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Board Paper of Class 10 2004 Hindi (SET 2) - Solutions

(i) इस प्रश्न-पत्र के चार खण्ड हैं क, ख, ग और घ।
(ii) चारों खण्डों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
(iii) यथासंभव प्रत्येक खण्ड के उत्तर क्रमश: दीजिए।


  • Question 1

    निम्नलिखित गद्यांश के आधार पर दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए – 

    एक साहित्यिक सभा में एक तरुण विद्यार्थी भाषण देने के लिए खड़ा हुआ, पर उसका भाषण जमा नहीं–वह घबरा गया। श्रोताओं ने तालियाँ पीटी, दस-पाँच वाक्य कहने के बाद ही उसे बैठ जाना पड़ा। मंच पर उसकी कुरसी हमारी कुरसी के पास ही थी क्योंकि हमें भी उस सभा में बोलने का निमंत्रण था। अपना पसीना पोंछते हुए उसने मुझसे धीरे से कहा :

    "यह मेरा भाषण देने का पहला मौका था।"

    "ऐसा! तब तो तुमने बड़ी हिम्मत दिखाई। मैं तो अपने पहले भाषण में मुश्किल से तीन वाक्य भी ठीक से नहीं बोल पाया था। शुरु-शुरु में ऐसा होता ही है, पर बाद में आदत होने से यह सब दूर हो जाता है।"

    "सच!" वह उत्साह से बोल उठा। उसकी परेशानी कुछ कम हुई।

    "बिल्कुल", मैंने कहा। "जिन्होंने तालियाँ पीटीं उनमें से ऐसे कितने होंगे जो तुम्हारे जैसे यहाँ खड़े होकर इतने बड़े श्रोता-समुदाय का सामना कर सकेंगे?"

    वह आश्वस्त हो गया। उसकी हिम्मत लौट आई और आगे चलकर वह काफ़ी अच्छा वक्ता हो गया। दो-तीन बार उसने मुझे धन्यवाद दिया और कहा कि यदि उस दिन आप मुझे प्रोत्साहन नहीं देते तो शायद मैं भाषण देना ही छोड़ देता।

    जब लोग त्रस्त हों, पराजित हों या शोकग्रस्त हों तभी उन्हें हमारी सहानुभूति, सहायता या प्रोत्साहन की आवश्यकता होती है। उस समय उनका आत्मविश्वास लड़खड़ा जाता है। उस समय उनकी खिल्ली उड़ाने का या उनकी परेशानी का मज़ा लूटने का मोह हमें रोकना चाहिए और उन्हें सहारा देना चाहिए, उनकी हिम्मत बढ़ानी चाहिए। जो ऐसा करते हैं वे उनके हृदय में हमेशा के लिए स्थान प्राप्त कर लेते हैं। अपनी लोकप्रियता की परिधि विस्तृत करते हैं।

    दूसरों के सुख-दु:ख में सच्चे अंत:करण से दिलचस्पी लेना अच्छे संस्कार का लक्षण तो है ही, साथ ही व्यवहार कुशलता भी है जो लोगों को हमारी ओर आकर्षित करती है। हाँ, इसमें दिखावा, बनावटीपन और ऊपरी-ऊपरी शिष्टाचार नहीं होना चाहिए। जो भावना सच्ची होती है, हृदय से निकलती है, वही हृदय को बाँध भी सकती है।

    मानव की दो मूल प्रवृत्तियाँ होती हैं। एक तो यह कि लोग हमारे गुणों की कद्र करें, हमें दाद दें और हमारा आदर करें और दूसरे वे हम पर प्रेम करें, हमारा अभाव महसूस करें, उनके जीवन में हम कुछ महत्त्व रखते हैं-ऐसा अनुभव करें।

    आपके ज़रा-से कार्य की यदि किसी ने सच्चे दिल से प्रशंसा की तो आपका दिल कैसा खिल उठता है? कोई आपकी सलाह माँगने आता है तो आपका मन कैसे फूल जाता है?

