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Board Paper of Class 10 2014 Hindi (SET 2) - Solutions

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  • Question 1

    निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पड़कर पूछे गए प्रश्नों  के सही उत्तर के लिए उपयुक्त विकल्पों का चयन कीजिए।
    कहा जाता है कि हमारा लोकतंत्र यदि कहीं कमज़ोर है तो उसकी एक बड़ी वजह हमारे राजनीतिक दल हैं। वे प्रायः अव्यवस्थित हैं, अमर्यादित हैं और अधिकांशतः निष्ठा और कर्मठता से सम्पन्न नहीं हैं। हमारी राजनीति का स्तर प्रत्येक दृष्टि से गिरता जा रहा है। लगता है उसमें सुयोग्य और सच्चरित्र लोगों के लिए कोई स्थान नहीं है। लोकतंत्र के मूल में लोकनिष्ठा होनी चाहिए, लोकमंगल की भावना और लोकानुभूति होनी चाहिए और लोकसंपर्क होना चाहिए। हमारे लोकतंत्र में इन आधारभूत तत्वों की कमी होने लगी है, इसलिय लोकतंत्र कमज़ोर दिखाई पड़ता है। हम प्रायः सोचते हैं कि हमारा देश-प्रेम कहाँ चला गया, देश के लिए कुछ करने, मर-मिटने की भावना कहाँ चली गई? त्याग और बलिदान के आदर्श कैसे, कहाँ लुप्त हो गए? आज हमारे लोकतंत्र को स्वार्थान्धता का घुन लग गया है। क्या राजनीतिज्ञ, क्या अफसर, अधिकांश यही सोचते हैं कि वे किस तरह से स्थिति का लाभ उठाएँ, किस तरह एक-दूसरे का इस्तेमाल करें। आम आदमी अपने आपको लाचार पाता है और ऐसी स्थिति में उसकी लोकतांत्रिक आस्थाएँ डगमगाने लगती हैं।
    लोकतंत्र की सफलता के लिए हमें समर्थ और सक्षम नेतृत्व चाहिए, एक नई दृष्टि, एक नई प्रेरणा, एक नई संवेदना, एक नया आत्मविशवास, एक नया संकल्प और समर्पण आवशयक है। लोकतंत्र की सफलता के लिए हम सब अपने आप से पूछें कि हम देश के लिए, लोकतंत्र के लिए क्या कर सकते हैं? और हम सिर्फ पूछकर ही न रह जाएँ, बल्कि संगठित होकर समझदारी, विवेक और संतुलन से लोकतंत्र को सफल और सार्थक बनाने में लग जाएँ।

    (i) राजनीतिक दल लोकतंत्र की असफलता के कारण बताए जाते हैं, क्योंकि वे प्रायः -
    (क) धन और पद-लोलुप हैं।
    (ख) निष्ठाहीन और कर्त्तव्यविमुख हैं।
    (ग) सम्प्रदायवादी और जातीयतावादी हैं।
    (घ) केवल सत्ता-लालसी हैं।

    (ii) लोकतंत्र का मूल तत्व नहीं है -
    (क) लोक-मंगल के प्रति उपेक्षा।
    (ख) लोक-निष्ठा की अपेक्षा।
    (ग) लोक-संपर्क की इच्छा।
    (घ) लोक के सुख-दुख की अनुभूति।

    (iii) आम आदमी की लोकतांत्रिक आस्थाएँ डगमगाती हैं-
    (क) लोकतंत्र की गिरती मर्यादाओं के समक्ष विवशता देखकर।
    (ख) नेताओं और अफसरों का उपयोग होते देखकर।
    (ग) भाई-भतीजावाद और पक्षपात देखकर।
    (घ) केवल धनार्जन को ही जीवन का लक्ष्य पाकर।

    (iv) लोकतंत्र की सफलता और सार्थकता आधारित नहीं है -
    (क) नई दृष्टि, प्रेरणा और संवेदना पर।
    (ख) विवेक और संतुलन की प्रवृत्ति पर।
    (ग) संकल्प और समर्पण की वृत्ति पर।
    (घ) संगठन और आत्मविशवास के अभाव पर।

