Board Paper of Class 10 2005 Hindi (SET 1) - Solutions
(ii) चारों खण्डों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
(iii) यथासंभव प्रत्येक खण्ड के उत्तर क्रमश: दीजिए।
- Question 1
निम्नलिखित अपठित गद्यांश के आधार पर दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए –
दूर-दूर के वणिक चारों राहों से अपना सौदा लिए आते-जाते हैं। आस-पास के पेड़ों की सघन छाया में उनके ऊँट, उनकी गाड़ियाँ खड़ी रहती हैं और उस सूखे आम से जब-तब बस कोई पागल कभी लिपट जाता है। कोई साँड कभी उसे सींग मार देता है, कोई सियार उसकी सूखी उखड़ी जड़ों में बैठ रात में रो उठता है।
पर जैसा जानकारों ने बताया, कभी वह पेड़ हरा था, उसकी जड़ें धरती की नरम-नरम मिट्टी में दबी थीं, और उसकी छतनार डालें आकाश में ऐसी फैली हुई थीं जैसे विशाल पक्षी के डैने। और उन डालियों के कोटरों में अनगिनत घोंसले थे। पनाह के नीड़, बसेरे। दूर बियाबाँ से लौटकर पक्षी उनमें बसेरा करते, रात की भीगी गहराई में खोकर सुबह दिशाओं की ओर उड़ जाते।
और मैं जो उस पेड़ के ठूँठपन पर कुछ दुखी हो चुप हो जाता तो वह जानकार कहता, उसने वह कथा कितनी ही बार कही, आँखों देखी बात है, इस पेड़ की सघन छाया में कितने बटोहियों ने गए प्राण पाए हैं, कितने ही सूखे हरे हुए हैं। सुनो उसकी कथा, सारी बताता हूँ और उसने बताया, जलती दुपहरी में मरीचिका की नाचती आग के बीच यह पेड़ हरा-भरा झूमा पत्तों के विस्तृत ताज को सिर से उठाए। आँधी और तूफ़ान में उसकी डालें एक-दूसरे से टकरातीं, टहनियाँ एक-दूसरे में गुँथ जातीं और जब तपी धरती बादलों की झरती झींसी रोम-रोम से पीती और रोम-रोम सजीव कर उनमें से लता प्रतानों के अंकुर फोड़ देती तब पेड़ जैसे मुस्कराता और बढ़ती लताओं की डाली रुपी भुजाओं से जैसे उठाकर भेंट लेता। उस विशाल तरु में तब बड़ा रस था। उसकी टहनी-टहनी, डाली-डाली, पोर-पोर में रस था और उसे छलका-छलका वह लता वल्लरियों को निहाल कर देता। अनंत लताएँ, अनंत वल्लरियाँ पावस में उसके अंग-अंग से, उसकी फूटती संधियों से लिपटी रहतीं और देखने वाले बस उसके सुख को देखते रह जाते।
और मेरा वह जानकार बुज़ुर्ग एक लंबी साँस लेकर थका सा कह चला कि तुम क्या जानो, जिसने केवल पावस और वसंत ही देखें हैं, निदाघ और पतझड़ न देखे, केवल अंकुर और कोपलें ही फूटती देखी हैं, सूखती साँस न देखी, पीले झड़ते पत्ते न देखे? फिर एक दिन, एक साल कुछ ऐसा हुआ कि जैसे सब कुछ बदल गया। जहाँ वसंत के आते ही पत्रों के से कोमल पत्ते उस वृक्ष की टहनियों से हवा में डोलने लगते थे, वहाँ उस साल फिर वे पत्ते न डोले, वे टहनियाँ सूख चलीं। दूर दिशाओं से आकर उस पेड़ की नीड़ों में विश्राम करने वाले पक्षी उसकी छतनार डालों से उड़ गए। जहाँ अनंत-अनंत कोयलें कूका करती थीं। बौराई फुनगियों पर भौंरों की काली पंक्तियाँ मँडराया करती थीं, सहसा उस पेड़ का रस सूख चला।