    ऊपर से कोई बड़ा आदमी कितना भी आत्मविश्वासी और आत्मतुष्ट क्यों न दिखाई दे, भीतर से वह हमारी-आपकी तरह प्रशंसा का, प्रोत्साहन का, स्नेह का भूखा है। यदि आप उसे प्रामाणिकतापूर्वक ले सकें तो आप फौरन उसके हृदय के निकट पहुँच जाएँगे। दूसरों की भावनाओं को ठीक-ठीक समझना, उनकी कद्र करना, उनके साथ सच्चाई और स्नेह का व्यवहार करना यही व्यवहार कुशलता है। इसी से सामाजिक जीवन में लोकप्रियता के दरवाज़े खोलने की कुंजी हाथ लगती है। इससे हमारी अपनी सुख-शांति बढ़ती है, सो अलग।

     (i) लेखक ने विद्यार्थी को किस प्रकार उत्साहित किया? (2)

    (ii) लोगों को सहानुभूति तथा प्रोत्साहन की कब आवश्यकता होती है? (2)

    (iii) व्यवहार कुशलता से लेखक का क्या तात्पर्य है? (2)

    (iv) मानव की दो मूल प्रवृत्तियाँ कौन-सी होती हैं? (2)

    (v) उपरोक्त गद्यांश का शीर्षक लिखिए। (2)

    (vi) 'शिष्टाचार' तथा 'प्रोत्साहन' शब्दों का अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए। (2)

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  • Question 2

    निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए –
    माँ कह एक कहानी
    'बेटा, समझ लिया क्या तूने मुझको अपनी नानी?
    'कहती है मुझसे यह चेटी, तू मेरी नानी की बेटी।
    कह माँ कह लेटी ही लेटी, राजा था या रानी?
    माँ कह एक कहानी?'
    'सुन, उपवन में बड़े सवेरे, तात भ्रमण करते थे तेरे।
    जहाँ सुरभि मनमानी।' 'जहाँ सुरभि मनमानी!
    हाँ माँ, यही कहानी।'
    'वर्ण-वर्ण के फूल खिले थे,
    झलमल कर हिम-बिन्दु झिले थे,'
    हलके झोंके-मले थे, लहराता था पानी'।
    'लहराता था पानी! हाँ, हाँ, यही कहानी।'

    (i) बेटा माँ को क्या कह रहा है? (1)

    (ii) दासी ने बेटे को क्या बताया है? (2)

    (iii) माँ कहानी कैसे प्रारम्भ करती है? (2)

    (iv) उपवन में कैसे फूल खिले थे और उन पर क्या झलक रहा था? (2)

    (v) उपवन में मनमानी किसे कहा गया है? (1)

    अथवा

    बार बार आती है मुझको मधुर याद बचपन तेरी।
    गया, ले गया तू जीवन की सबसे मस्त खुशी मेरी।
    चिन्ता-रहित खेलना खाना, वह फिरना निर्भय स्वच्छंद।
    कैसे भूला जा सकता है बचपन का अतुलित आनंद।
    ऊँच नीच का ज्ञान नहीं था, छुआ-छूत किस ने जानी।
    बनी हुई थी आह, झोंपड़ी और चीथड़ों में रानी।

    (i) इन पंक्तियों का उचित शीर्षक दीजिए? (1)

    (ii) कवयित्री को बचपन की याद बार-बार क्यों आती है? (2)

    (iii) बचपन का जीवन कैसा था? (2)

    (iv) 'झोंपड़ी और चिथड़ों में रानी' से क्या अभिप्राय है? (2)

    (v) बचपन के आनंद को कवयित्री ने कैसा आनन्द कहा है? (1)

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  • Question 3

    निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर लगभग 300 शब्दों में निबन्ध लिखिए –

