क:श्रान्त:अभवत्?
धातुंप्रत्ययं चलिखत-
पदानि
=
धातु:
प्रत्यय:
यथा- गन्तुम्
=
गम्
+
तुमुन्
द्रष्टुम्
=
---------------------
+
---------------------
करणीय
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---------------------
+
---------------------
पातुम्
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खादितुम्
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+
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कृत्वा
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---------------------
+
---------------------
संस्कृतेनउत्तरत-
(क)चञ्चलेनवने किंकृतम्?
(ख)व्याघ्रस्यपिपासा कथंशान्ता अभवत्?
(ग)जलंपीत्वा व्याघ्र:किम्अवदत्?
(घ)चञ्चल:'मातृस्वस:!'इतिकां सम्बोधितवान्?
(घ)जालेपुन: बद्धंव्याघ्रं दृष्ट्वाव्याध:किम्अकरोत्?