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Board Paper of Class 10 2007 Hindi (SET 3) - Solutions

(i) इस प्रश्न-पत्र के चार खण्ड हैं क, ख, ग और घ।
(ii) चारों खण्डों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
(iii) यथासंभव प्रत्येक खण्ड के उत्तर क्रमश: दीजिए।


  • Question 1

    निम्नलिखित गद्यांश के आधार पर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए –


    आप सोचते होंगे कि जब थुंबा केन्द्र मौजूद था तो भारत को दूसरे स्थान पर अंतरिक्ष अड्डा बनाने की आवश्यकता ही क्या थी? उपग्रहों को कक्षा में छोड़ने वाले रॉकेटों को थुंबा से प्रक्षेपित करने में अनेक कठिनाइयाँ थीं। एक तो थुंबा के इलाके में घनी आबादी है, दूसरे, यह स्थान पश्चिमी समुद्रतट पर है। रॉकेट को यदि पूर्व की ओर कोणीय वेग से छोड़ा जाए तो उसे पृथ्वी की गति का अतिरिक्त वेग भी मिल जाता है। इसलिए भारत के पूर्वी तट पर एक ऐसे क्षेत्र की तलाश शुरू हुई जो आबादी वाले क्षेत्रों से अलग-थलग हो, क्षेत्रफल के लिहाज़ से बड़ा हो, जहाँ बड़े रॉकेट छोड़ने के लिए आवश्यकता से अधिक सुरक्षित क्षेत्र विद्यमान हो और प्राकृतिक रमणीयता भी हो।

    1968 ई० में प्रो० यू० आर. राव और प्रो० चिटनिस ने भारत के पूर्वी तट पर ऐसे एक स्थान की खोज कर ली और डा० विक्रम साराभाई को इसकी जानकारी दी। यह स्थान था श्रीहरिकोटा द्वीप। यह द्वीप आंध्र प्रदेश के सुल्लुरपेट नगर से कच्ची सड़क द्वारा जुड़ा हुआ है। इसका आकार चपटे वृत्त-जैसा है। इसका समुद्रतट लगभग 27 कि०मी० लंबा है तथा क्षेत्रफल 150 वर्ग किलोमीटर है।

    यह जानकारी मिलने पर डा० साराभाई ने विमान से श्रीहरिकोटा द्वीप का निरीक्षण किया। यहाँ के यूक्लिप्टिस तथा केजुरिना के ऊँचे-ऊँचे वृक्षों और द्वीप के किनारों पर किल्लोलें करती सागर की अनवरत लहरों ने डा० साराभाई का मन मोह लिया। उन्हें यह द्वीप बेहद पसंद आया और उन्होंने यहाँ भारत की अंतरिक्ष में आरोहण की आकांक्षाओं का एक महल बनाने का दृढ़ संकल्प किया। 

    यहीं से शुरू होती है श्रीहरिकोटा द्वीप के काया-पलट की कहानी। यह द्वीप जनशून्य नहीं था। यहाँ कृषिकर्म से अनभिज्ञ आदिवासी रह रहे थे। भारतीय अंतरिक्ष विभाग ने करीब एक करोड़ रूपयों का भुगतान करके इस द्वीप की ज़मीन खरीदी। आदिवासियों के प्रत्येक परिवार को सुल्लुरपेट के पास के एक क्षेत्र में बसाने की व्यवस्था की गई। पहले सुल्लुरपेट से इस द्वीप तक बड़ी मुश्किल से ही पहुँचा जा सकता था। इसलिए सबसे पहले सड़कें और पुल बनाए गए। फिर एक-एक करके रॉकेट प्रक्षेपण, ट्रैकिंग, नियंत्रण, प्रोपेलेंट उत्पादन, रॉकेट-प्रणालियों का अग्निपरीक्षण आदि अनेक सुविधाओं की यहाँ स्थापना हुई। इस प्रकार आदिवासियों का यह द्वीप भारत का राष्ट्रीय अंतरिक्ष अड्डा बन गया।