और जैसे उसे बसेरा लेने वाले पक्षी छोड़ चले, जैसे कूकती कोयलें, टेरते पपीहे, मँडराते भौंरे उसके अनजाने हो गए। वैसे ही लता वल्लरियाँ उसके स्कंध देश से, उसकी फैली मज़बूत डालियों से उसकी मदमाती झूमती टहनियों से धीरे-धीरे उतर गईं, कुछ सूख गईं, मर गईं। उस लता-संपदा के बीच फिर भी एक मधुर मदिर पुष्पवती पराग भरी वल्लरी उससे लिपटी रही, और ऐसी कि लगता कि प्रकृति के परिवर्तन उस पर असर नहीं करते। वासंती जैसे सारी त्रुटियों में रसभरी वासंती बनी रहती। सहकार वृक्ष से लिपटी वल्लरियों की उपमा कवियों ने अनेकानेक दी हैं। पर वह तो साहित्य और कल्पना की बात थी, उसे कभी चेता न था, पर चेता मैंने उसे अब, जब उस एकांत वल्लरी की उस प्रकांड तरु से लिपटे पाया। लगा जैसे काल ठमक गया है, जैसे सदियाँ एक के बाद एक ज़माने की राह उतरती जाएँगी, पर वल्लरी पेड़ से अलग न होगी, दोनों के संबंध में व्यवधान न होगा। और उन्हें-दूसरे से लिपटे जो कोई देखता उनके चिर विलास का, चिर सुख का, कभी अंत ना होने वाले संबंध का आशीर्वाद देता।
पर विधाता से किसी का सुख कब देखा गया? वल्लरी वृक्ष से अलग हो गई, वृक्ष सूख गया, तुम्हारी सामने आकाश का परिकर बाँधे वह खड़ा है।
पर वल्लरी? वल्लरी सूखी नहीं, मात्र उस वृक्ष से हट गई। उस दूसरे वृक्ष को देखते हो न? उस तनवान, प्राणवान, पुलकित रसाल को, जिस पर आज भी कोयल कूकती है, पपीहे टेरते हैं, भौंरे मँडराते हैं। उसी तरु से वह वल्लरी अब जा लिपटी है।
(i) आम के सूखे वृक्ष की स्थिति का वर्णन कीजिए? (2)
(ii) सूखने से पूर्व उस वृक्ष की कैसी स्थिति थी? (2)
(iii) वृक्ष के सूखने पर वल्लरियों ने क्या किया? (2)
(iv) लेखक ने किस संदर्भ में कहा है कि विधाता से किसी का सुख देखा नहीं जाता? (2)
(v) उपरोक्त गद्यांश का शीर्षक लिखिए। (2)
(vi)उपरोक्त गद्यांश से कोई दो विशेषण छाँटकर लिखिए। (2)
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- Question 2
निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए –
हे ग्राम देवता नमस्कार!
सोने चाँदी से नहीं किंतु तुमने मिट्टी से किया प्यार
हे ग्राम-देवता नमस्कार!
