Board Paper of Class 10 2003 Hindi (SET 3) - Solutions
(ii) चारों खण्डों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
(iii) यथासंभव प्रत्येक खण्ड के उत्तर क्रमश: दीजिए।
- Question 1
निम्नलिखित अपठित गद्यांश के आधार पर दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए –
मैंने तो लेनिनग्राद में भी देखा कि गर्मियों के प्राय: तीन महीने जिसमें जुलाई और अगस्त भी शामिल हैं, रात्रि होती ही नहीं। दस बजे सूर्यास्त हुआ, दो घंटा गोधूली ने लिया और अगले दो घंटों को उषा ने। इस प्रकार रात बेचारी के लिए अवकाश ही नहीं रह जाता, और आधी रात को भी आप घर से बाहर बिना चिराग के अखबार पढ़ सकते हैं।
इस भौगोलिक विचित्रताओं का थोड़ा-बहुत ज्ञान घुमक्कड़ को अपनी प्रथम यात्रा से पहले होना चाहिए। जब वह किसी खास देश में विचरने जा रहा हो, तो उसके बारे में बड़े नक्शे को लेकर सभी चीज़ों का भली-भाँति अध्ययन करना चाहिए। तिब्बत और भारत के बीच में उत्तुंग हिमालय की पर्वतमालाएँ हैं, लेकिन वह कभी मनुष्य के लिए दुर्लंध्य नहीं रही। कश्मीर से लेकर असम तक कई सौ ऐसे पर्वत-कुंठ हैं, जिनसे पर्वत-पृष्ठों को पार किया जा सकता है। हाँ, रास्ते सभी सुगम नहीं हैं, न सभी रास्तों में बस्तियाँ आसानी से मिलती हैं, इसलिए अपरिचित व्यक्ति को ऐसे ही डाँडों को पकड़ना पड़ता है, जिनसे प्रधान रास्ते जाते हैं। जहाँ राज्य की तरफ से दिक्कतें हैं, वहाँ भेष बदल कर रास्तों को पार किया जा सकता है, अथवा अप्रचलित रास्तों को स्वीकार करना पड़ता है।
नक्शे को देखकर असम, भूटान, सिक्किम, नेपाल, कुमायूँ, टिहरी, बुशहर, काँगड़ा और कश्मीर से तिब्बत की ओर जाने वाले रास्तों, उनकी बस्तियों तथा भिन्न-भिन्न स्थानों की पहाड़ी ऊँचाइयों को जिसने देख लिया है, उसके लिए कितनी ही बातें साफ हो जाती हैं। एक डाँडा पार कर लेने पर तो दूसरे रास्ते की जानकारी स्वयं ही बहुत-सी हो जाती है। जिसमें घुमक्कड़ी का अंकुर निहित है, उसे दो-चार मर्तबा देखा नक्शा आँख मुँदने पर भी दिखलाई पड़ता है। कम-से-कम नक्शे के साथ उसका अत्यधिक प्रेम तो होता ही है। यह भी स्मरण रखना चाहिए कि छिपकर की गई यात्राओं में अक्सर नक्शे का पास रखना ठीक नहीं होता, कभी-कभी तो उसके कारण विदेशी गुप्तचर माना जाने लगता है, इसलिए घुमक्कड़ यदि नक्शे को दिमाग में बैठा ले, तो अच्छा है। कभी-कभी सुपरिचित-सी साधारण पुस्तक के छपे नक्शे से भी काम लिया जा सकता है। नक्शा ही नहीं, बाज़ वक्त तो पुस्तक को भी छोड़ देना पड़ता है। प्रथम तिब्बत-यात्रा में, पहले जिस अंग्रेज़ी पुस्तक से मैंने तिब्बती भाषा का अध्ययन किया था, उसे एक स्थान पर छोड़ देना पड़ा और नक्शों को नदी में बहाना पड़ा।
नक्शों के उपयोग के साथ-साथ थोड़ा-बहुत नक्शा बनाने का अभ्यास हो तो अच्छा है। दूसरे, नक्शे से काम की चीज़ें उतार लेना तो अवश्य आना चाहिए। जो घुमक्कड़ भूगोल के संबंध में विशेष परिश्रम कर चुका है और जिसे अल्पपरिचत-से स्थानों में जाना है, उसको उक्त स्थान के नक्शे के शुद्ध-अशुद्ध होने की जाँच करनी चाहिए। तिब्बत ही नहीं, असम में उत्तरी कोण पर भी कुछ ऐसे स्थान हैं, जिनका प्रामाणिक नक्शा नहीं बन पाया है। नक्शों में बिंदु जोड़कर बनाई नदियाँ दिखाई गई होती हैं, जिसका अर्थ यही है कि वहाँ के लिए अभी नक्शा बनाने वाले अपने ज्ञान को निर्विवाद नहीं समझते। आज के घुमक्कड़ का एक कर्त्तव्य ऐसी विवादास्पद जगहों के बारे में निर्विवाद तथ्य का निकालना भी है। ऐसा भी होता है कि घुमक्कड़ पहले से किसी बात के