    श्रीहरिकोटा द्वीप के बारे में कोई ठोस ऐतिहासिक जानकारी नहीं मिलती। एक किंवदंती यह है कि यहाँ कभी पचास लाख शिवलिंगों का बसेरा था। पता चलता है कि उत्तर भारत से दक्षिण भारत की ओर तीर्थयात्रा के लिए जाने वाले लोग यहाँ रूका करते थे। जो भी हो, श्रीहरिकोट नाम से यह सूचित होता है कि प्राचीन काल में यह द्वीप एक धार्मिक केन्द्र रहा होगा। कुछ लोग श्रीहरिकोटा को श्रीहरिकोट भी लिखते हैं।

    श्रीहरिकोटा द्वीप आंध्र प्रदेश के नेल्लोर ज़िले में है। यह मद्रास शहर से करीब 90 किलोमीटर उत्तर में है। ठीक-ठीक कहें तो श्रीहरिकोटा द्वीप की भौगोलिक स्थिति है –उत्तरी अक्षांश 13०और पूर्वी देशांतर 80०। इस द्वीप की कुल चालीस हज़ार एकड़ ज़मीन में से लगभग 27 हज़ार एकड़ ज़मीन जंगलों से भरी है।

    अब श्रीहरिकोटा का सारा नक्शा ही बदल गया है। यहाँ बड़े रॉकेटों को अंतरिक्ष में छोड़ने के लिए प्राय: सभी आवश्यक सुविधाएँ जुटाई गईं हैं। इन रॉकेटों का विकास त्रिवेन्द्रम के अतंरिक्ष केन्द्र में होता है। दिसंबर 1971 ई० में डा० साराभाई की मृत्यु के पश्चात् त्रिवेन्द्रम के इस केन्द्र को 'विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केन्द्र' नाम दिया गया। भारतीय रॉकेटों का निर्माण तो होता है त्रिवेन्द्रम में, परन्तु उन्हें जोड़ने, उनमें प्राणोदक यानी ईंधन भरने, उनकी मोटरों का परीक्षण करने और अंत में उन्हें प्रक्षेपित करने का महत्त्वपूर्ण कार्य श्रीहरिकोटा में होता है। 

    (i) थुंबा केन्द्र से रॉकेटों को प्रक्षेपित करने में क्या कठिनाइयाँ थीं? (2)

    (ii) श्री हरिकोटा द्वीप की भौगोलिक स्थिति का वर्णन कीजिए। (2)

    (iii) आदिवासियों का द्वीप भारत का राष्ट्रीय अंतरिक्ष अड्डा कैसे बन गया? (2)

    (iv) श्रीहरिकोटा के विषय में कौन-सी किंदवंती प्रचलित है? (2)

    (v) उपरोक्त गद्यांश का शीर्षक दीजिए। (2)

    (vi) उपरोक्त गद्यांश से दो विशेषण छाँट कर लिखिए। (2)

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  • Question 2

    निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए –
    गिरिराज हिमालय से भारत का कुछ ऐसा ही नाता है
    इतनी ऊँची इसकी चोटी कि सकल धरती का ताज यही
    पर्वत-पहाड़ से भरी धरा पर केवल पर्वतराज यही
    अंबर में सिर, पाताल चरन
    मन इसका गंगा बचपन
    तन वरन-वरन मुख निरावरन
    इसकी छाया में जो भी है, वह मस्तक नहीं झुकाता है।
    गिरिराज हिमालय से भारत का कुछ ऐसा ही नाता है।।
    हर संध्या को इसकी छाया सागर-सी लंबी होती है
    हर सुबह वही फिर गंगा की चादर-सी लंबी होती है
    इसकी छाया में रंग गहरा
    है देश हरा, परदेश हरा
    हर मौसम है, संदेश-भरा
    इसका पद-तल छूनेवाला वेदों की गाथा गाता है।
    गिरिराज हिमालय से भारत का कुछ ऐसा ही नाता है।।
    जैसा यह अटल, अडिग-अविचल, वैसे ही हैं भारतवासी
    है अमर हिमालय धरती पर, तो भारतवासी अविनाशी
    कोई क्या हमको ललकारे
    हम कभी न हिंसा से हारे
    दु:ख देकर हमको क्या मारे
    गंगा का जल जो भी पी ले, वह दु:ख में भी मुसकाता है।
    गिरिराज हिमालय से भारत का कुछ ऐसा ही नाता है।।
    टकराते हैं इससे बादल, तो खुद पानी हो जाते हैं।
    तूफान चले आते हैं, तो ठोकर खाकर सो जाते हैं।।
    जब-जब जनता को विपदा दी
    तब-तब निकले लाखों गाँधी
    तलवारों-सी टूटी आँधी
    इसकी छाया में तूफान, चिरागों से शरमाता है।
    गिरिराज हिमालय से भारत का कुछ ऐसा ही नाता है।।