    (क) भारतवर्ष एक अद्भुत देश है। इसका भौगोलिक सौंदर्य अप्रतिम है। यहाँ की सभ्यता एवं संस्कृति भी असाधारण है। यहाँ के निवासियों में भाषा, त्यौहार तथा रीतिरिवाजों की दृष्टि से भिन्नता होते हुए भी एकता की भावना है।

    (ख) भारत षड्-ऋतुओं का देश है। प्रत्येक ऋतु का अपना महत्त्व है। मेरी सर्वाधिक प्रिय ऋतु वसन्त है। वसन्त ऋतु में प्रकृति सुन्दरी अभिनव श्रृंगार करती है। इस ऋतु के विषय में अपने विचार लिखिए।

    (ग) जीवन में संगति का अत्यधिक महत्त्व है। सत्संगति का अभिप्राय अच्छे गुणों वाले व्यक्ति की संगति है। सुसंगति में रहने वाला व्यक्ति जीवन में सफलता प्राप्त करता है तथा कुसंगति में रहने वाला अन्तत: विनष्ट होता है। वास्तव में सुसंगति ही सब सुखों का मूल है। सत्संगति के महत्त्व पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।

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  • Question 4

    ग्रीष्मावकाश में आपके पर्वतीय मित्र ने आपको आमंत्रित कर अनेक दर्शनीय स्थलों की सैर कराई। इसके लिए उसका आभार व्यक्त करते हुए धन्यवाद-पत्र लिखिए। 


    अथवा

     

    बनाव-श्रृंगार में अधिक समय नष्ट न करने की सलाह देते हुए बड़ी बहन की ओर से छोटी बहन को एक पत्र लिखिए।

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  • Question 5

    निम्नलिखित वाक्यों में प्रयुक्त क्रियाओं के भेद लिखिए –

    (i) बच्चन परिवार सिद्धिविनायक मंदिर में पूजा कर रहा है।

    (ii) कथाकार कमलेश्वर नहीं रहे।

    (iii) सकीना सलीम से कपड़े धुलवाती है।

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  • Question 6

    निर्देशानुसार उत्तर दीजिए – 

    (i) वह ज़ोर-ज़ोर से रो रहा है। (क्रिया विशेषण छाँटिए)

    (ii) आपने स्नान किया या नहीं? (समुच्चय-बोधक शब्द छाँटिए)

    (iii) मोहन तुम्हारे यहाँ गया है। (संबंध-बोधक शब्द छाँटिए)

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  • Question 7

    निर्देशानुसार परिवर्तन कीजिए – 

    (i) जो व्यक्ति मेहनती होते हैं वे अच्छे लगते हैं। (साधारण वाक्य में)

    (ii) पवित्र हृदय वाले व्यक्ति को कोई भयभीत नहीं कर सकता। (मिश्र वाक्य में)

    (iii) आप द्वार पर खड़ी होकर अपने प्रिय की प्रतीक्षा करें। (सयुंक्त वाक्य में)

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  • Question 8

    वाच्य परिवर्तन कीजिए –

    (i) सिद्धू अमृतसर से चुनाव लड़ेंगे।

    (ii) निठारी कांड में पुलिस ने बहुत लापरवाही की।

    (iii) शिवानी द्वारा पुस्तक पढ़ी जाती है।

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  • Question 9

    (i) निम्नलिखित का विग्रह कर समास का नाम भी लिखिए – (2)

    गंगाजल, नीलकंठ

    (ii) 'कल' तथा 'गुण' के एकाधिक अर्थ लिखिए। (1)

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  • Question 10

    निम्नलिखित में से किसी एक काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए – 6
    (क) कौसिक कहा छमिअ अपराधू।
    बाल दोष गुन गुनहिं न साधू।।
    खर कुठार मैं अकरुण कोही।
    आगे अपराधी गुरुद्रोही।।
    उतर देते छोड़ौं बिनु मारे।
    केवल कौसिक सील तुम्हारे।।
    न त येही काटि कुठार कठोरे।
    गुरहि उरिन होतेउँ श्रम थोरे।।
    गाधिसू नु कह हृदय हसि मुनिहि हरियरे सूझ।
    अयमय खाँड़ न ऊखमय अजहुँ न बूझ अबूझ।।