    (v) 'हम देश के लिए, लोकतंत्र के लिए, क्या कर सकते हैं?' यह वाक्य है -
    (क) कर्तृवाच्य में
    (ख) कर्मवाच्य में
    (ग) भाववाच्य में
    (घ) अकर्तृवाच्य में

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  • Question 2
    निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तरों के लिए उपयुक्त विकल्पों का चयन कीजिए।
    तिलक ने हमें स्वराज का सपना दिया और गांधी ने उस सपने को दलितों और स्त्रियों से जोड़कर एक ठोस सामाजिक अवधारणा के रूप में देश के सामने ला रखा। स्वतंत्रता के उपरान्त बड़े-बड़े कारखाने खोले गए, वैज्ञानिक विकास भी हुआ, बड़ी-बड़ी योजनाएँ भी बनीं, किन्तु गांधीवादी मूल्यों के प्रति हमारी प्रतिबद्धता सीमित होती चली गई। दुर्भाग्य से गांधी के बाद गांधीवाद को कोई ऐसा व्याख्याकार न मिला जो राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक संदर्भों में गांधी के सोच की समसामयिक व्याख्या करता। सो यह विचार लोगों में घर करता चला गया कि गांधीवादी विकास का माॅडल धीमे चलने वाला और तकनीकी प्रगति से विमुख है। उस पर ध्यान देने से हम आधुनिक वैज्ञानिक युग की दौड़ में पिछड़ जाएँगे। कहना न होगा कि कुछ लोगों की पाखण्डी जीवन शैली ने भी इस धारणा को और पुष्ट किया।
    इसका परिणाम यह हुआ कि देश में बुनियादी तकनीकी और औद्योगिक प्रगति तो आई पर देश के सामाजिक और वैचारिक-ढाँचे में जरूरी बदलाव नहीं लाए गए। सो तकनीकी विकास ने समाज में व्याप्त व्यापक फटेहाली, धार्मिक कूपमंडूकता और जातिवाद को नहीं मिटाया।

    (i) गांधी ने स्वराज के सपने को सामाजिक अवधारणा का रूप कैसे दिया?
        (क) ब्रिटिश शासकों की नीतियों के विरोध द्वारा।
        (ख) देश के महिला वर्ग और दलितों से जोड़कर।
        (ग) विदेशी शासन के विरुद्ध असहयोग आन्दोलन द्वारा।
        (घ) अपने सत्याग्रहों से समाज में चेतना जगाकर।

    (ii) गांधीवादी मूल्य स्वतंत्रता के उपरान्त आकर्षण का केन्द्र-बिन्दु क्यों नहीं बन सके?
        (क) बड़े-बड़े उद्योगों के प्रति आकर्षण के कारण।
        (ख) समयानुरूप वैज्ञानिक क्षमता के विकास के कारण।
        (ग) गांधीवाद की समयानुकूल व्याख्या न होने के कारण।
        (घ) पंचवर्षीय योजनाओं के कार्यान्वयन के कारण।

    (iii) गांधीवाद की व्याख्या के अभाव में उसके विषय में धारणा बनी कि वह-
    (क) वैज्ञानिक विकास का विरोधी है।
    (ख) बड़े उद्योगों की स्थापना का समर्थक नहीं है।
    (ग) शिथिल है और तकनीकी विकास में बाधक है।
    (घ) पंचवर्षीय योजनाओं का पक्षधर नहीं है।

    (iv) देश के सामाजिक और वैचारिक ढाँचे में बदलाव न आने का कारण था-
    (क) देश का औद्योगिक विकास।
    (ख) पंचवर्षीय योजनाओं के प्रति झुकाव।
    (ग) गांधीवादी मूल्यों के प्रति लगाव का अभाव।
    (घ) देशवासियों की वैचारिक संकीर्णता।