जन-कोलाहल से दूर कहीं एकाकी सिमटा-सा
निवास
रवि-शशि का उतना नहीं कि जितना प्राणों का होता
प्रकाश।
श्रम-वैभव के बल पर करते हो जड़ में चेतन का
विकास।
दानों-दानों से फूट रहे सौ-सौ दानों के हरे हास।
यह है न पसीने की धारा, यह गंगा की है धवल धार।
हे ग्राम-देवता नमस्कार(i) इस कविता का उचित शीर्षक बताइए। (1)
(ii) ग्राम देवता कहाँ रहता है? (1)
(iii) ग्राम देवता किससे प्यार करता है? (2)
(iv) ग्राम-देवता जड़ में चेतन का विकास कैसे करता है? (2)
(v) 'यह है न पसीने की धारा, यह गंगा की है धवल धार' का आशय स्पष्ट कीजिए। (2)
अथवा
मैं तो वही खिलौना लूँगा मचल गया शिशु राजकुमार।
वह बालक पुचकार रहा था पथ में जिसको बारंबार।
वह तो मिट्टी का ही होगा, खेलो तुम तो सोने से।
दौड़ पड़े सब दास-दासियाँ राजपुत्र के रोने से।
मिट्टी का हो या सोने का, इनमें वैसा एक नहीं।
खेल रहा था उछल-उछलकर वह तो उसी खिलौने से।
राजहठी ने फेंक दिए सब, अपने रजत-हेम-उपहार।
लूँगा वही, वही लूँगा मैं, मचल गया वह राजकुमार।(i) इस कविता का उचित शीर्षक लिखिए? (1)
(ii) शिशु राजकुमार क्यों हठ कर रहा था? (1)
(iii) दास दासियों ने राजकुमार को क्या कह कर समझाया? (2)
(iv) राजकुमार के रोने पर क्या हुआ? (2)
(v) राजकुमार ने हठ में आ कर क्या किया? (2)
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- Question 3
निम्नलिखित में से एक विषय पर लगभग 300 शब्दों में निबन्ध लिखिए –
(क) वर्तमान युग में भ्रष्टाचार निरंतर बढ़ता ही जा रहा है। प्रत्येक व्यक्ति धन की लालसा से ग्रस्त है। इसके फलस्वरुप भ्रष्टाचार में वृद्धि हो रही है। व्यापारी वस्तुओं में मिलावट करते हैं। पारिवारिक सम्बन्धों में अनैतिकता में वृद्धि हो रही है। वेश्याओं की बढ़ती संख्या समाज को खोखला कर रही है।
(ख) आधुनिक युग में खेल मनोरंजन का एक प्रमुख साधन है। खेल और स्वास्थय का गहरा सम्बन्ध है। अच्छे खिलाड़ियों को विज्ञापनों से करोड़ों रुपए प्रतिवर्ष प्राप्त होते हैं। आजकल क्रिकेट जैसे खेलों पर अरबों रुपए का सट्टा लगाया जाता है। यदि खेल न होते तो हानि के साथ अनेक लाभ भी होते।
(ग) मैं पिछले अनेक वर्षों से कारावास की यातना भोग रहा हूँ। मैं पहले एक निर्दोष बालक था परन्तु एक विशेष घटना के कारण मुझे जेल जाना पड़ा। जेल की स्थिति अत्यन्त शोचनीय है। मैं जेल में परिश्रम और पश्चाताप करते हुए अपना समय व्यतीत कर रहा हूँ।
(घ) आज महानगर में बढ़ता प्रदूषण आपके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है जिसके कारण आपको अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। उनका उल्लेख करते हुए बताइए कि बढ़ते हुए प्रदूषण को रोकने में प्रत्येक नागरिक की क्या भूमिका हो सकती है।
(ङ) जीवन में संगति का अत्यधिक महत्त्व है। संगति का जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। जीवन में आप यदि सफलता पाना चाहते हैं तो आपको श्रेष्ठ व्यक्तियों की संगति करनी चाहिए।
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- Question 4
स्वास्थ्य में अपेक्षित सुधार लाने के लिए नित्य व्यायाम करने की प्रेरणा देते हुए अपने छोटे भाई को पत्र लिखिए।
अथवा
आपके नगर में अनधिकृत मकान बनाए जा रहे हैं, इनकी रोकथाम के लिए जिलाधिकारी को पत्र लिखिए।
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- Question 6
निम्नलिखित वाक्यों में से अवयव छाँटिए तथा उनका भेद भी लिखिए –
(i) वह ज़ोर-ज़ोर से रो रहा था।
(ii) तुमने स्नान किया या नहीं।
(iii) चार हाथी जुलूस के आगे चल रहे थे।
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- Question 16
निम्नलिखित प्रश्नों में से किसी एक प्रश्न का उत्तर दीजिए –
(i) झिलमिलाते सितारों की रोशनी में नहाया गंतोक लेखिका को किस प्रकार सम्मोहित कर रहा था?
(ii) 'माता का आँचल' रचना में तीस के दशक की ग्राम्य संस्कृति का चित्रण है। आज की ग्रामीण संस्कृति में आपको किस तरह के परिवर्तन दिखाई देते हैं?
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