    (i) विश्वामित्र ने परशुराम से क्या कहा? (2)

    (ii) परशुराम ने लक्ष्मण को न मारने के लिए कौन-सा कारण बताया? (2)

    (iii) विश्वामित्र मन ही मन क्यों मुसकरा रहे थे? (2)

    अथवा

    (ख) देखते ही रहोगे अनिमेष!
    थक गए हो?
    आँख लूँ मैं फेर?
    क्या हुआ यदि हो सके परिचित न पहली बार?
    यदि तुम्हारी माँ न माध्यम बनी होती आज
    मैं न सकता देख
    मैं न पाता जान
    तुम्हारी यह दंतुरित मुसकान
    धन्य तुम, माँ भी तुम्हारी धन्य!
    चिर प्रवासी मैं इतर, मैं अन्य!

    (i) बच्चे की माँ के विषय में कवि क्या कहता है? (2)

    (ii) कवि बच्चे और उसकी माँ को 'धन्य' क्यों कहता है? (2)

    (iii) कवि ने स्वयं को 'इतर' और 'अन्य' क्यों कहा है? (2)

     

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  • Question 11

    निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं तीन का उत्तर दीजिए – (3 + 3 + 3)

    (i) 'आत्मकथ्य' कविता में कवि आत्मकथा लिखने से क्यों बचना चाहता है?

    (ii) 'प्यारी राधिका को प्रतिबिंब सो लगत चन्द्र' – इस पंक्ति का भाव स्पष्ट करते हुए बताएँ कि इसमें कौन-सा अलंकार है?

    (iii) बच्चे की दंतुरित मुसकान का कवि के मन पर क्या प्रभाव पड़ता है?

    (iv) 'छाया मत छूना' शीर्षक कविता में कवि ने कठिन यथार्थ के पूजन की बात क्यों कही है?

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  • Question 12

    निम्नलिखित काव्यांशों में से किसी एक को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए –
    (क) बालकु बोलि बधौं नहि तोही।
    केवल मुनि जड़ जानहि मोही।।
    बाल ब्रह्मचारी अति कोही।
    बिस्वबिदित क्षत्रियकुल द्रोही।।
    भुजबल भूमि भूप बिनु कीन्ही।
    बिपुल बार महिदेवन्ह दीन्ही।।
    सहसबाहुभुज छेदनिहारा
    परसु बिलाकु महीपकुमारा।।
    मातु पितहि जनि सोचबस करसि महीसकिसोर।
    गर्भन्ह के अर्भक दलन परसु मोर अति घोर।।

    (i) प्रथम पंक्ति में किस अलंकार का प्रयोग किया गया है? (1)

    (ii) अन्तिम दो पंक्तियों में किस छन्द का प्रयोग किया गया है? (1)

    (iii) इन पंक्तियों का सम्बन्ध हिंदी साहित्य के किस काल से है? (1)

    (iv) इन पंक्तियों में किस भाषा का प्रयोग किया गया है? (1)

    (v) परशुराम ने अपने परशु की क्या विशेषता बताई है? (1)

    अथवा

    (ख) एक के नहीं,
    दो के नहीं,
    ढेर सारी नदियों के पानी का जादू:
    एक के नहीं,
    दो के नहीं,
    लाख-लाख कोटि-कोटि हाथों के स्पर्श की गरिमा:
    एक की नहीं,
    दो की नहीं,
    हज़ार-हज़ार खेतों की मिट्टी का गुण धर्म:

    (i) इन पंक्तियों में किस छन्द का प्रयोग किया गया है? (1)

    (ii) फसल को कवि ने 'हाथों के स्पर्श की गरिमा क्यों कहा है? (1)

    (iii) इन पंक्तियों का सम्बन्ध हिंदी साहित्य के किस काल से है? (1)

    (iv) इन पंक्तियों में से कोई दो तत्सम शब्द छाँटकर लिखिए। (1)