    (v) "देश में बुनियादी तकनीकी और औद्योगिक प्रगति तो आई पर देश के सामाजिक और वैचारिक ढाँचे में जरुरी बदलाव नहीं लाए गए" वाक्य का प्रकार है-
    (क) संयुक्त
    (ख) मिश्र
    (ग) साधारण
    (घ) सरल
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  • Question 3
    निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए उपयुक्त विकल्पों का चयन कीजिए।
    हम जंग न होने देंगे!
    विश्व शांति के हम साधक हैं,
    जंग न होने देंगे!
    कभी न खेतों में फिर खूनी खाद फलेगी,
    खलिहानों में नहीं मौत की फसल खिलेगी,
    आसमान फिर कभी न अंगारे उगलेगा,
    ऐटम से फिर नागासाकी नहीं जलेगी
    युद्धविहीन विश्व का सपना भंग न होने देंगे!

    हथियारों के ढेरों पर जिनका है डेरा,
    मुँह में शान्ति, बगल में बम, धोखे का फेरा,
    कफ़न बेचने वालों से कह दो चिल्लाकर,
    दुनिया जान गई है उनका असली चेहरा,
    कामयाब हों उनकी चालें, ढंग न होने देंगे!

    हमें चाहिए शान्ति, ज़िन्दगी हमको प्यारी,
    हमें चाहिए शान्ति, सृजन की है तैयारी,
    हमने छेड़ी जंग भूख से, बीमारी से,
    आगे आकर हाथ बटाए दुनिया सारी,
    हरी-भरी धरती को खूनी रंग न लेने देंगे!

    (i) किस स्वप्न को कवि नहीं टूटने देना चाहता?
    (क) संसार की सम्पन्नता का स्वप्न।
    (ख) विश्वशांति का स्वप्ऩ।
    (ग) युद्धरहित संसार का स्वप्न।
    (घ) पारस्परिक श्रेष्ठता का स्वप्न।

    (ii) 'खलिहानों में नहीं मौत की फसल खिलेगी' का तात्पर्य है-
    (क) युद्ध के कारण फसल नष्ट नहीं होगी।
    (ख) युद्ध अपार जन संहार का कारण नहीं बनेगा।
    (ग) खेतों में मृत व्यक्तियों के शव नहीं दिखाई देंगे।
    (घ) खेती करने वाला मौत का शिकार नहीं बनेगा।

    (iii) कवि ने 'कफ़न बेचने वाले' उन देशों को कहा है जो-
    (क) युद्ध के रुप में शक्ति-प्रदर्शन करते हैं।
    (ख) घातक अस्त्र-शस्त्रों के सौदागर हैं।
    (ग) शक्ति के आधार पर नरसंहार करते हैं।
    (घ) अशान्ति और अव्यवस्था में विश्वास रखते हैं।

    (iv) कवि ऐसे युद्ध को सार्थक समझता है जो-
    (क) राक्षसी शक्तियों का संहारक हो।
    (ख) भूख और रोग का विनाशक हो।
    (ग) अशान्ति के समर्थकों का सहयोगी हो।
    (घ) विश्व के कल्याण का साधक हो।

    (v) 'कभी न खेतों में फिर खूनी खाद फलेगी' में अलंकार है-
    (क) यमक
    (ख) श्लेष
    (ग) उपमा
    (घ) अनुप्रास
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  • Question 4
    निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सही विकल्पों का चयन कीजिए।
    जिसके निमित्त तप-त्याग किए, हँसते-हँसते बलिदान दिए,
    कारागारों में कष्ट सहे, दुर्दमन नीति ने देह दहे,
    घर-बार और परिवार मिटे, नर-नारि पिटे, बाज़ार लुटे
    आई, पाई वह 'स्वतंत्रता', पर सुख से नेह न नाता है-
    क्या यही 'स्वराज्य' कहाता है।

    सुख, सुविधा, समता पाएँगे, सब सत्य-स्नेह सरसाएँगे,
    तब भ्रष्टाचार नहीं होगा, अनुचित व्यवहार नहीं होगा,
    जन-नायक यही बताते थे, दे-दे दलील समझाते थे,
    वे हुई व्यर्थ बीती बातें, जिनका अब पता न पाता है।
    क्या यही 'स्वराज्य' कहाता है।