    (i) हिमालय को धरती का ताज क्यों कहा गया है? (2)

    (ii) 'इसका पदत्तल छूने वाला वेदों की गाथा गाता है' – इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए। (1)

    (iii) कवि ने गंगाजल की क्या विशेषता बताई है? (2)

    (iv) 'जो हमसे टकराता है, चूर चूर हो जाता है' – इस भाव से मिलती जुलती पंक्तियाँ छाँटिए। (1)

    (v) 'जब जब जनता...................टूटी आँधी' पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए। (2)

    अथवा

    चमक रहा उत्तुंग हिमालय, यह नगराज हमारा ही है।
    जोड़ नहीं धरती पर जिसका, वह नगराज हमारा ही है।
    नदी हमारी ही है गंगा, प्लावित करती मधुरस-धारा,
    बहती है क्या कहीं और भी ऐसी पावन कल-कल धारा?
    सम्मानित जो सकल विश्व में, महिमा जिनकी बहुत रही है,
    अमर ग्रंथ वे सभी हमारे, उपनिषदों का देश यही है
    गाएँगे यश हम सब इसका, यह है स्वर्णिम देश हमारा।
    आगे कौन जगत में हमसे, यह है भारत देश हमारा।
    यह है देश हमारा भारत, महारथीगण हुए जहाँ पर,
    यह है देश मही का स्वर्णिम, ऋषियों ने तप किए जहाँ पर,
    यह है देश जहाँ नारद के, गूँजे मधुमय गान कभी थे,
    यह है देश जहाँ बनते, सर्वोत्तम सामान सभी थे।
    यह है देश हमारा भारत, पूर्ण-ज्ञान का शुभ्र निकेतन।
    यह है देश जहाँ पर बरसी, बुद्धदेव की करूणा चेतन।
    है महान, अति भव्य पुरातन, गूँजेगा यह गान हमारा।
    है क्या हम-सा कोई जग में, यह है भारत देश हमारा।

    (i) कवि ने हिमालय को संसार में बेजोड़ क्यों बताया है? (1)

    (ii) 'बहती है क्या कहीं और भी ऐसी पावन कल-कल धारा' – पंक्ति में गंगा की किस विशेषता का वर्णन हुआ है? (2)

    (iii) कवि ने भारत को किन-किन कारणों से महान बताया है? (2)

    (iv) इस कविता में किन महापुरूषों की महिमा का गुणगान हुआ है? (1)

    (v) भारत को धरती का स्वर्णिम देश क्यों कहा गया है? (2)

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  • Question 3

    किसी एक विषय पर निबन्ध 300 शब्दों में निबन्ध लिखिए –


    (क) जीवन में अवसर का उपयोग करने वाले व्यक्ति ही सफलता प्राप्त करते हैं। अवसर की पहचान कर उसका सर्वोत्तम उपयोग करना चाहिए। अच्छे अवसर बार-बार लौटकर नहीं आते वास्तव में अवसर का सदुपयोग ही सफलता का मूल मंत्र है।

    (ख) भोर का सौन्दर्य सबसे निराला होता है। भोर के विविध दृश्य मानव मन को आनंद से भर देते हैं। भोर में प्रकृत्ति का रूप सर्वाधिक मनमोहक होता है। यह समय भ्रमण के लिए उपयुक्त होता है। भोर में जागने वाले व्यक्ति आलस्य से दूर रहते हैं तथा अपना प्रत्येक कार्य समय पर करते हैं।

    (ग) परोपकार ही सर्वश्रेष्ठ धर्म है। परोपकारी को परोपकार करते समय स्वयं भी सुख की अनुभूति होती है। व्यक्ति को परोपकार करते समय भेदभाव नहीं करना चाहिए। वस्तुत: परोपकार करने वाला व्यक्ति ही मनुष्य कहलाने का अधिकारी होता है।