    (v) फसल को नदियों के पानी का जादू क्यों कहा गया है? (1)

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  • Question 13

    निम्नलिखित गद्यांशों में से किसी एक के नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए –

    (क) आसाढ़ की रिमझिम है। समूचा गाँव खेतों में उतर पड़ा है। कहीं हल चल रहे हैं; कही रोपनी हो रही है। धान के पानी-भरे खेतों में बच्चे उछल रहे हैं। औरतें कलेवा लेकर मेंड़ पर बैठी हैं। आसमान बादल से घिरा; धूप का नाम नहीं। ठंडी पुरवाई चल रही है। ऐसे ही समय आपके कानों में एक स्वर-तरंग झंकार-सी कर उठी। यह क्या है – यह कौन है। यह पूछना न पड़ेगा। बालगोबिन भगत समूचा शरीर कीचड़ में लिथड़े अपने खेत में रोपनी कर रहे हैं। उनकी अँगुली एक-एक धान के पौधे को, पंक्तिबद्ध खेत में बिठा रही है। उनका कंठ एक-एक शब्द को संगीत के जीने पर चढ़ाकर कुछ को ऊपर, स्वर्ग की ओर भेज रहा है और कुछ को इस पृथ्वी की मिट्टी पर खड़े लोगों के कानों की ओर! बच्चे खेलते हुए झूम उठते हैं; मेंड़ पर खड़ी औरतों के होंठ काँप उठते हैं, वे गुनगुनाने लगती हैं; हलवाहों के पैर ताल से उठने लगते हैं; रोपनी करनेवालों की अँगुलियाँ एक अजीब क्रम से चलने लगती हैं! बालगोबिन भगत का यह संगीत है या जादू!

    (i) आसाढ़ की रिमझिम में सारा गाँव खेतों में क्यों उतर पड़ा है? (2)

    (ii) ऐसे समय में बालगोबिन भगत क्या कर रहे हैं? (2)

    (iii) लेखक ने बालगोबिन भगत के संगीत को जादू क्यों कहा है? (2)

    अथवा

    (ख) यश-कामना बल्कि कहूँ कि यश-लिप्सा, पिताजी की सबसे बड़ी दुर्बलता थी और उनके जीवन की धुरी था यह सिद्धांत कि व्यक्ति को कुछ विशिष्ट बन कर जीना चाहिए... कुछ ऐसे काम करने चाहिएं कि समाज में उसका नाम हो, सम्मान हो, प्रतिष्ठा हो, वर्चस्व हो। इसके चलते ही मैं दो-एक बार उनके कोप से बच गई थी। एक बार कॉलिज से प्रिंसिपल का पत्र आया कि पिताजी आकर मिलें और बताएँ कि मेरी गतिविधियों के कारण मेरे खिलाफ़ अनुशासनात्मक कार्रवाई क्यों न की जाए? पत्र पढ़ते ही पिताजी आग-बबूला। "यह लड़की मुझे कहीं मुँह दिखाने लायक नहीं रखेगी... पता नहीं क्या-क्या सुनना पड़ेगा वहाँ जाकर! चार बच्चे पहले भी पढ़े, किसी ने ये दिन नहीं दिखाया।" गुस्से से भन्नाते हुए ही वे गए थे। लौटकर क्या कहर बरपा होगा, इसका अनुमान था, सो मैं पड़ोस की एक मित्र के यहाँ जाकर बैठ गई। माँ को कह दिया कि लौटकर बहुत कुछ गुबार निकल जाए, तब बुलाना। लेकिन जब माँ ने आकर कहा कि वे तो खुश ही हैं, चली चल, तो विश्वास नहीं हुआ। गई तो सही, लेकिन डरते-डरते। "सारे कॉलेज की लड़कियों पर इतना रौब है तेरा... सारा कॉलेज तुम तीन लड़कियों के इशारे पर चल रहा है? प्रिंसिपल बहुत परेशान थी और बार-बार आग्रह कर रही थी कि मैं तुझे घर बिठा लूँ, क्योंकि वे लोग किसी तरह डरा-धमकाकर, डाँट-डपटकर लड़कियों को कलासों में भेजते हैं और अगर तुम लोग एक इशारा कर दो कि कलास छोड़कर आ जाओ तो सारी लड़कियाँ निकलकर मैदान में जमा होकर नारे लगाने लगती हैं। तुम लोगों के मारे कॉलेज चलाना मुश्किल हो गया है उन लोगों के लिए।" कहाँ तो जाते समय पिताजी मुँह दिखाने से घबरा रहे थे और कहाँ बड़े गर्व से कहकर आए कि यह तो पूरे देश की पुकार है...इस पर कोई कैसे रोक लगा सकता है भला? बेहद गद्गद स्वर में पिताजी यह सब सुनाते रहे और मैं अवाक्। मुझे न अपनी आँखों पर विश्वास हो रहा था, न अपने कानों पर। पर यह हकीकत थी।