    शुचि, स्नेह, अहिंसा, सत्य, कर्म, बतलाए 'बापू' ने सुधर्म,
    जो बिना धर्म की राजनीति, उसको कहते थे वह अनीति,
    अब गांधीवाद बिसार दिया, सद्भाव, त्याग, तप मार दिया,
    व्यवसाय बन गया देश-प्रेम, खुल गया स्वार्थ का खाता है-
    क्या यही 'स्वराज्य' कहाता है।
    (i) 'क्या यही स्वराज्य कहाता है' – कथन है :
    (क) एक प्रश्न
    (ख) एक व्यंग्य
    (ग) एक समस्या
    (घ) एक समाधान

    (ii) 'दुर्दमन नीति ने देह दहे' का अभिप्राय है-
    (क) स्वतंत्रता-प्रेमियों को दमन में शामिल किया गया।
    (ख) उत्पीड़न से देशप्रेमियों का जीवन समाप्त किया गया।
    (ग) स्वराज्य के संघर्षशील को उकसाया गया।
    (घ) परतंत्रता के विरोधियों का दहन किया गया।

    (iii) स्वतंत्रता-प्राप्ति के बाद की स्थिति पर कौन सा कथन अनुपयुक्त है?
    (क) समाज में सर्वत्र धन का महत्व बढ़ना
    (ख) सुख-सुविधा और स्नेह की प्राप्ति होना।
    (ग) उचित व्यवहार का सर्वत्र साम्राज्य होना।
    (घ) सब जगह सत्य का बोलबाला होना।
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  • Question 5
    निम्नांकित वाक्यों में रेखांकित पदों का परिचय दीजिए-

    (क) तुम मन से कर्तव्य का पालन करो।
    (ख) मेहनत से जीवन को सफल बनाओ।
    (ग) मन की दुर्बलता को त्याग दो।
    (घ) रमेश दूसरे कमरे में रहता है।

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  • Question 6

    निर्देशानुसार उत्तर दीजिए-
    (क) चिन्तनशील व्यक्ति ही इस पद पर पहुँच पाता है। (मिश्र वाक्य में बदलिए)
    (ख) प्रेमचन्द सवेरे उठते ही घर को सँवारने के कार्य में जुट जाता है। (मिश्र वाक्य में बदलिए)
    (ग) तुम्हारे आदेश के कारण ही मैं वहाँ गया था। (संयुक्त वाक्य में बदलिए)
    (घ) उसने एक ऐसा कार्य किया है जो अत्यन्त प्रशंसा के योग्य है। (वाक्य-भेद बताइए)

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  • Question 7

    निर्देशानुसार उत्तर दीजिए-
    (क) अब आश्रम में पढ़ने के लिए चलें। (भाववाच्य में परिवर्तित कीजिए)
    (ख) हम इस प्रकार का मसालेदार खाना नहीं खाते हैं। (कर्मवाच्य बनाइए)
    (ग) कवि के द्वारा यह मादक सुन्दरता अनेक रूपों में देखी गई है। (कर्तृवाच्य में बदलिए)
    (घ) आइये! स्नान किया जाय। (कर्तृवाच्य में बदलिए)

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  • Question 8

    निम्नलिखित काव्य-पंक्तियों में प्रयुक्त अलंकारों का नामोल्लेख कीजिए-
    (क) सेवकु सो जो करै सेवकाई।
    (ख) जै जग-मंदिर-दीपक सुन्दर।
    (ग) अति उत्तम ज्यों चन्द्र।
    (घ) देखूँ उसे मैं नित बार-बार,
          मानो मिला मित्र मुझे पुराना।