    (घ) हमारे समाज में अनेक बुरी प्रथाएँ प्रचलित हैं। दहेज प्रथा सर्वाधिक निंदनीय कुप्रथा है। यह एक प्राचीन प्रथा है। परन्तु आधुनिक युग में इसका स्वरूप बहुत विकृत हो गया है। इस प्रथा के अनेक दुष्परिणाम हैं। कानून की दृष्टि में दहेज लेना और देना अपराध है। इसे रोकने के लिए हमें कटिबद्ध होना चाहिए।

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  • Question 4

    'नवभारत टाइम्स' नई दिल्ली के संपादक को दीक्षा की ओर से एक पत्र लिखिए, जिसमें सड़क-परिवहन के नियमों की उपेक्षा करने वालों के प्रति पुलिस के ढीले-ढाले रवैये पर चिंता व्यक्त की गई हो।


    अथवा


    फैशन में समय और धन का अपव्यय करने वाली छोटी बहन को बड़ी बहन सुषमा की ओर से एक प्रेरणाप्रद पत्र लिखिए।

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  • Question 5

    निम्नलिखित वाक्यों में प्रयुक्त क्रियाओं के भेद लिखिए –

    (i) मोहन गाता है।

    (ii) महर्षि व्यास ने अठारह पुराण लिखे।

    (iii) दादी मोहनी से खाना बनवाती है।

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  • Question 6

    निर्देशानुसार उत्तर दीजिए –

    (i) खूब मन लगाकर पढ़ो ताकि परीक्षा में प्रथम आओ।

    (समुच्चय बोधक शब्द छाँटिए)

    (ii) वह प्रात: उठकर स्नान करता है।

    (क्रिया विशेषण छाँटिए)

    (iii) आज धन के बिना कोई नहीं पूछता।

    (संबंध बोधक अव्यय छाँटिए)

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  • Question 7

    निम्नलिखित वाक्यों को मिलाकर एक-एक सरल, सयुंक्त व मिश्रित वाक्य बनाइए –

    (i) परीक्षक ने प्रश्न-पत्र बाँट दिए।

    (ii) परीक्षार्थी उत्तर लिखने लगे।

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  • Question 8

    निम्नलिखित वाक्यों का निर्देशानुसार वाच्य परिवर्तन कीजिए –

    (i) मोहन पत्र लिख रहा है। (कर्मवाच्य में)

    (ii) सीता से खाया नहीं जाता। (कर्तृवाच्य में)

    (iii) मैं इस गर्मी में सो नहीं सकता। (भाववाच्य में)

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  • Question 9

    (क) निम्नलिखित शब्दों का समास विग्रह कीजिए और समास का नाम भी लिखिए – (2)

    व्यवहार-कुशल, पाप-पुण्य

    (ख) निम्नलिखित शब्दों के एकाधिक अर्थ लिखिए – (1)

    उत्तर, द्विज

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  • Question 10

    निम्नलिखित काव्याशों में से किसी एक के नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए –

    (क) कितना प्रामाणिक था उसका दुख

    लड़की को दान में देते वक्त

    जैसे वही उसकी अंतिम पूँजी हो 

    लड़की अभी सयानी नहीं थी

    अभी इतनी भोली सरल थी

    कि उसे सुख का आभास तो होता था

    लेकिन दुख बाँचना नहीं आता था

    पाठिका थी वह धुँधले प्रकाश की

    कुछ तुकों और कुछ लयबद्ध पंक्तियों की

    (i) माँ का दुख प्रामाणिक क्यों था? (2)

    (ii) लड़की को माँ की अन्तिम पूँजी क्यों कहा गया है? (2)

    (iii) लड़की की मानसिक स्थिति का वर्णन कीजिए। (2)

    अथवा
     

    (ख) तारसप्तक में जब बैठने लगता है उसका गला 

    प्रेरणा साथ छोड़ती हुई उत्साह अस्त होता हुआ

    आवाज़ से राख जैसा कुछ गिरता हुआ 

    तभी मुख्य गायक को ढाँढ़स बँधाता

    कहीं से चला आता है संगतकार का स्वर

    कभी-कभी वह यों ही दे देता है उसका साथ

    यह बताने के लिए कि वह अकेला नहीं है

    (i) जब मुख्य गायक की आवाज़ थकने लगती है तो संगतकार क्या करता है? (11/2)