    (i) लेखिका के पिताजी की सबसे बड़ी दुर्बलता क्या थी? (2)

    (ii) प्रिंसिपल ने लेखिका के पिताजी को पत्र में क्या लिखा? (2)

    (iii) पिताजी ने प्रिंसिपल से क्या कहा? (2)

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  • Question 14

    निम्नलिखित में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर दीजिए – (3 + 3 + 3)

    (i) काशी में हो रहे कौन से परिवर्तन बिस्मिल्ला खाँ को व्यथित करते थे?

    (ii) "वो लंगड़ा क्या जाएगा फौज में। पागल है पागल" कैप्टन के प्रति पानवाले की इस टिप्पणी पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है?

    (iii) "नवाब साहब ने बहुत ही यत्न सी खीरा काटा, नमक मिर्च बुरका, अंतत: सूँधकर ही खिड़की से बाहर फैंक दिया।" उन्होंने ऐसा क्यों किया होगा? उनका ऐसा करना उनके कैसे स्वभाव को इंगित करता है?

    (iv) "स्त्रियों को पढ़ाने से अनर्थ होते हैं" – कुतर्कवादियों की इस दलील का खंडन द्विवेदी जी ने कैसे किया है, अपने शब्दों में लिखिए।

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  • Question 15

    (i) 'बालगोबिन भगत' रचना में लेखक को समाज का घृणिततम स्वरुप किन बातों में नज़र आता है? (3)

    (ii) स्पष्ट कीजिए कि बिस्मिल्ला खाँ मिली-जुली संस्कृति के प्रतीक थे। (2)

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  • Question 16

    निम्नलिखित में से किसी एक प्रश्न का उत्तर दीजिए –

    (i) 'साना साना हाथ जोड़ि' यात्रा वृतांत के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि प्रकृति ने जल-संचय की व्यवस्था किस प्रकार की है?

    (ii) "दुलारी विशिष्ट कहे जाने वाले सामाजिक सांस्कृतिक दायरे से बाहर है फिर भी अति विशिष्ट है।" इस कथन को ध्यान में रखते हुए दुलारी की चारित्रिक विशेषताएँ लिखिए।

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  • Question 17

    निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के संक्षिप्त उत्तर दीजिए – (2 + 2 + 2)

    (i) सिक्कमी नवयुवक ने लेखिका से 'कटाओ' पर जाने के लिए क्यों कहा?

    (ii) कठोर हृदय समझी जाने वाली दुलारी टुन्नू की मृत्यु पर क्यों विचलित हो उठी?

    (iii) कुछ रचनाकारों के लिए आत्मानुभूति या स्वयं के अनुभव के साथ-साथ बाह्य दबाव भी महत्त्वपूर्ण होता है। ये बाह्य दबाव कौन-कौन से हो सकते हैं?

    (iv) कभी श्वेत तो कभी रंगीन पताकाओं का फहराना किन-किन अवसरों की ओर संकेत करता है।

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