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  • Question 9

    निर्देशानुसार उत्तर दीजिएः
    (क) हाय, यह क्या हो गया! (रेखांकित का पद परिचय लिखिए)
    (ख) वह अन्यायी की भाँति व्यवहार कर रहा था। (मिश्र वाक्य में बदलिए)
    (ग) फादर रिश्ता बनाकर तोड़ते नहीं हैं। (कर्मवाच्य में बदलिए)
    (घ) प्रीति नदी में पाँउ न बोरयौ (अलंकार का नाम लिखिए)

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  • Question 10

    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सही उत्तर वाले विकल्प चुनकर लिखिए।
    पर यह पितृ-गाथा मैं इसलिए नहीं गा रही कि मुझे उनका गौरव-गान करना है, बल्कि मैं तो यह देखना चाहती हूँ कि उनके व्यक्तित्व की कौन-सी खूबी और खामियाँ मेरे व्यक्तित्व के ताने-बाने में गुँथी हुई हैं या कि अनजाने-अनचाहे किए उनके व्यवहार ने मेरे भीतर किन ग्रंथियों को जन्म दे दिया। मैं काली हूँ। बचपन में दुबली और मरियल भी थी। गोरा रंग पिताजी की कमजोरी थी सो बचपन में मुझसे दो साल बड़ी खूब गोरी, स्वस्थ और हँसमुख बहिन सुशीला से हर बात में तुलना और उनकी प्रशंसा ने ही, क्या मेरे भीतर ऐसे गहरे हीन-भाव की ग्रंथि पैदा नहीं कर दी कि नाम, सम्मान और प्रतिष्ठा पाने के बावजूद आज तक मैं उससे उबर नहीं पाई? आज भी परिचय करवाते समय जब कोई कुछ विशेषता लगाकर मेरी लेखकीय उपलब्धियों का जिक्र करने लगता है तो मैं संकोच से सिमट ही नहीं जाती बल्कि गड़ने-गड़ने को हो आती हूँ।

    (i) लेखिका द्वारा अपने पिता के व्यक्तित्व के विषय में लिखने का उद्देश्य है-
    (क) उनका गौरव-गान।
    (ख) उनके गुण-दोषों की चर्चा।
    (ग) अपने व्यक्तित्व की संरचना में उनका प्रभाव।
    (घ) उनके व्यक्तित्व के विभिन्न रूपों का बखान।

    (ii) लेखिका की हीन-भावना का कारण था-
    (क) पिताजी का अनजाना-अनचाहा व्यवहार।
    (ख) पिताजी का क्रोधी तथा शक्की स्वभाव।
    (ग) लेखिका का रूप-रंग तथा बहिन से तुलना।
    (घ) गोरी, स्वस्थ और हँसमुख बहिन।

    (iii) लेखिका के मन में उपजी हीन-भावना का क्या परिणाम हुआ?
    (क) साहित्यिक चिन्तन बाधित हुआ।
    (ख) स्वास्थ्य और गतिविधियाँ प्रभावित हुईं।
    (ग) उपलब्धि और प्रतिष्ठा के बाद भी आत्मविश्वास न रहा।
    (घ) पिता के प्रति व्यवहार सराहनीय न रहा।

    (iv) लेखकीय उपलब्धियों के प्रशंसा के क्षणों में भी लेखिका के अतिशय संकोच का कारण है-
    (क) उपलब्धियों की कमी।
    (ख) रचनाओं की सदोषता।
    (ग) हीन-भावना का प्रभाव।
    (घ) विनम्र और संकोची स्वभाव।

    (v) ‘उपलब्धि’ का समानार्थक शब्द है-
    (क) उपेक्षा
    (ख) अपेक्षा
    (ग) समाप्ति
    (घ) प्राप्ति