    (ii) कभी-कभी संगतकार आवश्यकता के बिना भी मुख्य गायक का साथ क्यों देता है? (11/2)

    (iii) तार-सप्तक में मुख्य गायक का गला क्यों बैठने लगता है? (11/2)

    (iv) "आवाज़ से राख जैसा कुछ गिरता हुआ" में कौन-सा अलंकार है? (11/2)

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  • Question 11

    निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं तीन का उत्तर दीजिए – (3 + 3 + 3)

    (i) लक्ष्मण ने वीर योद्धा की क्या-क्या विशेषताएँ बताईं?

    (ii) देव कवि ने चाँदनी रात की उज्ज्वलता का वर्णन करने के लिए किन-किन उपमानों का प्रयोग किया है?

    (iii) फागुन में ऐसा क्या होता है जो बाकी ऋतुओं से भिन्न होता है? 'अट नहीं रही है' कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

    (iv) 'छाया मत छूना' कविता में कवि ने कठिन यथार्थ के पूजन की बात क्यों कही है?

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  • Question 12

    निम्नलिखित काव्यांशों में से किसी एक को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए –

    (क) लखन कहेउ मुनि सुजसु तुम्हारा।

    तुम्हहि अछत को बरनै पारा।।

    अपने मुहु तुम्ह आपनि करनी।

    बार अनेक भाँति बहु बरनी।।

    नहि संतोषु त पुनि कछु कहहू।

    जनि रिस रोकि दुसह दुख सहहू।।

    बीरब्रती तुम्ह धीर अछोभा।

    गारी देत न पावहु सोभा।।

    सूर समर करनी करहिं कहि न जनावहिं आपु।

    बिद्यमान रन पाइ रिपु कायर कथहिं प्रतापु।।

    (i) अन्तिम दो पंक्तियों में किस छन्द का प्रयोग किया गया है? (1)

    (ii) 'सूर समर करनी करहिं' में किस अलंकार का प्रयोग किया गया है? (1)

    (iii) इन पंक्तियों में किस भाषा का प्रयोग किया गया है? (1)

    (iv) यह पंक्तियाँ हिन्दी साहित्य के किस काल से सम्बन्धित हैं? (1)

    (v) 'जनि रिस रोकि दुसह दुख सहहू' में कौन-सा अलंकार है? (1)


    अथवा
     

    (ख) बादल, गरजो! –

    घेर घेर घोर गगन, धाराधर ओ!

    ललित ललित, काले घुँघराले,

    बाल कल्पना के-से पाले,

    विद्युत-छवि उर में, कवि, नवजीवन वाले!

    वज्र छिपा, नूतन कविता

    फिर भर दो –

    बादल, गरजो!

    (i) इन पंक्तियों में किस छन्द का प्रयोग किया गया है? (1)

    (ii) 'घेर घेर घोर गगन' में कौन-सा अलंकार है? (1)

    (iii) बादल को बच्चों की कल्पना के समान क्यों कहा गया है? (1)

    (iv) इन पंक्तियों में से कोई दो तत्सम शब्द छाँटकर लिखिए। (1)

    (v) इन पंक्तियों का सम्बन्ध आधुनिक काल की किस काव्यधारा से है? (1)

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  • Question 13

    निम्नलिखित गद्यांशों में से किसी एक के नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए –

    (क) बालगोबिन भगत की संगीत-साधना का चरम उत्कर्ष उस दिन देखा गया, जिस दिन उनका बेटा मरा। इकलौता बेटा था वह! कुछ सुस्त और बोदा-सा था, किंतु इसी कारण बालगोबिन भगत उसे और भी मानते। उनकी समझ में ऐसे आदमियों पर ही ज़्यादा नज़र रखनी चाहिए या प्यार करना चाहिए, क्योंकि ये निगरानी और मुहब्बत के ज़्यादा हकदार होते हैं। बड़ी साध से उसकी शादी कराई थी, पतोहू बड़ी ही सुभग और सुशील मिली थी। घर की पूरी प्रबंधिका बनकर भगत को बहुत कुछ दुनियादारी से निवृत कर दिया था उसने। उनका बेटा बीमार है, इसकी खबर रखने की लोगों को कहाँ फुर्सत! किंतु मौत तो अपनी ओर सबका ध्यान खींचकर ही रहती है। हमने सुना, बालगोबिन भगत का बेटा मर गया। कुतूहलवश उनके घर गया। देखकर दंग रह गया। बेटे को आँगन में एक चटाई पर लिटाकर एक सफ़ेद कपड़े से ढाँक रखा है। वह कुछ फूल तो हमेशा ही रोपते रहते, उन फूलों में से कुछ तोड़कर उस पर बिखरा दिए हैं; फूल और तुलसीदल भी। सिरहाने एक चिराग जला रखा है। और, उसके सामने ज़मीन पर ही आसन जमाए गीत गाए चले जा रहे हैं! वही पुराना स्वर, वही पुरानी तल्लीनता। घर में पतोहू रो रही है जिसे गाँव की स्त्रियाँ चुप कराने की कोशिश कर रही हैं। किंतु, बालगोबिन भगत गाए जा रहे हैं! हाँ, गाते-गाते कभी-कभी पतोहू के नज़दीक भी जाते और उसे रोने के बदले उत्सव मनाने को कहते। आत्मा परमात्मा के पास चली गई, विरहनी अपने प्रेमी से जा मिली, भला इससे बढ़कर आनंद की कौन बात? मैं कभी-कभी सोचता, यह पागल तो नहीं हो गए। किंतु, नहीं, वह जो कुछ कह रहे थे, उसमें उनका विश्वास बोल रहा था –वह चरम विश्वास, जो हमेशा ही मृत्यु पर विजयी होता आया है।

    (i) बालगोबिन भगत की संगीत-साधना का चरम उत्कर्ष किस दिन देखा गया? (2)

    (ii) बालगोबिन भगत पुत्र की मृत्यु होने पर भी गीत क्यों गा रहे थे? (2)

    (iii) बालगोबिन भगत अपनी पतोहू से उत्सव मनाने के लिए क्यों कह रहे थे? (2)


    अथवा

    (ख) नाटकों में स्त्रियों का प्राकृत बोलना उनके अपढ़ होने का प्रमाण नहीं। अधिक से अधिक इतना ही कहा जा सकता है कि वे संस्कृत न बोल सकती थीं। संस्कृत न बोल सकना न अपढ़ होने का सबूत है और न गँवार होने का। अच्छा तो उत्तररामचरित में ऋषियों की वेदांतवादिनी पत्नियाँ कौन-सी भाषा बोलती थीं? उनकी संस्कृत क्या कोई गँवारी संस्कृत थी? भवभूति और कालिदास आदि के नाटक जिस ज़माने के हैं उस ज़माने में शिक्षितों का समस्त समुदाय संस्कृत ही बोलता था, इसका प्रमाण पहले कोई दे ले तब प्राकृत बोलने वाली स्त्रियों को अपढ़ बताने का साहस करे। इसका क्या सबूत कि उस ज़माने में बोलचाल की भाषा प्राकृत न थी? सबूत तो प्राकृत के चलन के ही मिलते हैं। प्राकृत यदि उस समय की प्रचलित भाषा न होती तो बौद्धों तथा जैनों के हज़ारों ग्रंथ उसमें क्यों लिखे जाते, और भगवान शाक्य मुनि तथा उनके चेले प्राकृत ही में क्यों धर्मोपदेश देते? बौद्धों के त्रिपिटक ग्रंथ की रचना प्राकृत में किए जाने का एकमात्र कारण यही है कि उस ज़माने में प्राकृत ही सर्वसाधारण की भाषा थी। अतएव प्राकृत बोलना और लिखना अपढ़ और अशिक्षित होने का चिह्न नहीं। जिन पंडितों ने गाथा-सप्तशती, सेतुबंध-महाकाव्य और कुमारपालचरित आदि ग्रंथ प्राकृत में बनाए हैं, वे यदि अपढ़ और गँवार थे तो हिन्दी के प्रसिद्ध से भी प्रसिद्ध अखबार का संपादक इस ज़माने में अपढ़ और गँवार कहा जा सकता है; क्योंकि वह अपने ज़माने की प्रचलित भाषा में अखबार लिखता है। हिन्दी, बाँग्ला आदि भाषाएँ आजकल की प्राकृत हैं, शौरसेनी, मागधी, महाराष्ट्री और पाली आदि भाषाएँ उस ज़माने की थीं। प्राकृत पढ़कर भी उस ज़माने में लोग उसी तरह सभ्य, शिक्षित और पंडित हो सकते थे जिस तरह कि हिन्दी, बाँग्ला, मराठी आदि भाषाएँ पढ़कर इस ज़माने में हम हो सकते हैं। फिर प्राकृत बोलना अपढ़ होने का सबूत है, यह बात कैसे मानी जा सकती है?