लिए तैयार नहीं रहता, लेकिन आवश्यकता पड़ने पर वह उसे सीख लेता है। आवश्यकताओं ने ही बलात्कार करके मुझे कितनी ही चीज़ें सिखलाईं। मेरे घुमक्कड़ मित्र मानसरोवर-वासी स्वामी प्रणवानंद जी को आवश्यकता ही ने योगी परिव्राजक से भूगोलज्ञ बना दिया और उन्होंने मानसरोवर प्रदेश के संबंध में कुछ निर्भ्रांत समझी जाने वाली भ्रांत धारणाओं का संशोधन किया। हम नहीं कहते हरेक घुमक्कड़ को सर्वज्ञ होना चाहिए, किन्तु घुमक्कड़ी-पथ पर पैर रखते हुए कुछ-कुछ ज्ञान तो बहुत-सी बातों का होना ज़रूरी है।
सभी देशों के अच्छे नक्शे न मिल सकें, और सभी देशों के संबंध में परिचय-ग्रंथ भी अपनी परिचित भाषा में शायद न मिले किंतु जो भी साहित्य उपलब्ध हो सके, उस देश के भीतर घुसने से पहले पढ़ लेना बहुत लाभदायक होता है। इससे आदमी का दृष्टिकोण विशाल हो जाता है, सभी तो नहीं लेकिन बहुत से धुँधले स्थान भी प्रकाश में आ जाते हैं। अपने पूर्वज घुमक्कड़ों के परिश्रम के फल से लाभ उठाना हरेक घुमक्कड़ का कर्त्तव्य है।
घुमक्कड़ के उपयोग की पुस्तकें केवल अंग्रेज़ी में ही नहीं हैं, जर्मन, रूसी और फ्रेंच में भी ऐसी बहुत-सी पुस्तकें हैं। हमारी हिन्दी तो देश की परतंत्रता के कारण अभी तक अनाथ थी। किंतु अब हमारा कर्त्तव्य है कि हिन्दी में इस तरह के साहित्य का निर्माण करें। हमारे देशभाई व्यापार या दूसरे सिलसिले में दुनिया के कौन-से छोर में नहीं पहुँचे हैं? एशिया और यूरोप का कोई स्थान नहीं, जहाँ पर वह न हों। उत्तरी अमेरिका और दक्षिणी अमेरिका के राज्यों में कितनी ही जगहों में हज़ारों की तादाद में वह बस गए हैं जिनके हाथ में लेखनी है और जिनकी आँखों ने देखा है। इन दोनों के संयोग से बहुत-सी लोकप्रिय पुस्तकें तैयार की जा सकती हैं। अभी तक अंग्रेज़ी, फ्रेंच, जर्मन, रूसी, चीनी में जो पुस्तकें भिन्न-भिन्न देशों के बारे में लिखी गई हैं, उनका अनुवाद तो होना ही चाहिए। अरब-पर्यटकों ने आठवीं से चौदहवी-पंद्रहवीं सदी तक दुनिया के देशों के संबंध में बहुत-से भौगोलिक ग्रंथ लिखे। पश्चिमी भाषाओं से विशेष ग्रंथमाला निकाल इन ग्रंथों का अनुवाद कराया गया। हमारे घुमक्कड़ों को पर्यटन में पूरी सहायता के लिए यह आवश्यक है कि आदिमकाल से लेकर आज तक भूगोल के जितने महत्त्वपूर्ण ग्रंथ किसी भाषा में लिखे गए हैं, उनका हिन्दी में अनुवाद कर दिया जाए।
(i) लेनिनग्राद में लेखक को दिन-रात के समय में क्या परिवर्तन दिखाई दिया? (2)
(ii) छिपकर की गई यात्राओं में यात्री को नक्शा पास रखने से क्या हानि हो सकती है? (2)
(iii) स्वामी प्रणवानन्द योगी परिव्राजक से भूगोलज्ञ कैसे बन गए? (2)
(iv) किसी देश की यात्रा करने से पहले पर्यटक को क्या करना चाहिए? (2)
(v) उपरोक्त गद्यांश का शीर्षक लिखिए। (2)
(vi) 'निर्भ्रान्त' तथा 'अल्पपरिचित' शब्दों का प्रयोग अपने वाक्यों में कीजिए। (2)
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- Question 2
निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए –
जीवन के लिए ज़रूरी है-थोड़ी सी छावँ
थोड़ी-सी धूप
थोड़ा-सा प्यार
थोड़ा-सा रूप।
जीवन के लिए ज़रूरी है-थोड़ी तकरार
थोड़ी मनुहार।
थोड़े-से शूल
अँजुरीभर फूल।
जीवन के लिए ज़रूरी हैं-दो चार आँसू
थोड़ी मुस्कान।
थोड़ा-सा दर्द
थोड़े-से गान।
जीवन के लिए ज़रूरी है-उजली-सी भोर
सतरंगी शाम।
हाथों को काम
तन को आराम।(i) जीवन के लिए थोड़ी सी छाँव के साथ और क्या ज़रूरी है? (2)
(ii) तकरार के साथ और शूल के साथ क्या-क्या चाहिए? (2)
(iii) आँसू और दर्द किससे जुड़े हैं? (2)