    अथवा

    पढ़ने-लिखने में स्वयं कोई बात ऐसी नहीं जिसमें अनर्थ हो सके। अनर्थ का बीज उसमें हरगिज नहीं। अनर्थ पुरुषों से भी होते हैं। अपढ़ों और पढ़े-लिखों, दोनों से। अनर्थ, दुराचार और पापाचार के कारण और ही होते हैं और वे व्यक्ति-विशेष का चाल-चलन देखकर जाने भी जा सकते हैं। अतएव स्त्रियों को अवश्य पढ़ाना चाहिए।
    जो लोग यह कहते हैं कि पुराने जमाने में यहाँ स्त्रियाँ न पढ़ती थीं अथवा उन्हें पढ़ने की मुमानियत थी वे या तो इतिहास से अभिज्ञता नहीं रखते या जान-बूझकर लोगों को धोखा देते हैं। समाज की दृष्टि में ऐसे लोग दण्डनीय हैं। क्योंकि स्त्रियों को निरक्षर रखने का उपदेश देना समाज का अपकार और अपराध करना है। समाज कीी उन्नति में बाधा डालना है।

    (i) लेखक ‘अनर्थ’ का मूल नहीं मानता है-
    (क) पढ़ने-लिखने की उपेक्षा को।
    (ख) स्त्री-पुरुष होने को।
    (ग) स्त्रियों की पढ़ाई को।
    (घ) दुराचार और पापाचार को।

    (ii) वे लोग इतिहास की जानकारी नहीं रखते जो कहते हैं कि-
    (क) स्त्री शिक्षा समाज की उन्नति में बाधा है।
    (ख) पुराने जमाने में स्त्रियाँ नहीं पढ़ती थीं।
    (ग) स्त्रियों को जान-बूझकर अनपढ़ रखा जाता था।
    (घ) स्त्रियों को भी पुरुषों के समान अधिकार है।

    (iii) ‘अनर्थ’ का तात्पर्य है-
    (क) दोषपूर्ण कार्य।
    (ख) निन्दनीय कार्य।
    (ग) धनरहित कार्य।
    (घ) अनुचित कार्य।

    (iv) सामाजिक दृष्टि से ऐसे लोग दण्ड के पात्र हैं जो-
    (क) स्त्रियों को पढ़ाने की बात करते हैं।
    (ख) जान-बूझकर लोगों को धोखा देते हैं।
    (ग) सामाजिक नियमों की अनदेखी करते हैं।
    (घ) समाज की उन्नति में बाधा डालते हैं।

    (v) ‘अभिज्ञ’ शब्द का विलोम है-
    (क) अज्ञ
    (ख) अनभिज्ञ
    (ग) सुभिज्ञ
    (घ) प्राज्ञ

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  • Question 11

    निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिएः
    (क) उस घटना का उल्लेख कीजिए जिसके बारे में ‘एक कहानी यह भी’ की लेखिका को न अपने कानों पर विश्वास हो पाया और न आँखों पर।
    (ख) कैसे कहा जा सकता है कि विस्मिल्ला खाँ कला के अनन्य उपासक थे?
    (ग) ‘संस्कृति’ पाठ का लेखक कल्याण की भावना को ही संस्कृति और सभ्यता का महत्वपूर्ण तत्व मानता है’ - स्पष्ट कीजिए।
    (घ) स्त्री शिक्षा विरोधियों के किन्हीं दो कुतर्कों का उल्लेख कीजिए।
    (ङ) स्त्री शिक्षा के समर्थन या विरोध में अपनी ओर से दो तर्क दीजिए जिनका उल्लेख पाठ में न हुआ हो।

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  • Question 12

    निम्नलिखित काव्यांश पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
    बिहसि लखनु बोले मृदु बानी। अहो मुनीसु महाभट मानी।।
    पुनि पुनि मोहि देखाव कुठारू। चहत उड़ावन फूँकि पहारू।।
    इहाँ कुम्हड़बतिया कोउ नाहीं। जे तरजनी देखि मरि जाहीं।।
    देखि कुठारू सरासन बाना। मैं कछु कहा सहित अभिमाना।।
    (क) ‘मुनीसु’ कौन है? लक्ष्मण उनसे बहस क्यों कर रहे हैं?
    (ख) लक्ष्मण के हँसने का क्या कारण है?
    (ग) लक्ष्मण की ‘मृदुवाणी’ की क्या विशेषता है?
    (घ) आशय स्पष्ट कीजिए - चहत उड़ावन फूँकि पहारू।
    (ङ) ‘कुम्हड़बतिया’ का उदाहरण क्यों दिया गया है?