    (i) नाटकों में स्त्रियों द्वारा प्राकृत भाषा में बोलना उनके अशिक्षित होने का प्रमाण क्यों नहीं माना जा सकता? (2)

    (ii) बौद्धों और जैन मुनियों के हज़ारों ग्रंथ किस भाषा में लिखे गए तथा शाक्य मुनि ने किस भाषा में उपदेश दिए? (2)

    (iii) प्राकृत भाषा के जानकारों को लेखक किस आधार पर विद्वान मानता है? (2)


     

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  • Question 14

    निम्नलिखित में से किन्ही तीन प्रश्नों के उत्तर दीजिए – (3 + 3 + 3)

    (i) "फटा, सुर न बख्शे, लुंगिया का क्या है, आज फटी है कल सी जाएगी।" बिस्मिल्ला खाँ ने यह शब्द किससे और क्यों कहे?

    (ii) भगत ने अपने बेटे की मृत्यु पर अपनी भावनाएँ किस तरह व्यक्त कीं?

    (iii) फ़ादर की उपस्थिति लेखक को देवदार की छाया जैसी क्यों लगती थी?

    (iv) कुछ पुरातन पंथी लोग स्त्रियों की शिक्षा के विरोधी थे। द्विवेदी जी ने क्या-क्या तर्क देकर स्त्री-शिक्षा का समर्थन किया?

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  • Question 15

    (i) "एक कहानी यह भी" की लेखिका के व्यक्तित्व पर किन-किन व्यक्तियों का और किस रूप में प्रभाव पड़ा? (3)

    (i) "एम.ए., बी.ए., शास्त्री और आचार्य होकर पुरूष जो स्त्रियों पर हंटर फटकारते हैं और डंडों से उनकी खबर लेते हैं, वह सारा सदाचार पुरूषों की पढ़ाई का सुफल है।" लेखक के इस कथन में तत्कालीन समाज के पूरूषों की मानसिकता पर अपने विचार लिखिए।  (2)

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  • Question 16

    निम्नलिखित प्रश्नों में से किसी एक प्रश्न का उत्तर दीजिए –

    (i) प्राकृतिक सौन्दर्य के अलौकिक आनंद में डूबी लेखिका को कौन-कौन से दृश्य झकझोर गए?

    (ii) हिरोशिमा की घटना विज्ञान का भयानकतम दुरूपयोग है। आपकी दृष्टि में विज्ञान का दुरूपयोग कहाँ-कहाँ और किस तरह हो रहा है?

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  • Question 17

    निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर दीजिए – (2 + 2 + 2)

    (i) 'साना-साना हाथ जोड़ि' में प्रदूषण के कारण स्नोफॉल की कमी का ज़िक्र किया गया है। प्रदूषण के और कौन-कौन से दुष्परिणाम सामने आए हैं? लिखें।

    (ii) दुलारी का टुन्नू से पहली बार परिचय कहाँ और किस रूप में हुआ?

    (iii) क्या बाह्य दबाव केवल लेखन से जुड़े रचनाकारों को ही प्रभावित करते हैं या अन्य क्षेत्रों से जुड़े कलाकारों को भी प्रभावित करते हैं? कैसे?

    (iv) हिमालय के हिम शिखर देखकर लेखिका के मन में कौन-से विचार उभर रहे थे?

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