(iv) भोर और कठिन परिश्रम के साथ क्या ज़रूरी है? (1)
(v) निन्दा प्राय: कौन करते हैं? (1)
अथवा
तिनका-तिनका लाकर चिड़िया
रचती है आवास नया।
इसी तरह से रच जाता है
सर्जन का आकाश नया।
मानव और दानव में यूँ तो
भेद नज़र नहीं आएगा।
एक पोंछता बहते आँसू
जीभर एक रूलाएगा।
रचने से ही आ पाता है
जीवन में विश्वास नया।
कुछ तो इस धरती पर केवल
खून बहाने आते हैं।
आग बिछाते हैं राहों में
फिर खुद भी जल जाते हैं।
जो होते खुद मिटने वाले
वे रचते इतिहास नया।
मंत्र नाश का पढ़ा करें कुछ
द्वार-द्वार पर जा करके।
फूल खिलाने वाले रहते
घर-घर फूल खिला करके।(i) सर्जन का नया आकाश कैसे बनता है? (2)
(ii) मानव और दानव में क्या अन्तर है? (2)
(iii) जीवन में नया विश्वास किस प्रकार आता है? (1)
(iv) अत्याचार करने वालों का क्या अन्त होता है? (1)
(v) नाशका मंत्र पढ़ने और फूल खिलाने से क्या तात्पर्य है? (2)
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- Question 3
निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर लगभग 300 शब्दों में निबन्ध लिखिए –
(क) आपने अपने जीवन में अनेक अध्यापकों से शिक्षा ग्रहण की होगी। आप किसे अपना आदर्श अध्यापक मानते हैं? आपको अपने आदर्श अध्यापक के कौन से गुण प्रभावित करते हैं?
(ख) वर्तमान युग में दूरदर्शन के महत्व को चुनौती नहीं दी जा सकती। यह मनोरंजन का सर्वाधिक महत्वपूर्ण साधन है। युवा पीढ़ी पर दूरदर्शन का कैसा प्रभाव पड़ रहा है? इससे युवा वर्ग का चरित्र किस प्रकार प्रभावित हो रहा है? इस विषय पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
(ग) मानव धर्म का सम्बन्ध अत्यन्त गहन है। धर्म से क्या आश्य है? धर्म और राजनीति के मिश्रण का समाज पर क्या दुष्प्रभाव पड़ता है? धर्म और विज्ञान का पारस्परिक सम्बन्ध क्या है? इन सब तथ्यों को स्पष्ट करते हुए मानव और धर्म विषय पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
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- Question 4
आपके विद्यालय में होने वाले वार्षिक उत्सव में आपको पुरस्कृत किया जाएगा। आप चाहते हैं कि आपकी माताजी भी इसे देखें। माताजी को बुलाने के लिए पत्र लिखिए।
अथवा
आपके मोहल्ले में आए दिन चोरियाँ हो रही हैं। उनकी रोकथाम के लिए थानाध्यक्ष को गश्त बढ़ाने हेतु पत्र लिखिए।
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- Question 6
उचित 'अवयव' से रिक्त स्थान भरिए –
(i) वह ................ चल रहा था।
(ii) वह मोहन ............. भाई है।
(iii) मोहन देर .............. प्रतीक्षा करता रहा।
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- Question 11
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं तीन का उत्तर दीजिए – (3 + 3 + 3)
(i) परशुराम ने अपने बल और पराक्रम का वर्णन करते हुए क्या कहा?
(ii) कवि देव ने चाँदनी रात का वर्णन किस प्रकार किया?
(iii) 'आत्मकथ्य' कविता में स्मृति को पाथेय बनाने से कवि का क्या आशय है?
(iv) 'उत्साह' कविता में बादल किन-किन अर्थों की ओर संकेत करता है?
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- Question 16
झिलमिलाते सितारों की रोशनी में नहाया गंतोक लेखिका को किस तरह सम्मोहित कर रहा था?
अथवा
"दुलारी विशिष्ट कहे जाने वाले सामाजिक सांस्कृतिक दायरे से बाहर है फिर भी अति विशिष्ट है।" इस कथन को ध्यान में रखते हुए दुलारी की चारित्रिक विशेषताएँ बताइए।
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