    अथवा

    कभी-कभी वह यों ही देता है उसका साथ
    यह बताने के लिए कि वह अकेला नहीं है
    और यह कि फिर से गया जा सकता है
    गाया जा चुका राग
    और उसकी आवाज़ में जो हिचक साफ़ सुनाई देती है
    या अपने स्वर को ऊँचा न उठाने की जो कोशिश है
    उसे विफलता नहीं
    उसकी मनुष्यता समझा जाना चाहिए।
    (क) साथ कौन देता है और किसका?
    (ख) ‘यों ही’ में निहित अर्थ को स्पष्ट कीजिए।
    (ग) आवाज़ की हिचक को विफलता क्यों नहीं कहा जा सकता?
    (घ) कविता में ‘मनुष्यता’ का अभिप्राय क्या है?
    (ङ) संसार में इस प्रकार की ‘मनुष्यता’ की क्या उपयोगिता है?

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  • Question 13
    निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    (क) लक्ष्मण ‘कुम्हड़बतिया’ और ‘तरजनी’ के उदाहरण से अपनी किस बात को सिद्ध करना चाहते हैं और क्यों?
    (ख) संगतकार किन-किन रूपाें में मुख्य गायक की मदद करता है?
    (ग) ‘कन्यादान’ कविता में माँ ने लड़की को अपने चेहरे पर रीझने और वस्त्र तथा आभूषणों के प्रति लगाव को मना क्यों किया है?
    (घ) ‘छाया मत छूना’ के कवि ने यथार्थ के पूजन की बात क्यों कही है?
    (ङ) पठित काव्यांश के आधार पर राम के स्वभाव की दो विशेषताएँ लिखिए। VIEW SOLUTION


  • Question 14

    'साना साना हाथ  जोड़ि ' में कहा गया है कि 'कटाओ' पर किसी दुकान का न होना वरदान है, ऐसा क्यों ? भारत के अन्य प्राकृतिक स्थानों को वरदान बनाने में नवयुवकों की क्या भूमिका हो सकती है स्पष्ट कीजिए।

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  • Question 15

    निम्नलिखित में से किन्हीं तीन प्रश्नों  के उत्तर दीजिए :

    (क) सिक्किम यात्रा के दौरान फौजी-छावनियाँ देखकर लेखिका के मन में उपजे विचारों को अपने शब्दों में लिखिए।
    (ख) दुलारी और टुन्नू की मुलाकात के बाद टुन्नू के चले जाने पर दुलारी का कठोर हृदय करुणा और कोमलता से क्यों भर उठा?
    (ग) 'एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा' का प्रतीकार्थ स्पष्ट कीजिए।
    (घ) 'मैं क्यों लिखता हूँ?' प्रश्न के उत्तर में अज्ञेय ने क्या कहा है ? संक्षेप में लिखिए।

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  • Question 16

    निम्निलिखित में से किसी एक विषय पर 80 से 100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए :  

    (क ) पेड़ों  का महत्व
    • प्रकृति की संतान
    • पर्यावरण
    • हमारा कर्त्तव्य

    (ख) महानगरों में आवास की समस्या
    • महानगर
    • समस्या क्यों
    • समाधान

    (ग) मदिरापान: एक घातक व्यसन
    • अनेक व्यसनों का जन्मदाता
    • मदिरापान की हानियाँ
    • समाधान के उपाय 

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  • Question 17

    'सामाजिक  सेवा  कार्यक्रम ' के अन्तर्गत किसी ग्राम में सफाई अभियान  के अनुभवों का उल्लेख करते हुए  मित्र को पत्र लिखिए।
     

    अथवा


    समस्त औपचारिकताएँ पूर्ण करने के उपरान्त भी 'आधार पहचान पत्र ' न मिलने कि शिकायत करते हुए अपने क्षेत्र के संबंद्ध अधिकारी को पत्र लिखिए।

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